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शादी बाय मिस्टेक : (भाग -1) - Love Story in Hindi | True Love Story in Hindi

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हेलो दोस्तों ! कहानी की इस नई Series में हम लेकर आए हैं आपके लिए एक और नई कहानी। आज की कहानी का नाम है - " शादी बाय मिस्टेक "। यह इस कहानी का (भाग -1) है। यह एक True  Love Story है। कहानी को पूरा जरूर पढ़ें। तो चलिए शुरू करते हैं...

शादी बाय मिस्टेक : (भाग -1) जे Love Story in Hindi | True Love Story in Hindi

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 शादी बाय मिस्टेक : (1) 


रात का समय था। हर तरफ अंधेरा था। रितिक अपनी कार से दिल्ली की तरफ जा रहा था। वह एक गांव से गुजर रहा था।

वही उस सड़क पर एक भगवान श्री कृष्ण का मंदिर था। रितिक भगवान श्री कृष्ण की पूजा करता था। इसलिए उसने उस मंदिर के दर्शन करने के बारे में सोचा।

रितिक ने अपनी गाड़ी रोकी और गाड़ी से उतरकर मंदिर की तरफ जाने लगा। रितिक एक गोरे रंग का लड़का था, जो काफी अमीर था। रितिक देखने में काफी अच्छा था। इसी कारण से काफी लड़कियां उसे पसंद करती थी। रितिक करीब 32 वर्ष का था।

रितिक मंदिर की तरफ जा ही रहा था कि तभी उसे एक लड़की की चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। लड़की की आवाज, " प्लीज हेल्प "

रितिक ने पीछे मुड़कर देखा पर उसे कोई नहीं दिखाई दिया। उसने अपने आसपास नजर घुमाई फिर भी उसे कोई नहीं दिखा।


रितिक को लगा कि शायद थकान की वजह से उसे ऐसी आवाज सुनाई दे रही है और शायद यह उसकी कोई गलतफहमी है। रितिक ने फिर से मंदिर की तरफ बढ़ना शुरू किया। 

परंतु उसे फिर से लड़की की आवाज सुनाई दी। उस लड़की की आवाज में दर्द और डर की भावना भरी हुई थी। अब रितिक को यकीन हो गया कि सच में किसी को उसकी मदद की जरूरत है और इसलिए उसने हर तरफ उस लड़की को ढूंढना शुरू कर दिया।


उसने अपने फोन की टॉर्च ऑन की, जिससे उसे सब कुछ साफ साफ दिखाई दे। मंदिर के आसपास सिर्फ जंगल ही था। इसलिए उसे उस लड़की को ढूंढने में थोड़ी सी तकलीफ हो रही थी। 

परंतु उस लड़की की आवाज अभी भी आ रही थी इसलिए उसने उस लड़की की आवाज का पीछा करने के बारे में सोचा और जैसे ही वो थोड़ा आगे बढ़ा, उसने देखा कि 4 आदमी एक औरत के साथ जबरदस्ती और बदतमीजी करने की कोशिश कर रहे हैं। वह औरत करीब 30 साल की थी।


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एक आदमी ने उस औरत का हाथ पकड़ा हुआ था और दूसरा आदमी उसका मुंह बंद करने की कोशिश कर रहा था और बाकी के 2 आदमी उसे काफी गंदी नजर से देख रहे थे। रितिक बिना समय बर्बाद किए उनके पास पहुंच गया।

रितिक चिल्लाया - क्या हो रहा है यह सब..??

पहला आदमी - दिख नहीं रहा क्या ? जा यहां से और अपना काम कर।

रितिक - लीव हर (leave her).

दूसरा आदमी - अपनी यह अंग्रेजी कहीं और फेंकना।

रितिक - मैंने बोला छोड़ो उसे।

तीसरा आदमी - और नहीं छोड़ा तो क्या कर लेगा ?

रितिक ने बिना सोचे समझे उसे एक लात मारी और वह आदमी गिर गया।

पहला आदमी - तू हीरो क्यों समझता है अपने आपको ?



रितिक - चुपचाप चले जाओ यहां से... वरना।

चौथा आदमी - वरना क्या ?

रितिक - वरना... किसी को अपना मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगे।

दूसरा आदमी - ओहो ! डायलॉग बोले जा रहे हैं... देख, हम यहां से बिना इस लड़की के नहीं जाएंगे।

रितिक - और मैं तुम्हें इसे कहीं नहीं लेकर जाने दूंगा।

उस औरत ने रितिक की तरफ एक उम्मीद भरी नजरों से देखा।

पहला आदमी - अरे तो आजा... तू भी मजे ले ले। सारे भाई साथ मिलकर मजे लेंगे।

रितिक ने बिना समय बर्बाद किए उस आदमी को एक थप्पड़ लगा दिया। बाकी के दो आदमी रितिक की तरफ बढ़ने लगे परंतु पहले आदमी ने उन्हें रोक दिया।

पहला आदमी - तुझे क्या लगता है... तू इस लड़की को हम से बचा ले जाएगा और इस लड़की की जिंदगी फिर से पहले जैसी हो जाएगी।

रितिक - मतलब क्या है तुम्हारा ?

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पहला आदमी यह एक गांव है। यहां लड़की को ऐसी हालत में देखा तो गांव वाले इसकी जान ले लेंगे और अगर तू इसे घर छोड़ने गया तो वह यही समझेंगे कि तू और यह...

रितिक - चुप करो।

तीसरा आदमी - सच तो यही है कि आज इसकी जिंदगी खराब होनी ही है; क्योंकि तेरा और इसका कोई रिश्ता नहीं है। यह क्या जवाब देगी कि इसका तेरे साथ क्या रिश्ता है ?

वह लड़की यह बातें सुनकर काफी डर गई।

रितिक - पर मैं ऐसे ही तुम्हें इसकी जिंदगी बर्बाद नहीं करने दूंगा।

वह लड़की रोने लगी और वह चारों आदमी हंसने लगे।

तीसरा आदमी - देख ले अभी ही इसकी ऐसी हालत है तो सोच अगर तू इसे बचा कर ले भी गया तो क्या हो जाएगा। जिंदगी तो उसकी बर्बाद हो ही गई ना। इसको ऐसे फटे हुए कपड़ों में देखकर कौन इसे अपने गांव में रहने देगा। लोग गलत ही सोचेंगे... इसके बारे में।

रितिक ने कुछ समय सोचा और फिर अपना कोर्ट उतार कर उसमें से एक डब्बी और मंगलसूत्र निकाला।



रितिक उस लड़की की तरफ बढ़ा। उसने उसे मंगलसूत्र पहनाया और फिर डब्बी खोली। डब्बी के अंदर सिंदूर था। उसने सिंदूर से उस लड़की की मांग भर दी और फिर उसे अपना कोट पहना दिया। वह लड़की आश्चर्य से देखने लगी और बाखी के चारों आदमियों को गुस्सा आने लगा।

चौथा आदमी - तुझे क्या लग रहा है कि तू ऐसे ही कोई फिल्मी सीन बनाएगा और हम तुझे और इसे छोड़ देंगे।

दूसरा आदमी - यहां कोई नाटक नहीं चल रहा है कि तू ऐसे ही शादी कर लेगा और हम मान जाएंगे।

रितिक - मैं जानता हूं कि हमारी शादी नहीं हुई है क्योंकि अभी बहुत सी चीजें बाकी है।परंतु मैं ऐसे ही इस लड़की की जिंदगी बर्बाद नहीं होने दे सकता। इसलिए मुझे जो सही लगा मैंने वह किया।

पहला आदमी - अब जो हमें सही लगेगा... हम वह करेंगे।

फिर चारों आदमी उस लड़की की तरफ बढ़ने लगे परंतु रितिक बीच में आकर खड़ा हो गया।

रितिक - अब एक कदम और आगे बढ़ाया तो याद रखना कि अच्छा नहीं होगा। मैंने उसको अपनी पत्नी मान लिया है। इसलिए अब उसकी हर एक मुश्किल मेरी मुश्किल है और उसे मुश्किल से बाहर निकालना मेरी जिम्मेदारी है।

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पहला आदमी - अबे क्यों किसी लड़की के चक्कर में मरने के लिए चले आया है।

रितिक - सिर्फ लड़की नहीं है... वह मेरी पत्नी है।

दूसरा आदमी - बहुत हुई तेरी डायलॉगबाजी।

वो चारों आदमी रितिक को मारने के लिए आगे बढ़े। पर रितिक ने हार नहीं मानी और अपने मुक्के और थप्पडों से उन्हें हरा दिया। वे चार आदमी रितिक और उस लड़की को छोड़ते हुए वहां से भाग गए।

वह लड़की रोने लगी। रितिक ने उसकी तरफ देखा। रितिक ने उसके कंधों पर हाथ रखा और वह लड़की यह देखकर डर गई।

रितिक - डरो मत... रिलैक्स, कुछ नहीं होगा। वैसे मेरा नाम रितिक है और तुम्हारा नाम क्या है ? उस लड़की ने रोते-रोते बताया कि उसका नाम पल्लवी है।

रितिक - अब शादी करी है तो नाम तो पता होना ही चाहिए ना।

उस लड़की ने रितिक की तरफ आश्चर्य भरी निगाहों से देखा परंतु रितिक मुस्कुरा दिया।



रितिक मुझे पता है कि तुम बोलोगी कि शादी कोई मायने नहीं रखती। मैं कोई जबरदस्ती नहीं करूंगा तुम्हारे साथ। उन लोगों ने जो बोला... सही बोला। 

मैं जानता हूं कि गांव में अगर किसी लड़की के साथ ऐसा कुछ हो जाए तो लोग साथ छोड़ देते हैं। इसलिए तुम ही बताओ कि फिर तुम कहां जाओगी। तुम बताओ कि क्या कोई तुम्हारा साथ देगा। 

अगर तुम चाहती हो कि मैं तुम्हारे मां-बाप से बात करूं तो मैं उसके लिए भी तैयार हूं। परंतु यह मत सोचो कि मैंने यह सब सिर्फ बोलने के लिए किया है।

पल्लवी - मेरे मम्मी-पापा नहीं है। मैं आपको इन सब के लिए इसलिए मना कर रही हूं क्योंकि मैं एक विधवा हूं और मेरा एक बेटा है... 4 साल का।

रितिक को आश्चर्य हुआ यह सब जानकर।

पल्लवी - मैं समझती हूं कि आप एक विधवा से शादी नहीं करना चाहेंगे। इसलिए आप परेशान ना हो। मैं अपनी बेटी को लेकर चली जाऊंगी। और वैसे भी मैं इस गांव को छोड़कर हमेशा के लिए जाने वाली ही थी; क्योंकि यहां के लोग वैसे भी एक विधवा को नहीं जीने देते।

रितिक - नहीं, ऐसी बात नहीं है कि तुम विधवा हो इसलिए मैं तुमसे शादी नहीं करूंगा। तुम्हारा बेटा है मुझे उस बात से भी कोई परेशानी नहीं है; क्योंकि मेरी खुद की एक 2 साल की बेटी है।

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इस बार पल्लवी आश्चर्यचकित थी।

रितिक - आओ मंदिर में बैठकर बात करते हैं।

फिर दोनों मंदिर की तरफ गए और वहीं सीढ़ियों पर बैठकर बात करने लगे।

रितिक - तो तुम यहां क्या कर रही हो ?

पल्लवी की आंखों में आंसू आ गए, यह सवाल सुनते ही।

रितिक - रिलैक्स... नहीं बताना तो मत बताओ लेकिन रोना मत।

पल्लवी - ऐसी कोई बात नहीं है। हम 2 दिन पहले ही आए यहां। मैं दिल्ली में रहती थी, अपने पिता के साथ परंतु उनका एक हफ्ते पहले ही एक्सीडेंट हो गया और वो...

पल्लवी रोने लगी....

रितिक ने उसके कंधों पर हाथ रखा और उसे सांत्वना दी।

पल्लवी - मेरे पास कोई जगह नहीं थी, जाने के लिए। मेरे पति आयुष और मेरी लव मैरिज हुई थी इसलिए उनके घर वालों ने हमसे अपने सारे रिश्ते खत्म कर दिए थे बहुत पहले ही। 

और मैं अनाथ हूं। मेरे दादाजी इसी गांव में रहते हैं। इसलिए मैं 2 दिन पहले ही यहां आ गई, यह सोच कर कि कोई अपना हो या ना हो परंतु मेरे अपने दादाजी को अपनाएंगे। मैं यहां शायद कभी नहीं आती परंतु उनके बेटे के चक्कर में आई। 

दादाजी बहुत नाराज थे मुझसे; क्योंकि मैंने लव मैरिज करी जो कि इस गांव के नियमों के विरुद्ध थी और इसीलिए उन्होंने मुझे घर से बाहर निकाल दिया था। मेरी एक बचपन की सहेली इसी गांव में है। 

उसने मुझे अपने घर रहने दिया परंतु उसके घर वाले इस बात से खुश नहीं थे। उन्होंने मुझे तो कुछ नहीं कहा परंतु मैंने उनकी बातें सुन ली थी। मैं परेशान थी; क्योंकि मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं कहां जाऊं और क्या करूं ? 


मेरा बेटा सो रहा था तो मैं उसे सोता छोड़कर यहां आ गई कुछ समय के लिए; क्योंकि मैंने सोचा जिसका कोई नहीं होता उसका भगवान होता है। और फिर जो कुछ हुआ वो तो आपने देखा ही है।

पल्लवी अभी रो रही थी परंतु उसका मन अब थोड़ा शांत था; क्योंकि वह सब बोल पा रही थी जो उसके दिल में था।

रितिक - अच्छा वैसे तुम्हें देखकर लगता है... कि तुम पढ़ी लिखी हो।

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पल्लवी - हां ! मैं पढ़ी-लिखी हूं। मैं जॉब कर सकती हूं परंतु मैं अपने बेटे आरव के चक्कर में जॉब नहीं कर सकती; क्योंकि अगर मैं जॉब पर गई तो उसका ध्यान कौन रखेगा ? और हम कहां रहेंगे; क्योंकि जिस घर में हम रहते थे वह मेरे पति के मां बाप के नाम है। 

जब तक आयुष साथ थे तब तक वह अपने मां-बाप को हर महीने उस घर का किराया देते थे। परंतु आयुष के चले जाने के बाद उनके माता-पिता ने मुझे और मेरे बेटे को उनके घर से चले जाने के लिए कह दिया।

रितिक - हे भगवान ! दुनिया में कैसे लोग हैं जो अपनी पोती और अपनी बहू के साथ ऐसा व्यवहार करते है।

पल्लवी - गलती उनकी नहीं है। मेरी तो किस्मत ही ऐसी है। पहले मां-बाप का साथ छूटा, फिर आयुष आए जिंदगी में और उनके साथ उनके मां-बाप की नफरत भी आई। 

जैसे तैसे सब सही चल ही रहा था और आराव आया हमारी जिंदगी में। परंतु फिर आयुष ही मुझे छोड़ कर चले गए। और आज जो होने वाला था उसके बाद तो शायद मेरे साथ आराव की जिंदगी भी...

पल्लवी रोने लगी...

रितिक - परेशान मत हो। मैं हूं तुम्हारे और आरव के साथ।

पल्लवी ने रितिक की तरफ देखा और मुस्कुराया।

पल्लवी - नहीं ! नहीं ! मैं आपके ऊपर बोझ नहीं बनना चाहती। मैं अपने और अपने बेटे आरव के लिए कुछ ना कुछ कर ही लूंगी।

रितिक - देखो पल्लवी, तुम मेरी पत्नी हो अब से। माना हमने वह सात फेरे नहीं लिए और बहुत सी रस्में नहीं करी। परंतु मैंने जब तुम्हारी मांग में सिंदूर भरा था और तुम्हें मंगलसूत्र पहनाया था तब यह नहीं सोचा था कि तुम मुझ पर बोझ बनोगी और ना ही आरव के बारे में जानकर मुझे कुछ गलत लगा। बल्कि मुझे अब अपने फैसले पर खुशी हो रही है।

पल्लवी - पर...

रितिक - पल्लवी ! अपनी ना सोचो पर कम से कम आरव की तो सोचो। उसके भविष्य की सोचो। तुम कहां जाओगे। बेशक यह सब जल्दी में हुआ हो परंतु मैं तुम्हें वादा करता हूं कि मैं कभी भी इन सब चीजों के लिए तुम्हें दुख नहीं दूंगा।

पल्लवी कुछ सोचने लगती है...

रितिक - कहीं तुम ऐसा तो नहीं सोच रही कि मेरी बेटी है और तुम्हें उसी बात से दिक्कत हो रही हो। तो मैं पहले ही बता देना चाहता हूं कि वह तुम्हारी जिम्मेदारी नहीं है। 


जैसे वह अभी खुश रह रही है और मेरे परिवार के सदस्य उसका ध्यान रख रहे हैं वैसे ही आगे भी उसका उसी तरीके से ध्यान रखा जाएगा। और हां मैं आरव और उसमें कभी फर्क नहीं करूंगा।

पल्लवी - नहीं मैं ऐसा कुछ नहीं सोच रही। बल्कि मैं हमेशा से एक बेटी चाहती थी और मुझे खुशी है कि मेरी इच्छा पूरी हो गई और मुझे बेटी मिल गई। 

और अब तक आपने जो भी कहा और किया उसके बाद मुझे थोड़ा सा भी शक नहीं है कि आप आराव और अपनी बेटी में फर्क करेंगे। मैं आपकी फैमिली के बारे में सोच रही हूं। मेरा मतलब है कि आपके माता पिता...

रितिक थोड़ा गुस्से में बोला,,,
उनके बारे में मत सोचो। वह तुम्हें अपनी बहू मान लेंगे और अगर नहीं भी माना तब भी उन्हें मानना ही पड़ेगा।

पल्लवी - नहीं ! प्लीज आप मेरी वजह से अपने माता पिता के खिलाफ मत जाना; क्योंकि आयुष के साथ शादी करने के बाद मैंने देख लिया है।

रितिक - पल्लवी, किसने बोला कि मैं तुम्हारी वजह से उनके खिलाफ जा रहा हूं ? अच्छा छोड़ो यह सारी बातें मैं तुम्हें कुछ बताना चाहता हूं। तुम ने सब बता दिया अपनी जिंदगी के बारे में अब मेरी बारी...

पल्लवी ने सिर हिला कर हां का इशारा किया।

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रितिक - पल्लवी जैसा कि मैंने बताया कि मेरी बेटी है 2 साल की जिसका नाम है पिया। मेरी पत्नी और मेरा डाइवोर्स हो गया था। मैं दिल्ली में रहता हूं और किसी काम की वजह से हरियाणा गया था और वहां से ही आ रहा हूं।

पल्लवी ने रितिक की सारी बातें ध्यान से सुनी।

रितिक - तुम पूछोगी नहीं कि मेरा डाइवोर्स क्यों हुआ..??

पल्लवी - नहीं ! क्योंकि मेरी आप से जितनी भी बात हुई, उससे यह पता चल गया कि आप एक अच्छे इंसान हैं। तो शायद कोई बड़ा कारण रहा होगा इन सब के पीछे। और अगर आप खुद नहीं बता रहे तो मैं नहीं पूछूगी कभी भी; क्योंकि वैसे ही आप मेरे लिए इतना कुछ कर चुके हैं।

रितिक - मैं कुछ नहीं कर रह हूं।आगे से कभी यह मत बोलना। यह शायद हमारी किस्मत में था कि हम मिले। शायद इस सब से मेरी पिया को मां और आरव को पिता का प्यार मिल पाएगा

पल्लवी यह सुनकर मुस्कुराई।

पल्लवी - हां मैं पूरी कोशिश करूंगी पिया की अच्छी मां बनने की। आज से मेरे दो बच्चे हैं एक पिया और एक आरव।

रितिक - चलो अब हम तुम्हारी सहेली के घर चलते हैं। वहां से तुम्हारा सामान लेते हैं जिससे हम दिल्ली के लिए निकल सके। और हां मुझे अपने बेटे से भी जरूर मिलवाना।

पल्लवी मुस्कुराए...



वह दोनों कार में जाकर बैठ गए और फिर पल्लवी ने रितिक को अपनी सहेली के घर का रास्ता बताया और वह वहां पहुंच गए।

एक कहानी का यह अध्याय यहीं समाप्त होता है अगर आप इस कहानी को आगे भी पढ़ना चाहते हैं तो इस कहानी का अगला भाग जरूर पढ़ें।


 शादी बाय मिस्टेक : (भाग -2) 

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