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खुले में नहाने वाली बहुएं | Khule Me Nahane Wali Bahuen | Saas Bahu Story | Moral Stories | Gaon Ki Kahani | Hindi Stories

आज की इस कहानी का नाम है - " खुले में नहाने वाली बहुएं " यह एक Saas Bahu Ki Kahani है। अगर आपको Saas Bahu Story, Hindi Kahani या Bedtime Stories पढ़ें
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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है - " खुले में नहाने वाली बहुएं " यह एक Saas Bahu Ki Kahani है। अगर आपको Saas Bahu Story, Hindi Kahani या Bedtime Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

खुले में नहाने वाली बहुएं | Khule Me Nahane Wali Bahuen | Saas Bahu Story | Moral Stories | Gaon Ki Kahani | Hindi Stories

Khule Me Nahane Wali Bahuen | Saas Bahu Story | Moral Stories | Gaon Ki Kahani | Hindi Stories



खुले में नहाने वाली बहुएं

जमींदार साहब आज अपनी गलती पर खुद ही शर्मिंदा थे। आज उनके घर की इज्जत पर दाग लगते लगते बच गया। 

लेडी इन्स्पेक्टर," चौधरी साहब, हमने ब्लैकमेल करने वाले दोनों गुंडों को पकड़ लिया है। वो गुंडे वीरपुर गांव पर बहुत समय से नजर रखे हुए थे।

वो ये भी जानते थे कि वीरपुर गांव की औरतें खुले में नहाती हैं। पर हमें खुशी है कि आपकी छोटी बहू सुधा ने जो हिम्मत दिखाई और उन बदमाशों के खिलाफ़ हमारे पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखवाई। 

उसकी हमें दात देनी होगी। अच्छा चौधरी साहब, मैं चलती हूँ... नमस्ते। "

सास," मैंने आपको कितनी बार समझाया था घर कि बहुओं का खुले में नहाना ठीक नहीं पर आप नहीं माने। अब कुछ भी हो जाए, मैं अपनी बहुओं के लिए घर में गुसलखाने की व्यवस्था जरूर करूँगी। "


फ्लैशबैक...
वीरपुर गांव जहाँ घरों में घुसल खाने की व्यवस्था नहीं थी इसलिए गांव की औरतें खुले में नहाने को मजबूर थी।

सास," अरे नई बहू ! सोकर उठी नहीं क्या ? स्नान के लिए नदी पर जाना है। "

सुधा," बड़ी भाभी, नहानी के लिए नदी पर..? लेकिन यूं खुले में नहाते हुए कोई देख लेगा तो ? "

मालिनी," हाँ सुधा, इस गांव में औरतें खुले में ही नहाती हैं और वैसे भी गांव के लोगों को पता है कि जिस समय गांव की औरतें नदी पर नहाने जाती हैं, उस समय गांव के मर्द नदी के आस पास भी नहीं भटकते। 

अच्छा अब देर मत करो, वैसे भी नदी किनारे इस समय सुनसान होता है। हम जल्दी से नहा कर आ जाएंगे। "

मालिनी और सुधा नदी पर नहाने के लिए जाती हैं। गांव की बहुत सी औरतें पहले ही नदी पर नहा रही थी। सुधा को बहुत शर्म आ रही थी।

सुधा," मालिनी भाभी, ये तो बहुत अजीब लग रहा है। अगर किसी ने हमें देख लिया तो हमारी इज्जत तो मिट्टी में मिल जाएगी। "

नहाती हुई औरतें," काहे शर्मा रही हो बहु रानी..? हमें इतने साल हो गए आज तक तो हमें किसी ने देखा नहीं तो अब कौन देखेगा ? 

चौधरी साहब से सब डरते है। इसलिए नदी किनारे कोई मर्द नहीं आता, सिर्फ औरतें ही नहाती हैं। "

सुधा को बहुत अजीब महसूस हो रहा था पर वो करती क्या ? मजबूरी में उसे मालिनी और बाकी की गांव की औरतों के साथ नदी में उतरना ही पड़ता है। 

बड़ी मुश्किल से सुधा नदी में नहाकर घर आती है। अब तो रोजाना ही वो मालिनी और बाकी की गांव की औरतों के साथ नदी पर नहाने लगी। 

धीरे धीरे जब सुधा को लगा की सचमुच नदी के आसपास सिर्फ औरतें ही आती हैं तो वो थोड़ी बेफिक्र हो गई। पर एक दिन जब सब बहुएं नदी पर नहा रही थी।

सुधा," मालिनी भाभी, लग रहा है कोई हमें देख रहा है। "

मालिनी," नहीं तो, तुम्हारे मन का वहम है। लगता है तुम्हारा डर अभी तक नहीं गया है। चलो जल्दी से नहा लो फिर घर चलते हैं। "

अगले दिन भी सुधा को ऐसा ही महसूस हुआ।


सुधा," मालिनी भाभी, मैं कह रही हूँ ना कि कोई है जो हमें देखता है। मुझे बार बार गलत महसूस नहीं हो सकता। "

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नहाती हुई औरत," अरे बहु रानी ! तुम बेकार में ही डर रही हो। किसी की इतनी मजाल नहीं जो हमें नहाते हुए देख ले। "

ये तो सच था, गांव वालों की इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो गांव की बहुओं को खुले में नहाते हुए देख लें। तो आखिर कौन था जो उन सबको खुले में नहाते हुए देख रहा था ?

गगन," अरे यार मगन ! ये गांव तो बहुत बढ़िया है। यार तूने बिल्कुल सही जगह का पता लगाया है बे। खुले में नहाती गांव वालों की बहुओं के हमने बहुत ही बढ़िया फोटो अपने फ़ोन में निकाल ली हैं बे। "

मगन," वही तो... मैंने बिलकुल सही गांव का पता लगाया ना ? अब इन फोटो का इस्तेमाल करने का सही समय आ गया बे। 

चौधरी की दोनों बहुएं भी उन औरतों के साथ ही नहाने आती हैं। चौधरी की बहुओं को ब्लैकमेल करके अच्छे खासे सोने के जेवर और रुपए ऐँट लेंगे। 

और तू तो जानता ही हैं ये गांव की भोली भाली बहुएं शर्म से किसी को कुछ नहीं बताएंगी। "

गगन," तो ठीक है, किसी दिन रास्ता रोककर ये फोटो है उन्हें दिखा देते हैं। "

मगन," तो देर किस बात की है ? कल दिन में जब वे दोनों नहाकर जा रही होंगी, तभी रास्ते में उन्हें पकड़ लेंगे। "

अगले दिन मालिनी और सुधा नदी पर नहाकर जब हवेली की तरफ जा रही थी तो नदी से थोड़ी दूरी पर जगन और मगन नाम के उन बदमाशों ने उनका रास्ता रोक लिया और उन दोनों को फोटो दिखाने लगे। दोनों बहुएं डर गईं।

गगन," अब अगर तुम दोनों नहीं चाहतीं कि ये फोटो गांव में हर कोई देखे या फिर गांव से बाहर और भी जगह ये फोटो पहुंचे तो जैसा हम कहते हैं वैसा तुम दोनों करोगी। "


मालिनी," नहीं नहीं, हमारी ये फोटो किसी को मत दिखाना। तुम्हे क्या चाहिए, हमें सीधी तरह बता दो ? "

मगन," अगर तुम चाहती हो कि हम ये फोटो किसी को ना दिखाएं और अपने फ़ोन से हटा लें तो कल दोपहर तक 2 लाख रुपए नकद और सोने के जेवर एक बैग में भरकर तुम दोनों हमें लाकर दोगी। उसके बाद हम यहाँ से चले जाएंगे। "

मालिनी," ठीक है, तुम चिंता मत करो। हम कल दोपहर तक तुम्हारी ये मांग पूरी कर देंगे। पर पर तुम तब तक ये फोटो किसी को नहीं दिखाओगे। "

मालिनी पूरी तरह घबरा चुकी थी। वो दोनों घर लौट आती हैं।

सुधा," मालिनी भाभी, हम ये गलत कर रहे हैं। अन्याय के सामने झुकना कायरता है। हम अन्याय को छूट दे रहे हैं। उन मुजरिमों को सजा मिलनी चाहिए। 

उनकी मांगे पूरी करके तो हम उन्हें और बढ़ावा दे रहे हैं। आज वो हमारे साथ ऐसा कर रहे हैं। कल किसी और के साथ करेंगे। ये सरासर गलत है भाभी। "

मालिनी ," तो हम कर भी क्या सकते हैं सुधा ? हमारी फोटो बदमाशों के पास हैं। हम ये बात किसी से नहीं कह सकते। बदमाश हमारी फोटो हर जगह दिखा देंगे। "

पर सुधा बहुत हिम्मत वाली थी। वो मालिनी को बिना बताए पुलिस स्टेशन पहुंचती है और वहाँ पर लेडी ऑफिसर को सारी बात बताती है।

लेडी इन्स्पेक्टर," सुधा, तुम चिंता मत करो। मैंने ऐसे गुंडों को बहुत सीधा किया है। मैं जैसा कहती हूँ वैसा ही करना। "

सुधा पुलिस की मदद ले चुकी थी। अगले दिन वो मालिनी के साथ बदमाशों की बताई जगह पर पहुंचती है। 

गुंडे जैसे ही मालिनी और सुधा के पास आते हैं तभी पुलिस भी वहाँ पहुँच जाती है। पुलिस को देखकर गुंडे घबरा जाते हैं।

लेडी इन्स्पेक्टर," पकड़ लो इन गुंडों को। सीधी साधी गांव की औरतों को ब्लैकमेल करके उनके पैसे और जेवर की मांग करते हो। "

हवलदार," मैडम जी, ये वही गुंडे हैं जिनको आस पास के गांव की पुलिस तलाश कर रही हैं। इन्होंने पहले भी कुछ गाँव की औरतों को ऐसे ही ब्लैकमेल किया था। "


पुलिस के द्वारा गुंडों को पकड़ने की बात चौधरी के कानों तक पहुंचती है। उन्हें भी अपनी गलती का अहसास हो जाता है।

चौधरी," चौधराइन तुम सच कह रही हो, गलती मेरी ही है। मैं ही पुराने ख्यालों में जी रहा था। 

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मैंने कभी इस ओर ध्यान ही नहीं दिया कि हमारी बहू बेटियों को किस चीज़ की सबसे ज्यादा जरूरत है। मैं वादा करता हूँ इस गांव में हर घर में गुसलखाना होगा ताकि फिर कभी किसी बहू बेटी के साथ ऐसा ना हो। "

मालिनी," सुधा, आज तुम्हारी हिम्मत की वजह से हम कितनी बड़ी मुसीबत से बच गए ? "

सुधा," भाभी, ये तो मेरा फर्ज था। मुझे खुशी है कि आज मैंने जो हिम्मत की उस कारण इस गांव की बहुओं को अब खुले में नहीं नहाना पड़ेगा। गांव की इज्जत अब सुरक्षित रहेगी। "

वीरपुर गांव की औरतें सुधा की बहुत तारीफ करती हैं। आज हर घर में गुसलखाना था और गांव की औरतों ने भी अब खुले में नहाना बंद कर दिया था।

आज की ये ख़ास और मज़ेदार कहानी आपको कैसी लगी ? नीचे Comment में जरूर बताएं।

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हेलो दोस्तों ! मैं हूं आपका अपना दोस्त, प्रदीप। यहां मैं कुछ अनोखी कहानियों के साथ आपका मनोरंजन करूंगा। अगर आपको हमारा लेखन कार्य पसंद आए तो हमें Support करें और अपना प्यार बनाए रखें।

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