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किसान का चतुर बेटा | Hindi Kahani | Hindi Moral Stories | Hindi Kahaniyan | Hindi Fairy Tales

आज की इस कहानी का नाम है - " किसान का चतुर बेटा " यह एक Hindi Kahani है। अगर आपको भी Hindi Kahaniyan, Moral Stories in Hindi या Hindi Fairy Tales पढ़े
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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है - " किसान का चतुर बेटा " यह एक Hindi Kahani है। अगर आपको भी Hindi Kahaniyan, Moral Stories in Hindi या Hindi Fairy Tales पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

किसान का चतुर बेटा | Hindi Kahani | Hindi Moral Stories | Hindi Kahaniyan | Hindi Fairy Tales

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 किसान का चतुर बेटा 

एक गांव में किशोर नाम का एक गरीब किसान रहता था। वह बड़ी ही मुश्किल से अपने लिए दो वक्त का खाना जुटा पाता था। उसके पास एक काले रंग का घोड़ा था, जो काफी तंदुरुस्त, फुर्तीला और समझदार था। 

पास ही गांव में किशोर का बड़ा भाई, रामदास रहता था। उसके पास कई घोड़ों का अस्तबल था। लेकिन फिर भी वह किशोर से जलता था क्योंकि किशोर के घोड़े जैसा एक भी घोड़ा उसके पास नहीं था।

1 दिन किशोर अपने घोड़े पर चढ़कर अपने बड़े भाई रामदास से मिलने निकला। रामदास के पास पहुंच कर उसने कहा," बड़े भैया... मेरे घर से काफी दूर एक खेत है जहां पर मैं काम करता हूं। लेकिन मैं हर रोज इस घोड़े के साथ नहीं जा सकता। 

अगर आप मेरी एक छोटी सी सहायता करो तो आप इस घोड़े को करीब 1 महीने तक अपने पास रख लो। 1 महीने के बाद मैं खुद इस घोड़े को यहां से ले जाऊंगा। "

यह सुनकर रामदास मन ही मन बहुत खुश हुआ क्योंकि उसने सोचा कि उसके पास किशोर की घोड़े जैसा एक भी घोड़ा नहीं है। 

वह इस मौके का फायदा उठाना चाहता था। उसने तुरंत ही किशोर से कहा," किशोर तू मेरा छोटा भाई है। अगर तुझे मेरी मदद की जरूरत है तो बेशक मैं तैयार हूं। "

यह सुनकर किशोर काफी खुश हुआ। और वह अपने घोड़े को छोड़कर अपने खेत की तरफ निकल पड़ा। लगभग एक महीना बीत गया। 

किशोर अपने खेत में काम कर रहा था। तभी एक आदमी उसके पास आता है। वह किशोर को बताता है कि उसका घोड़ा कुछ ही दिनों में मरने वाला है।

किशोर ने इसका कारण पूछा तो उस आदमी ने जवाब दिया कि तुम्हारा घोड़ा काफी कमजोर हो चुका है। मैं रामदास जी का नौकर हूं। 


मुझसे उस घोड़े का दर्द नहीं देखा जा रहा था इसलिए मैं आपके पास आया हूं। जितना जल्दी हो सके आप उस घोड़े को ले आइए। वरना वह मर जाएगा। 


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और हां सेठ जी से यह मत कहना कि मैंने आपको घोड़े के बारे में बताया है। इसकी बजाय आप यह कहना कि आपकी दृष्टि दूरदर्शी है। आप दूर हो रही घटनाओं को भी देख सकते हैं।

किशोर कहता है," ठीक है। मैं आपके बारे में उनसे कुछ नहीं कहूंगा और जो आपने बताया है वही कहूंगा। " और वह तुरंत अपने बड़े भाई रामदास के पास गया।

" बड़े भैया ! यह आपने सही नहीं किया। मैंने अपने घोड़े को आपके भरोसे छोड़ा था और आपने उसकी यह दुर्दशा कर दी। "

" क्या हुआ छोटे..?? क्या बात कर रहा है ? और तू तो कुछ समय बाद आने वाला था फिर अचानक यहां ? 🤔

किशोर ने घोड़े के बारे में सारी बातें रामदास से कहीं। रामदास मन ही मन सोचने लगा कि इसे यह सब कैसे पता चल गया ? 

कुछ देर बाद किशोर ने झिझकते हुए कहा कि मुझे यह सब इसलिए पता है कि मैं एक दूरदर्शी हूं। दूर होने वाली घटनाओं को मैं कहीं भी खड़े हो कर देख सकता हूं। यह सुनकर रामदास को थोड़ा अजीब लगता है।

किशोर रामदास से कहता है कि अगर उसने इन गलतियों को नहीं सुधारा तो वह राजा साहब के पास जाएगा। यह सुनकर रामदास के पैरों तले जमीन खिसक जाती है। 

वह तुरंत गलतियों को दबाने की कोशिश करते हुए कहता है कि अब मैं क्या करूं ? तुम्हें अब क्या चाहिए ? 

किशोर कहता है कि मेरे घोड़े का खाने पीने का और साथ ही अलग से 5 घोड़े देने का इंतजाम कर दीजिए। रामदास के पास कोई और रास्ता नहीं था। 

उसने मजबूरी में हां कर दी। और मन ही मन सोचने लगा कि जब भी मौका मिलेगा तुझे सबक जरूर सिखाऊंगा।

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अगली सुबह राजा साहब के महल से एक कीमती उपहार चोरी हो जाता है। जिसकी वजह से राजा साहब काफी परेशान हो जाते हैं। 

वे अपने सैनिकों से पूरे राज्य में इस समाचार को फैलाने के लिए कहते हैं। और साथ ही कहते हैं कि अगर कोई इस उपहार को खोज लेता है तो हमारी तरफ से उसे ढेर सारी मुद्राएं, 10 घोड़े और एक मकान दिया जाएगा।

रामदास जब इस समाचार को सुनता है तो वह तुरंत राजा साहब को अपने छोटे भाई किशोर के बारे में बताता है कि उसके पास दूर दृष्टि है। अर्थात वह दूर होने वाली घटनाओं को भी देख सकता है।

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यह सुनकर राजा साहब की जान में जान आती है। और वह तुरंत किशोर को राज महल बुलवाने का आदेश देते हैं। 

किशोर को राजमहल ले जाया जाता है। लेकिन अभी तक किशोर को इसके बारे में बिल्कुल भी भनक नहीं होती है। जब उससे इसके बारे में पूछा जाता है तो वह तुरंत समझ जाता है कि उसके बड़े भाई रामदास ने राजा साहब को इसके बारे में बताया है।

किशोर बड़ी मुसीबत में फंस जाता है। क्योंकि वह वास्तव में दूरदर्शी नहीं था। राजा साहब कहते हैं कि अगर आप हमारे उस कीमती उपहार को ढूंढ कर लाते हो तो हम आपको ढेर सारी उपहार भेंट करेंगे। लेकिन अगर आप कामयाब नहीं हुए तो हम आपको जिंदगी भर के लिए कारावास में डाल देंगे।

किशोर कुछ समय के लिए दुविधा में पड़ जाता है। लेकिन अपनी समझदारी से फैसला करते हुए कहता है," राजा साहब ! आपके उत्तर में जो खंडहर है... उसमें मुझे रात भर ध्यान करने दीजिए। 

लेकिन एक बात ध्यान रहे पूरी रात उस खंडार में कोई भी प्रवेश ना कर पाए। क्योंकि इससे मेरा ध्यान भंग हो जाएगा। "

राजा साहब किशोर की बात से सहमत होते हैं। और पूरे राज्य में इस समाचार को फैला देते हैं कि उत्तर की तरफ जो खंडहर है उसमें आज रात से सुबह तक कोई भी नहीं जाएगा।

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शाम होती है। किशोर को उस खंडहर में छोड़ दिया जाता है। किशोर को इस बात का भरोसा रहता है कि चोर उसके पास जरूर आएगा। 

किशोर उस खंडहर में टहल ही रहा होता है कि कुछ समय बाद एक चोर किशोर के सामने आ खड़ा होता है। और उस से विनती करने लगता है कि मैं ही चोर हूं। 

कृपया,, मुझे राजा साहब के हवाले मत करना।  चाहो तो इस कीमती उपहार को भी रख लो। यह सुनकर किशोर के चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आती है। 

और वह कहता है," ठीक है,, मैं तुम्हें जाने दूंगा। लेकिन पहले तुम उस कीमती उपहार को मुझे सौंप दो। चोर उस कीमती उपहार को किशोर को पकड़ा देता है और वहां से भाग जाता है।

सुबह होती है। किशोर को राजा साहब के सामने पेश किया जाता है। राजा साहब के सामने जाते ही किशोर उन्हें उनका कीमती उपहार भेंट कर देता है।


यह देखकर राजा साहब काफी खुश होते हैं और बदले में वह उन्हें एक आलीशान मकान, 10 घोड़े और ढेर सारी मुद्राएं और रत्न भेंट करते हैं। 

किशोर ने तो इन सब के बारे में सोचा भी नहीं था। वह तो केवल इस मुसीबत से निकलना चाहता था। किशोर यह सब पाकर काफी खुश हुआ और हंसी खुशी से अपना जीवन निर्वाह करने लगा।



इस कहानी से आपने क्या सीखा ? नीचे Comment में जरूर बताएं।

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