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आधी उम्र के भांजे पर डाले डोरे | Aadhi Umra Ke Bhanje Par Daale Dore | Hindi Crime Story | Latest Crime Story | Best Crime Stories in Hindi

आज की इस कहानी का नाम है - " आधी उम्र के भांजे पर डाले डोरे " यह एक Crime Ki Kahani है। अगर आपको भी Crime Stories, New Crime Stories पढ़ें।
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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है - " आधी उम्र के भांजे पर डाले डोरे " यह एक Crime Ki Kahani है। अगर आपको भी Crime Stories, New Crime Stories या Best Crime Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

आधी उम्र के भांजे पर डाले डोरे | Aadhi Umra Ke Bhanje Par Daale Dore | Hindi Crime Story | Latest Crime Story | Best Crime Stories in Hindi

Aadhi Umra Ke Bhanje Par Daale Dore | Hindi Crime Story | Latest Crime Story | Best Crime Stories in Hindi


 आधी उम्र के भांजे पर डाले डोरे 

अंजली," बात तो मैं हमेशा पते की करती हूँ और आज पते की बात ये है कि बर्थडे में बहुत मज़ा आया। संदीप, क्या हुआ..? इतने उदास क्यों हो ? "

संदीप," मेरा जो एक्स बिज़नेस पार्टनर है ना अंकुर... उसका कॉल आया। कहाँ से लाऊँ उसे 25 लाख रुपए देने के लिए ? 

कुछ समझ में नहीं आ रहा है और मयंक ने लोन भी रिजेक्ट कर दिया। "

अंजली," अगर इतनी प्रॉब्लम है तो जाकर अपने पापा से बात क्यों नहीं करते हो ? "

संदीप," पागल हो गयी हो क्या ? मैं पापा से पैसों के लिए नहीं बोल सकता। "

अंजली," ठीक है। तुम बात नहीं कर सकते ना तो कोई बात नहीं, मैं जाके बात करूँगी तुम्हारे पापा से। "

संदीप," तुम कहीं नहीं जाओगी। बड़ी मुश्किल से तो उन्होंने मुझे माफ़ किया, यार। "


अंजली," छोड़ो मेरा हाथ, संदीप। मैं अभी के अभी जाउंगी और तुम्हारे पापा से बात करूँगी। "

तभी संदीप अंजली पर हाथ उठा देता है।

संदीप (गुस्से में)," पापा को कुछ नहीं बोलोगी, समझी ? "

गुस्से में अंजली भी संदीप को एक जोरदार थप्पड़ मारती है।

संदीप," तुमने मुझे थप्पड़ क्यों मारा ? ये तो प्लेन में नहीं था। "

अंजली," प्लान में तो ये भी नहीं था कि तुम मुझे इतनी ज़ोर से थप्पड़ मारोगे। और वैसे भी तुम्हारे पापा जा चुके हैं। मैंने उन्हें जाते हुए देख लिया था। "

संदीप (नजदीक आते हुए)," थप्पड़ का कम्पेन्सेशन तो देना ही पड़ेगा। "

अंजली," वैसे हमारा प्लैन सक्सेसफुल तो हो गया। "

संदीप ," तुम्हारा अंकुर को पैसा देने का आइडिया कमाल का था। "

अंजली," वैसे कमाल की तो मैं हूँ संदीप जी। तुम्हारा कमाल... एक सेकंड संदीप, तुम्हारे पापा बंटी पे ऐसे ही पैसे खर्च करते रहे तो फिर तो प्रॉपर्टी आधी हो जाएगी। "

संदीप," हाँ, तुम सही कह रही हो। हमें उसके खर्चों को कंट्रोल करना ही पड़ेगा। 

और मेरे बुद्धू बाप ने अपनी सारी प्रॉपर्टी उस बंटी के नाम की हुई है। उसका भी कुछ इंतज़ाम करना ही पड़ेगा। "

अंजली," एक काम करें, माँ को काम पर लगाएं ? "

अगली सुबह...
अंजली की मां," भाई साहब, चाय लीजिए गरमागरम। "

संदीप के पिता," हाँ। "

अंजली की मां," चलो, मैं भी थोड़ा अखबार पढ़ लेती हूँ। आजकल अखबारों में भी कैसी कैसी खबरें छपने लगी है ? 

अब ये सुनिए... एक लड़के ने अपने ही पॉकेट मनी से शराब और ड्रग्स खरीद लिए और नशे में अपने आप को पूरा बर्बाद कर दिया। 

एक और सुनाती हूँ... एक लड़का गलत संगत में पड़ गया और अपने ही घर से पैसे ले लेकर जुआ खेलने लगा। राम जाने क्या होगा आजकल के लड़कों का ?

लेकिन भाई साहब ये तो अच्छा है कि अपना बंटी ऐसा नहीं है। "

संदीप के पिता," सही कह रही हैं आप। हमारा बंटी थोड़ा खर्चालू जरूर है पर आजकल के लड़कों की तरह नहीं है। "

अंजली की मां," अरे भाई साहब ! मुझे आपके दिए संस्कारों पर पूरा भरोसा है। वो तो अखबार है, कुछ भी लिख देते वो तो। 

मैं इसलिए कह रही थी कि अगर कल को कुछ ऊंच नींच हो गई समझो तो ये बाहर वाले लोग... ये तो ऐसा ही कहेंगे ना कि बिना बाप के बच्चे को ये ठीक से पाल ही नहीं सके। 


बातों बातों में मैं तो भूल ही गयी थी, मेरी दवाई का वक्त हो गया। मैं आती हूँ दवाई ले कर। "

अंजली की मां जाने लगती है। इधर संदीप के पिता बंटी को लेकर सोच में पड़ जाते हैं। तभी अंजली की मां पीछे मुड़कर हल्की सी मुस्कान देती है।

दोपहर के वक्त बंटी रसोई में जाता है और फ्रिज से पानी की बोतल लेकर पानी पीने लगता है। तभी अंजली जानबूझकर उससे टकराती है जिससे बोतल का पानी बंटी के ऊपर फैल जाता है।

बंटी," ये क्या किया आपने ? "

अंजली," सॉरी बंटी सॉरी, गलती से हो गया। तुम तो पूरे भीग चुके हो। लाओ, मैं सुखाके देती हूँ। "

वह बंटी के शरीर पर अजीब तरह से स्पर्श करने लगती है और चिपकने लगती है।

बंटी," मैं खुद चेंज कर लूँगा, डोंट वरी। "

अंजली," बंटी, मामी से कैसी शरम ? अपनी मामी से शर्माओ मत। लाओ, मैं कर देती हूं। "

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इतना कहकर वापस फिर से बंटी को ग़लत तरह से सहलाने लगती है। बंटी को यह सब बहुत अजीब लग रहा था।

बंटी (जाते हुए)," मैं... मैं चेंज कर देता हूँ। "

आंगन में...
संदीप," सब्जी काट रही हो ? "

वह राधिका के पास बैठता है और अपने हाथ से सोने का कड़ा निकालकर राधिका के हाथ में थमा देता है।

राधिका (संदीप की बहन)," ये क्या कर रहे हो भैया आप ? "

संदीप ," याद है... माँ ने मुझे ये कड़ा दिया था ? मैं चाहता हूँ बंटी इसे पहने। "

राधिका," पर भैया ये कड़ा तो माँ ने आपको दिया था ना ? "

संदीप," हाँ। और जिस तरह माँ ने मुझे पहनाया था ना, मैं चाहता हूँ कि तुम बंटी को इसे पहनाओ। "

रात में 1 बजे...
बंटी ड्रिंक करके घर आता है। उसे बहुत तेज भूख लगी होती है इसलिए वह किचन में खाना ढूंढने लग जाता है। 

अंजली उसे यह सब करते हुए देख लेती है। वह उसके पास आती है।

बंटी," मामी आप ? "

अंजली," मामी हूँ तुम्हारी, कोई भूत नहीं हूँ। और ये क्या कर रहे हो तुम ? "

बंटी," अपने लिए खाना निकाल रहा था। "

अंजली," माँ को जगा दिया होता। तुमने ड्रिंक कर रखी है ? "


बंटी," हां, वो मेरे फ्रेंड ने मुझे जिद करके थोड़ी सी पीला दी। मैं नहीं चाहता था कि मेरी माँ मुझे ऐसे देखें। "

अंजली," कोई बात नहीं, मुझे जगा दिया करो। अब इतना ख्याल तो मैं तुम्हारा रख ही सकती हूँ ना ? "

और अंजली बंटी के करीब आकर उसे स्पर्श करने लगती है। बंटी को एक बार फिर अजीब लगता है और वह अंजली को खुद से दूर कर देता है।

बंटी," मैं खाना निकाल लेता हूँ।

अंजली," रुको तो। "

इतना कहते ही अंजली बंटी को लेकर विस्तर पर गिरती है। अंजली नीचे और बंटी ऊपर होता है।

अंजली," बंटी, अगर तुम कुछ पल मेरे साथ बिता भी लोगे तो मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगी। "

बंटी," ये क्या बकवास कर रही हैं आप ? "

बंटी के मुंह से ऐसे शब्द सुनकर अंजली गुस्से में आ जाती है और बंटी को जबरदस्ती अपने ऊपर पकड़कर रखती है।

अंजली (शोर करते हुए)," दीदी... दादी, दीदी प्लीज़ बचाओ मुझे। संदीप, प्लीज़ बचाओ। "

परिवार के सभी लोग भागकर आते हैं। बंटी की मां उसे गुस्से में अंजली के ऊपर से धकेलती है।

राधिका," क्या कर रहा था तू ये, क्या कर रहा था ? "

अंजली (दिखावा करते हुए)," दीदी, बंटी मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश कर रहा था और इसने शराब भी पी हुई है। "

राधिका," आज मुझे तुझे अपना बेटा कहते हुए शर्म आ रही है। "

बंटी," लेकिन मां मैंने सच में कुछ नहीं किया। मां, मेरी बात तो सुनो। "

राधिका," तेरी इस नीच हरकत की वजह से मैं अब इस परिवार को अपना मुंह कैसे दिखाऊंगी ? "

संदीप (गुस्से से)," तुम अंदर चलो। बंटी से मैं बाद में बात करता हूँ। चलो आओ। "

राधिका," थोड़ा तो सोच लेता मेरे बारे में बेशर्म कहीं के। "

बंटी," मां, मेरी गलती बस इतनी है कि मैं ड्रिंक कर के आया। लेकिन मैं कितना भी नशे में क्यों ना रहूं ? 


किसी के साथ ऐसी हरकत नहीं कर सकता और ये तो मेरी मामी थी। बल्कि मामी ने मुझे अपनी तरफ खींचा था। "

राधिका," वो ऐसा क्यों करेगी हाँ... क्यों करेगी वो ऐसा ? "

बंटी," पापा की कसम खा के कहता हूं। "

राधिका," बस कर बंटी बस कर। कम से कम मरे हुए इंसान को तो बख्श दे। और कितना झूठ बोलेगा ? "

बंटी," लेकिन माँ।

राधिका (रोते हुए)," सुधर जा। "

संदीप के कमरे में...

अंजली (मुस्कराते हुए)," मुझे एक बात अभी तक समझ में नहीं आयी, तुम बंटी को क्यों टारगेट कर रहे हो ? "

संदीप," तुमने ताश के पत्तों का महल देखा है ? उसका जो सबसे नीचे का पत्ता होता है ना, उसपे चोट करो तो सारे ताश पत्ते ढह जाते हैं। 

बंटी वही ताश का पत्ता है जिसपे हमें चोट करनी है। मतलब हम बंटी पे चोट करेंगे तो माँ को दर्द होगा। 

फिर मां रिऐक्ट करेगी और फिर माँ बेटे दोनों घर से आउट और हम प्रॉपर वे में इन। "

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अंजली," वैसे बात तो हमेशा मैं पते की करती हूँ। लेकिन आज पते की बात ये है कि इन सब बातों में तुम्हारा दिमाग काफी चलता है। 

संदीप (रोमेंटिक होते हुए)," दिमाग के साथ साथ दिल भी चलता है। "

दोनों गले मिलते हुए किस करते हैं।

ये क्राइम की कहानी आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताएं ?
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हेलो दोस्तों ! मैं हूं आपका अपना दोस्त, प्रदीप। यहां मैं कुछ अनोखी कहानियों के साथ आपका मनोरंजन करूंगा। अगर आपको हमारा लेखन कार्य पसंद आए तो हमें Support करें और अपना प्यार बनाए रखें।

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