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चतुर लोमड़ी | Chatur Lomdi | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Animal Story| Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

आज की इस कहानी का नाम है - " चतुर लोमड़ी" यह एक Animal Story है। अगर आपको Hindi Stories, Moral Stories या Hindi Kahaniyan पढ़ें।
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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है - " चतुर लोमड़ी" यह एक Animal Story है। अगर आपको Hindi Stories, Moral Stories या Hindi Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

चतुर लोमड़ी | Chatur Lomdi | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Animal Story| Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

Chatur Lomdi | Hindi Kahaniya| Moral Stories | Animal Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales


बहुत समय पहले की बात है। एक जंगल में एक शेर रहता था।वह शेर बूढ़ा हो चला था। उसकी शक्ति क्षीण हो गई थी। 

उसमें इतना बल शेष नहीं था कि जंगल में जाकर शिकार कर सके। इस स्थिति में उसके समक्ष भूखे मरने की नौबत आ गई थी। एक दिन अपनी गुफा में बैठा शेर सोचने लगा। 

शेर," यही हालत रही तो मेरी मौत तय है। मुझे कोई ना कोई उपाय सोचना होगा ताकि बैठे बिठाई ही भोजन की व्यवस्था हो जाए। "

वह सोचने लगा और कुछ ही देर में उसे एक उपाय सूझ गया। एक कौए की मदद से उसने पूरे जंगल में अपने बीमार होने की खबर फैला दी। 

जंगल के राजा शेर के बीमार होने की खबर सुनकर जंगल के जानवर उसका हालचाल पूछने उसके पास पहुंचने लगे। 

शेर इसी ताक में था। जैसे ही कोई जानवर उससे मिलने उसकी गुफा में प्रवेश करता तो उसे दबोचकर मार डालता और मजे से उसका मांस खाता। 

हर दिन कोई ना कोई जानवर उसे देखने आता रहता और शेर का शिकार बन जाता। उसके दिन बड़े आराम से गुज़रने लगे। 

अब उसे भोजन के लिए जंगल में भटकने की आवश्यकता नहीं रह गई थी। बिना मेहनत के उसे अपनी ही गुफा में भरपेट भोजन मिलने लगा था। 

थोड़े ही दिनों में वह मोटा हो गया। एक सुबह एक लोमड़ी उसे देखने आई। लोमड़ी चालक थी। 

वह गुफा के अंदर नहीं गई बल्कि गुफा के द्वार पर खड़ी हो गयी। वहीं से उसने शेर से पूछा।

लोमड़ी," महाराज, आपकी तबियत कैसी है ? क्या अब आप अच्छा महसूस कर रहे हैं ? "


शेर," कौन हो मित्र, अंदर तो आओ ? मैं बीमार बूढ़ा शेर बाहर तक तुमसे मिलने नहीं आ सकता। मेरी दृष्टि भी कमजोर है। 

मैं तुम्हें यहाँ से ठीक से देख भी नहीं सकता। आओ, मेरे पास आओ। मुझसे आखिरी बार मिल लो। मैं कुछ ही दिनों का मेहमान हूँ। "

शेर ने फुसलाकर लोमड़ी को गुफा के अंदर बुलाने का प्रयत्न किया। शेर के बोलते समय लोमड़ी बड़े ही ध्यान से गुफा के आसपास का नजारा ले रही थी। शेर की बात खत्म होते ही वह बोली।

लोमड़ी," महाराज मुझे क्षमा करें, मैं अंदर नहीं आ सकती। आपकी गुफा में अंदर जाते हुए जानवरों के पैरों के निशान तो है किंतु बाहर आते हुए नहीं हैं। 

इसका अर्थ में समझ गयी हूँ। सब कुछ जानते हुए भी यदि मैं अंदर आ गई तो उन जानवरों की तरह मैं भी मारी जाउंगी जिनके पैरों के ये निशान है। इसलिए मैं तो जा रही हूँ। "

लोमड़ी ने जंगल में जाकर बूढ़े शेर की करतूत सभी जानवरों को बता दी। उसके बाद कोई भी जानवर शेर से मिलने नहीं गया।

इस तरह अपनी बुद्धिमानी से लोमड़ी ने न सिर्फ अपनी जान बचाई बल्कि जंगल के अन्य जानवरों को भी शेर के हाथों मरने से बचा लिया। 

इस कहानी से हमें यह समझ आता है कि हमें हमेशा अपने दिमाग से काम लेना चाहिए।

आज की ये मज़ेदार कहानी आपको कैसी लगी ? नीचे Comment में जरूर बताएं।

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1 टिप्पणी

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