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द्रौपदी | Draupadi | Horror Story | Bhutiya Kahani | Most Scary Story | Horror Stories in Hindi

आज की इस कहानी का नाम है - द्रौपदी। यह एक Sachhi Horror Kahani है। तो अगर आपको भी Darawani Kahaniya, Bhutiya Kahani या Horror Story पढ़ें।
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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है - द्रौपदी। यह एक Sachhi Horror Kahani है। तो अगर आपको भी Darawani Kahaniya, Bhutiya Kahani या Horror Story पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

द्रौपदी | Draupadi | Horror Story | Bhutiya Kahani | Most Scary Story | Horror Stories in Hindi

Draupadi | Horror Story | Bhutiya Kahani | Most Scary Story | Horror Stories in Hindi


द्रौपदी

चंदा," गाँव वाले तो मना करत रहे ई जंगल वाला रास्ता से आने को। पर अगर रोड से गई तो जाने में ही हमका दुई घंटा से ज्यादा समय लगी और अगर जंगल से गयी तो महज आधे घंटे में हमार घर आ जाई। पर... "

चंदा खुद से कहते हुए रोड और जंगल के रास्ते में से किसी एक को चुनने को तैयार हुई ही थी कि उसकी सारी सोच इस..." पर " पर आकर रुक गई। 

उसे जब कुछ नहीं सूझा तो बिना कुछ सोचे समझे जंगल के अन्दर चल दी।

बस कुछ ही दूर और चंदा बस... कुछ ही दूर और फिर जल्दी ही तुहार घर आ जाई। और तो और बच्चा तुहार गोद में खेलत रही चंदा। 


वैसे भी रोज़ रोज़ थोड़ी ना तू इस रास्ता से आत जात रही। हिम्मत रख चंदा और डर मत। "

चंदा खुद से कहते हुए तेज कदमों से जंगल पार करने की कोशिश में लगी हुई थी कि अचानक ही आसमान में इतनी ज़ोर से बिजली की दहाड़ गूंजी, जिसे देख मुनिया के पैर एक जगह जम गए।

उसे उस बिजली की रौशनी में एक अनजान मौत का अक्स दिखाई दिया था। इससे पहले की चंदा उस मर्द का चेहरा देख पाती, रौशनी ने फिर से रात की काली चादर ओढ ली। 

चंदा इसे अपना वहम समझकर आगे बढ़ ही रही थी कि तभी उसे लगा कि अंधेरे में किसी ने उसका पल्लू खींचा।

वह तुरंत ही सहम सी गई। उसने कांपते हाथों से वापस अपना पल्लू पकड़ा तो महसूस हुआ कि वो किसी लकड़ी की ओट में जा फंसा है।

चंदा इसे अपनी नादानी समझकर लंबी सांसे लेने को हुई थी कि तभी किसी ने चंदा को कमर से पकड़कर उसे जमीन पर पटक दिया।

चंदा पहले से ही जान गई थी कि ये किसी मर्द का हाथ था।

बदमाश," अरे ! इतनी भी क्या जल्दी है ? अभी तो पूरी रात बाकी है। अभी से घर जाकर क्या करेगी ? "

चंदा ने अंधेरे में किसी मर्द को कहते हुए सुना। उसकी बातों से ही उसके मन में पल रही हवस की बू आ रही थी।

चंदा," हम कहत रही, छोड़ दो हमरा के। हम तोहार का बिगाड़त रहे ? देख, हमका जाने दे। हमरा बच्चा घर पर भूखा है, ऊका दूध पिलाने वाला कोई भी नाही है। 

एक विधवा को नास कर तोहार का मिली ? हमरा को छोड़ दे। हम तोहार आगे हाथ जोड़त रही। "

चंदा बोल ही रही थी कि तभी आसमान में एक जोर की बिजली चमकी और मुनिया ने खुद को ढेर सारे अंजान मर्दों से घिरा पाया, जो किसी हवन कुंड में अपनी हवस की आहूति डालने को बेताब खड़े थे।

चंदा ये देखकर उसी वक्त बिलख बिलखकर रोने लगी। उसे लगा कि आज ये हवस के भूखे भेड़िए उसे नोचकर खा जाएंगे और शायद फिर कभी वो अपने बच्चों को नहीं देख पाएगी।

कि तभी मौसम ने भी अपना कहर दिखाया। इतनी तेज बारिश होने लगी कि मानो जिस्म में छेद कर दे। 

बारिश ने चंदा की सारी कोशिशों को नाकाम कर दिया था। कि तभी अचानक उसे धीरे धीरे अपने बदन पर अजनबियों के हाथ महसूस होने लगे थे। 

चंदा," हम कहत रही, छोड़ दे हमरा के वरना हम ऊका आह्वान कर उसे बुला ले। ऊ तुम सबन के टुकड़े टुकड़े कर देई। "


बदमाश," किसकी बात कर रही है ? यहां तुझे बचाने कोई नहीं आने वाला। "

चंदा," आई... ऊ आई और तुम सबन के एक झटके में मौत के घाट उतार देई। "

चंदा की आँखों में एक उम्मीद चमक रही थी जिसके सहारे उसने सबको दूर रहने को भी कहा। पर हवस के अंधे लोगों ने चंदा की एक ना सुनी।

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बदमाश," पूरा गैंग आया है तुझे चखने के लिए और तू है कि डर रही है। इसे अपनी खुशकिस्मती मान और निढाल हो जा। 

तू भी क्या याद रखेगी, चौधरी के गैंग को खुश करने का मौका मिल रहा है तुझे चौधरी के गैंग को ? पूरे 40 कोस तक इसका डंका बजेगा पगली। 

अब और रात काली मत कर। चल, आ जा जल्दी से। "

चंदा," ने भी तुरंत अपनी आँखें बंद कर ली जैसे वो किसी का आह्वान कर रही हो। फिर चीखते हुए उसने कहा।

चंदा," च्रौपती, हमार रक्षा करी। देवी द्रौपदी ! हमार रक्षा करी। ई भेड़िया लोग हमका भी तुहार तरह बर्बाद करने का सोचे हैं देवी।

चंदा के इतना कहते ही तेज बरसात में एक बवंडर सा उठने लगा। मौजूद सभी मर्द अंधेरे में किसी शक्ति को अपनी तरफ आता हुआ महसूस कर रहे थे।

उनकी आँखें अंधेरे में ही किसी को तलाशने लगी पर किसी को भी अपनी मौत के काले रंग के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं दिया।

बदमाश," लगता है द्रोपदी सच में वापस आ गई है। भागो अपनी जान बचाओ, द्रौपदी वापस आ गई है। "

अचानक इस बात का हल्ला हुआ और चंदा को छोड़कर सभी लोग अपनी जान बचाकर भागने लगे। जंगल के कोने कोने से लोगों की चीखें की आवाज आने लगी।

द्रौपदी," तू अभी तक जिंदा है। मैं तुझे ही ढूंढ रही थी। मुझे बर्बाद करने के बाद तेरा पेट नहीं भरा जो तू अब इस अभागन को बर्बाद करना चाहता है। 

मैं तेरे भी उतने ही टुकड़े करूँगी, जितने तूने मेरे किए थे बलवंत। "

बिजली की चमक थी। रौशनी में एक औरत जिसके जिस्म पर कपड़े का रेशा तक नहीं था, वो किसी भूखी शेरनी की तरह उनका शिकार कर रही थी। 

तभी चंदा ने भी देखा कि एक वस्त्रहीन औरत हवा में एक आदमी को गर्दन से पकड़कर उससे बातें कर रही थी।


बादलों की गड़गड़ाहट गूंजी और चंदा ने देखा कि उस निर्वस्त्र औरत ने अपने मुँह से शक्ति निकाल उस आदमी के टुकड़े टुकड़े कर दिए और उसका सिर चंदा के कदमों में फेंक दिया। 

कटा हुआ सिर देख चंदा सहम गई क्योंकि उसकी आँखें अभी भी चंदा के जिस्म को ही ताड़ रही थी।

अभी कुछ देर पहले चंदा जिन मर्दों की हंसी सुनकर डर रही थी, जिन मर्दों ने चंदा के जिस्म को पाना चाहा था, चंदा अब उन्हीं मर्दों की चीखें सुन चौख पड़ी। 

वो एक पल में समझ गई कि निर्वस्त्र औरत कोई और नहीं बल्कि देवी द्रौपदी ही है। 

महिला इन्स्पेक्टर," क्या पागल हो गए हो क्या ? किसी डायन की पिक्चर की कहानी ले आए हो मेरे पास ? 

इसमें लिखा है कि इन 22 लोगों को किसी द्रौपदी नाम की एक निवस्त्र डायन ने मारा है, जो बेहद खूंखार है और जिसके बाल जमीन छूते हैं। 

व्हाट रबिश इज दिस ? अगर ये रिपोर्ट मैंने जॅज के सामने रखी ना तो जॅज मुझे ही अंदर डाल देगा। "

चंदा का लिखा बयान जब मैंने पढ़ा तो मुझे बहुत गुस्सा आया। मैं जानती थी कि ये काम किसी एक शख्स का हो ही नहीं सकता और एक लड़की का तो बिल्कुल भी नहीं। 

पर एक रात मैं 22 लोगों का इतनी बेरहमी से कत्ल कर देना, ये भी कोई मजाक नहीं था। इन सवालों से जूझते हुए मैंने हवलदार को फटकारते हुए कहा। 

महिला इन्स्पेक्टर," आखिर ये चंदा कौन है ? "

हवलदार ने मुझे एक 17 साल की लड़की की ओर इशारा करते हुए कहा।

हवलदार," गौरी मैडम, वो ही चंदा है। विधवा है। "

चंदा," नाही मैडम जी, इन सबन के देवी द्रौपदी ही मारी है। हम उन्हीं को देखे थे कल। वो निर्वस्त्र हीन राक्षसों का सर्वनाश कर रही थी। "

चंदा के मुँह से देवी द्रौपदी की कहानी सुन मैं पक चुकी थी। तभी मैंने झल्लाते हुए चंदा से फिर से कहा।

मैं," बस करो और सिर्फ इतना बताओ कि क्या तुमने कल उस औरत का चेहरा देखा था जिसने इन 22 लोगों को मारा है ? जिसकी तुम बात कर रही हो ? "

मेरे इस गर्म लहज़े ने चंदा के साथ साथ उसकी गोद में खेल रहे बच्चे को भी डरा दिया था।


बच्चा अभी रोने को ही हुआ था कि चंदा ने मुझे सुनाते हुए कहा। 

चंदा," कल रात हम देवी द्रौपदी का चेहरा ही देखे थे और यही सच है। अगर तोहार के फिर भी यकीन ना हो तो जाकर खुद ही देख लो देवी द्रोपदी को। 

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हम गांव वाला इस जंगल के बीचा बीच देवी द्रौपदी का मंदिर बनावे है। जा तू ऊका दर्शन कर ले आओ।  "

सच कहूँ तो चंदा को देखकर मैं दंग रह गई। एक 17 साल की विधवा लड़की की गोद में आठ महीने का बच्चा देखकर मैं बेचैन सी हो गई।

मैं," तुम तो खुद एक बच्ची हो, फिर भला तुम कैसे अपने बच्चे को संभालती होगी ?

मैंने जाते ही मुनिया से पूछा था। वो बेचारी तो मेरे जिस्म पर वर्दी देखकर कांप गई थी। 

पर मुनिया की बात सुनकर मैंने हवलदार को सीधा मंदिर चलने को कहा। पर मेरी बात सुन हवलदार का मुँह बन गया। उसने बड़बड़ाते हुए कहा।

हवलदार," क्या पागल औरत है ? अभी रात को 22 लोगों की मौत हुई है जंगल में। अभी फिर रात होने वाली है और इसे मंदिर जाना है। 

अच्छा हुआ इसके पति ने इसे छोड़ दिया। ऐसी पागल औरत के साथ रहेगा भी कौन ? "

हवलदार की बातें मैंने साफ साफ सुनीं थीं। दरअसल उसमें, मेरे पापा में और मेरे पति में ज्यादा फरक नहीं था। 

सब मेरे बारे में यही सोच रखते थे। पर मेरे बदन पर डी एस पी की वर्दी देख हवलदार की एक न चली और गाड़ी को रफ्तार देता हुआ वो मुझे मंदिर की ओर ले जाने लगा। 

शाम से अब रात हो चुकी थी। गाड़ी अभी कुछ दूर ही गई थी कि एक गोली ने सब कुछ शांत कर दिया... गाड़ी को भी। क्योंकि किसी ने हवलदार को गोली मार दी थी। 

बदमाश," चलो रे ! निकालो उस डी एस पी को गाड़ी से बाहर बड़ी आई इंसाफ करने वाली। "

ये कहते हुए कुछ लोगों ने मेरी गाड़ी को घेर लिया था।


मेरे जिस्म के हर हिस्से पर बंदूक तनी हुई थी। अगर मैं बाहर नहीं आती तो शायद वो लोग मुझे गाड़ी के अंदर ही छल्ली कर देते। 

मुझे उनके हाव भाव देखकर ही समझ आ गया था कि वो लोग भी मेरे साथ वही करना चाहते थे जो उन्होंने मुनिया के साथ करने की कोशिश की थी। 

मैं," मैं कहती हूँ दूर रहो मुझसे वरना मैं एक एक को भूनकर रख दूंगी। "

मैंने रिवॉल्वर निकालकर सबको धमकाते हुए कहा। मैं गाड़ी से बाहर आ गई। 

पर वो लोग इतने सारे थे कि मैं अंधेरे में सबको देख भी नहीं पा रही थी कि तभी अचानक किसी ने मुझे पीछे से धक्का दिया, जिससे मैं जमीन पर गिर गई और मेरी रिवॉल्वर अंधेरे में कहीं खो गई। 

इससे पहले कि मैं खुद को संभाल पाती, और लोगों ने मुझे जकड़ लिया था।

मैं," खबरदार किसी ने मुझे छूने की कोशिश भी करी तो। छोड़ो मुझे। तुम लोग शायद भूल रहे हो कि मैं एक डी एस पी हूँ। तुम लोगों को छोडूंगी नहीं। "

बदमाश (हंसते हुए)," मैं तो डर गया। मुझे तो अभी से मेरी मौत सामने दिखाई दे रही है। "

बदमाश," चलो रे ! नोंच फेंको इसके जिस्म से इस वर्दी को। आज तक हमने कानून के हाथ के बारे में सुना था। ज़रा आज कानून का जिस्म भी देखते हैं। "

इतना कहकर वो आदमी मुझे इधर उधर छूने लगा था। मैं भी चंदा की तरह चीखने चिल्लाने लगी थी पर मेरी मदद को कोई नहीं आया। 

दरिंदे ने मेरे जिस्म से मेरी वर्दी को नोच फेंका था। मैं अब किसी को मुँह दिखाने के लायक ही नहीं रही थी। 

तभी चंदा की कही एक बात मुझे याद आई। उसने कहा था कि कल को अगर मेरी इज्जत पर बात आ जाए तो मैं भी देवी द्रोपदी को ही याद करूँ। 

वो मेरी मदद के लिए जरूर आएंगी। भले ही मुझे चंदा के बयान पर यकीन नहीं था पर इस वक्त मेरे पास दूसरी कोई उम्मीद भी नहीं थी। तो मैंने भी अपनी आँखे बंद कर बस इतना कहा। 

मैं," देवी द्रोपदी, मेरी रक्षा करो। मुझे आपकी जरूरत है। ये दरिंदे चंदा की तरह मेरी इज्जत को भी तार तार करने वाले है देवी द्रौपदी। "

मेरे इतना कहते ही अंधेरी रात में सुनसान जंगल के बीचो बीच तेज हवाएं चलने लगीं। इससे पहले कि मैं कुछ सोच पाती, ये समझ पाती जो हाथ मेरे जिस्म को नोच रहे थे वो अब अपने शरीर से कट चुके थे। 

मुझे भी अंधेरे में किसी शक्ति का आभास हुआ था। बहुत कोशिश करने पर भी बस में इतना देख पाई थी कि एक निर्वस्त्र औरत उन मर्दों का संहार कर रही थी। 

उसके जिस्म के टुकड़े टुकड़े कर रही थी। कुछ देर बाद जब मैंने होश संभाला तो देखा, दूर दूर तक जमीन पर इंसानों के टुकड़े पड़े हैं। 


जमीन पर इतना खून बिखरा हुआ था कि मानो जैसे किसी ने खून की नदियां बहा दी हों। इतना सारा खून और इंसानी मांस देखकर मैं सहम गई थी। तभी अंधेरे में किसी ने मुझसे कहा।

देवी," डरो मत, तुम्हें परेशान करने के लिए अब कोई जिंदा नहीं बचा। अब तुम आराम से घर चली जाओ। तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है। "

ये आवाज़ किसी औरत की थी या फिर यूँ कहू कि देवी द्रौपदी की थी। मैंने भी इस मौके को खाली नहीं जाने दिया। 

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इससे पहले की देवी द्रोपदी हवा में विलीन होतीं, मैंने उनसे तुरंत ही पूछा।

मैं," आप कौन हैं ? आप पर कपड़े का एक रेशा तक नहीं है। आखिर ऐसा क्यों ? क्या हुआ था आपके साथ ? "

मेरा ये सवाल सुन देवी द्रौपदी रोने लगी थी, जिससे सारा जंगल दहल उठा था। तभी देवी द्रौपदी ने बस ये कहा।

देवी," दीदी, मुझे पहचाना नहीं ? मैं... मैं सक्कू। "

इतना कहकर देवी द्रौपदी हवा में विलीन हो गई। 

आखिर ऐसी क्या कहानी थी देवी द्रौपदी की जो वो निर्वस्त्र ही लड़कियों की इज्जत की रक्षा करती थी ? और क्या कनेक्शन था डी एस पी कल्पना का और देवी द्रौपदी का ? जानने के लिए  कहानी का अगला भाग जरूर पढ़ें। 


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