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जादुई ट्रैन | Jadui Train | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Hindi Story | Jadui Kahani | Hindi Fairy Tales

आज की इस कहानी का नाम है - " जादुई ट्रैन " यह एक Jadui Kahani है। अगर आपको Hindi Stories, Moral Story in Hindi या Hindi Kahaniya पढ़ें।
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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है - " जादुई ट्रैन  " यह एक Jadui Kahani है। अगर आपको Hindi Stories, Moral Story in Hindi या Hindi Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

जादुई ट्रैन | Jadui Train | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Hindi Story | Jadui Kahani | Hindi Fairy Tales

Jadui Train | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Hindi Story | Jadui Kahani | Hindi Fairy Tales


कासगंज गांव में एक क्रूर और लालची मुखिया रहता था। उसका नाम चतुरसिंह था, जिसके क्रूर स्वभाव की वजह से गांव के सभी लोग परेशान थे।

गुड्डू की पत्नी विमला गर्भ से थी। विमला अपने पति से गांव के मुखिया के बारे में बात कर रही थी।

विमला," आखिर कब तक हम सभी गांववासी मुखिया का अपमान झेलते रहेंगे ? "

गुड्डू," क्यों... क्या हुआ ? अब क्या किया मुखिया ने ? "

विमला," कल गाँव के कुछ बुजुर्ग व्यक्ति गांव की समस्या के बारे में मुखिया से बात करने के लिए उसके घर गए थे। मगर मुखिया ने उन सबको अपमानित करके अपने घर से भगा दिया। "


गुड्डू," सारा गांव जानता है कि मुखिया किसी की इज्जत नहीं करता। फिर ये गांव वाले क्यों उसके पास मदद मांगने के लिए चले जाते हैं ? "

विमला," मुखिया के पास नहीं जाएंगे तो फिर किसके पास जाएंगे ? आखिर सब गांव वालों ने आपस में मिलकर ही उसे गांव का मुखिया चुना है। "

गुड्डू," अरे ! किसी गांव वाले ने उसे गांव का मुखिया घोषित नहीं किया। हम सब जानते हैं कि वो मुखिया बेईमानी से बना है। 

सच तो ये है विमला कि गांव वालों ने डरकर उसे मुखिया बनाया है। "

विमला," कल लता ताई के बेटे सोमू की तबियत अचानक खराब हो गई। वो बेचारी उसे अस्पताल तक भी नहीं ले जा पाई और उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। आखिर कब तक गाँव वाले ऐसे ही मौत मरते रहेंगे ? "

गुड्डू," हाँ, मुझे पता है। लेकिन विमला हम सब कर भी क्या सकते हैं ? और वैसे तुम्हें इन गांव वालों की कब से इतनी चिंता होने लगी ? "

विमला," क्योंकि मैं भी इसी गांव में रहती हूँ और हमारे लिए भी चिंता वाली बात है। कुछ महीनों बाद मेरी कोक से एक संतान जन्म लेने वाली है और हमारे गांव से शहर का रास्ता काफी लंबा पड़ता है। 

ना तो यहाँ कोई बस आती है और ना ही कोई ट्रैन। और बैलगाड़ी समय पर शहर नहीं पहुंचा पाती। "

विमला की बात सुनकर गुड्डू चिंतित स्वर में बोला।

गुड्डू," बात तो तुम सही कह रही हो विमला। इस बात पर तो मैंने ध्यान ही नहीं दिया कि कुछ महीनों बाद हमारे घर में एक नन्हा मेहमान आने वाला है। 

मैं तुम्हें पहले से अस्पताल में दाखिल भी नहीं करा सकता क्योंकि मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं। "

विमला," यही बात तो मैं आपको समझाना चाह रही हूँ कि आप गांव वालों के साथ मिलकर मुखिया पर दबाव बनाने की बात करें कि वो गांव के लिए सरकार से बात करे। 

हमारे गांव से लेकर शहर तक पक्की सड़क बने ताकि गांव के लोगों को दूसरे गांव या शहर में जाने के लिए किसी समस्या का सामना ना करना पड़े। "

गुड्डू," तुम सही कहती हो विमला। मैं कल ही होशियार सिंह और बिलुआ से बात करता हूँ। इस गांव में सिर्फ वो दोनों ही है जिनसे मुखिया थोड़ा डरता है। "

गुड्डू ने गांव के एक पुराने पेड़ के नीचे कुछ गांव वालों को बुलाया। उनमें होशियारसिंह और बिलुआ भी थे। 

होशियार सिंह," क्या बात है गुड्डू ? आखिर तूने हम सबको यहाँ पर क्यों बुलाया है ? सब कुछ ठीक तो है ना ? "

गुड्डू," होशियार सिंह, आखिर कब तक हम मुखिया के भरोसे बैठे रहेंगे ? अगर मुखिया इस गांव के लिए कुछ नहीं करता तो हम सबका भी कर्तव्य है कि हम अपने तरीके से अपने गांव के विकास के बारे में सोचे। "

बिलुआ," ठीक है गुड्डू। तू तो ऐसे बोल रहा है जैसे कि हम सब किसी बहुत बड़े सरकारी पद पर हो और सरकारी अफसर सिर्फ हमारी ही बात सुनने के लिए बैठे हैं। "

गुड्डू," कोशिश करने में क्या जाता है, बिलुआ। "

होशियार सिंह," साफ साफ बोल तू आखिर कहना क्या चाहता है ? "


गुड्डू," होशियार सिंह, आप तो अच्छी तरह से जानते हैं कि हमारा गांव प्राकृतिक रूप से कितना सुंदर है ? और इतना सुंदर गांव होने के बावजूद भी कोई टूरिस्ट हमारे गांव में भटकने तक नहीं आता। 

आखिर वो क्यों आएगा ? क्योंकि हमारे गांव में ना ही अच्छी और पक्की सड़क है और ना ही कोई रेल की व्यवस्था। 

इसी वजह से हमारे गांव के ना जाने कितने लोगों को मुसीबत का सामना करना पड़ता है ? और तो और कल लता ताई का इकलौता जवान बेटा सोमू भी इसी वजह से दुनिया छोड़कर चला गया। "

बिलुआ," ये अचानक तेरे मन में गांव के प्रति इतना प्रेम कैसे उठने लगा गुड्डू ? "

गुड्डू," ये कैसी बात है बिलुआ ? क्या अपने गांव के प्रति प्रेम नहीं होना चाहिए ? "

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बिलुआ," बिल्कुल होना चाहिए। क्यों नहीं होना चाहिए ? मगर ये प्रेम तब कहां गया था जब मुखिया ने सुखिया चाचा को बुरी तरह से पीटा था वो भी सिर्फ चंद पैसों के लिए ? 

गुड्डू तू एक नंबर का मतलबी व्यक्ति है। हम सब जानते हैं कि तेरी पत्नी गर्भ से है और इसी वजह से तेरे मन में गांव के प्रति चिंता उमढ़ रही है। 

तू चाहता है कि हम तेरे लिए गांव के मुखिया से झगड़ा मोल ले लें। "

गुड्डू," अब तुम मेरी बात का गलत मतलब ले रहे हो। बिलुआ, मैंने तुम्हें और होशियार सिंह को सिर्फ इसी वजह से यहाँ पर बुलाया था कि मुखिया सिर्फ तुम दोनों से ही थोड़ा डरता है। 


क्योंकि मुखिया के बाद तुम दोनों ही इस गांव में दबंग प्रवृति के हो। "

होशियार सिंह," अरे ! अगर दबंग प्रवृति के हैं तो तू क्या चाहता है कि हम मुखिया से दुश्मनी मोल लेकर अपने बीवी और बच्चों को मुसीबत में डलवा दें ? "

बिलुआ," सही बोला। मुखिया नहीं चाहता कि यहाँ पर कोई सड़क बने या यहाँ पर कोई रेल की पटरी बने। 

क्योंकि अगर ऐसा होगा तो इससे बाहर के लोगों का गांव में आना जाना होगा और मुखिया अपनी मनमानी नहीं कर पाएगा। "

कुछ देर बाद बिलुआ और होशियार सिंह और सारे वहाँ से चले जाते हैं।

गुड्डू ने गांव के हर घर का दरवाजा खटखटाया, मगर किसी ने भी उसकी मदद नहीं की। थक हारकर गुड्डू रमेश की चाय की दुकान पर बैठ गया।

गुड्डू," एक कप चाय पिला दो रमेश। "

रमेश," काफी परेशान दिख रहे हो गुड्डू भैया। सब कुछ ठीक तो है ? "

गुड्डू," अब क्या बताऊँ तुम्हे ? मैं गांव वालों को सही रास्ता दिखाने की कोशिश कर रहा हूँ। 


मगर गांव वाले तो जैसे आँखे बंद करके बैठे हुए हैं। कोई मेरी बात सुनना ही नहीं चाहता। "

रमेश," मैं जानता हूँ, तुम उन सबसे इस गांव की सड़क के बारे में बात कर रहे थे। कोई फायदा नहीं गुड्डू भैया, इन सबको आदत है ऐसे ही जीने की। "

गुड्डू," शायद तुम सही कह रहे हो, इन सब को गुलामी में ही जीने की और अपने ऊपर जुल्म सहने की आदत पड़ गई है। "

कुछ महीने ऐसे ही बीत गए। एक रात अचानक विमला के पेट में दर्द होने लगा। गुड्डू ने तुरंत अपनी बैलगाड़ी शहर की तरफ दौड़ा दी। 

विमला दर्द से तड़प रही थी। अचानक बैल गाड़ी का पहिया एक पत्थर के ऊपर चढ़ गया। बैल गाड़ी का संतुलन बिगड़ जाने की वजह से विमला झाड़ियों में गिर गई।

गुड्डू," कहीं तुम्हें चोट तो नहीं लगी ?

विमला," मुझे बहुत दर्द हो रहा है। "

गुड्डू," अंधेरे की वजह से मुझे ज़मीन पर पड़ा हुआ पत्थर नहीं दिखा दिया। बैलगाड़ी का पहिया भी टूट गया है। "

विमला," क्या... बैलगाड़ी का पहिया भी टूट गया ? अब हम शहर कैसे पहुँचेंगे ? मुझे नहीं लगता कि तुम मुझे अस्पताल में भर्ती करवा पाओगे। "

गुड्डू," हिम्मत मत हारो विमला, कोई ना कोई समाधान निकल आएगा। "

तभी विमला दर्द से कराहने लगी। अचानक गुड्डू के कानों में ट्रैन की हॉर्न की आवाज टकराई।

गुड्डू," ये तो ट्रैन के हॉर्न की आवाज है, मगर यहाँ असपास तो कोई भी रेल की पटरी तक मौजूद नहीं है। फिर ये आवाज कहाँ से आ रही है ? "

विमला," ये तो रेलगाडी की आवाज है। क्या हमारे गांव में इसकी सुविधा हो गई है जी ? "

गुड्डू," नहीं विमला, अपने गांव में तो रेल की पटरियां तक नहीं बिछी। "

विमला," लेकिन ये आवाज तो बिल्कुल नज़दीक से आ रही है। ऐसा लगता है जैसे कि रेलगाडी कुछ ही कदम पर खड़ी हुई हो। आप मुझे वहाँ पर ले चलें। "

गुड्डू," पागल हो क्या ? जब यहाँ पर रेल की पटरियां ही मौजूद नहीं तो भला रेल कहाँ से आ सकती है ? "

तभी ट्रैन की हॉर्न की आवाज़ें और तेज़ हो गई और विमला दर्द से तड़पने लगी।

गुड्डू को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वो क्या करे ? गुड्डू ने विमला को अपनी गोंद में उठा लिया और उसने अपने कदम ट्रैन की हॉर्न की तरफ कर लिए। 

कुछ देर बाद गुड्डू एक जंगल में खड़ा था। हॉर्न की आवाज़ें लगातार आ रही थी मगर कोई ट्रैन वहाँ मौजूद नहीं थी। 

गुड्डू," ये क्या हो रहा है मेरे साथ ? ये ट्रैन के हार्न की आवाज मुझे और विमला को क्यों सुनाई दे रही है ? 

जबकि यहाँ घने जंगल और अंधेरे के अलावा कुछ भी नहीं है। "

तभी पूरा जंगल रौशनी से जगमगा उठा और एक अजीब राह पर ट्रैन गुड्डू को दिखाई देने लगी। अचानक गुड्डू के कानों में एक आवाज गूंजी।

आवाज," इस ट्रैन के अंदर अपनी पत्नी को लेकर बैठ जाओ। ये तुम्हें अपनी मंजिल तक पहुंचा देगी। "

गुड्डू विमला को लेकर उस रहस्यमयी ट्रैन में बैठ गया। कुछ ही देर में ट्रैन ने गुड्डू को शहर पहुंचा दिया और फिर से वही आवाज गुड्डू के कानों में गूंजी।


आवाज," अपनी पत्नी के सही होने के बाद इसी जगह पर आ जाना, ये ट्रैन तुम्हे तुम्हारे गांव तक छोड़ देगी। "

गुड्डू," लेकिन कौन हो तुम और मुझे दिखाई क्यों नहीं दे रहे ? "

आवाज," वक्त आने पर तुम्हे सब पता लग जाएगा। ये ट्रैन सिर्फ तुम्हारे लिए नहीं बल्कि तुम्हारे गांव के सभी गरीब लोगों के लिए है। 

ये ट्रैन उन लोगों के लिए है जो मुसीबत में घिरे होते हैं। ठीक वैसे ही जैसे कुछ देर पहले तुम घिरे हुए थे। जब तक तुम नहीं आ जाते, ये ट्रैन तुम्हारा यहीं इंतजार करेगी। "

गुड्डू ने पत्नी को हॉस्पिटल में एडमिट करवा दिया। कुछ समय बाद गुड्डू अपनी गोद में एक बच्चे को लेकर उसे सुनसान रेल की पटरी पर आ गया। 


ट्रैन ठीक वैसे ही खड़ी हुई थी। कुछ ही देर में उस ट्रैन ने गुड्डू को गांव पहुंचा दिया।

धीरे धीरे करके गांव के सभी गरीब लोग उस ट्रैन में यात्रा करने लगे और व्यापार भी करने लगे। गांव में खुशहाली बढ़ने लगी। यह देख मुखिया अपने साथी कालिया से बोला।

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मुखिया," कालिया, जाओ जाकर होशियार सिंह और बिलुआ को बुलाकर लेकर आओ। "

कालिया," लेकिन मुखिया जी वो दोनों तो आपके दुश्मन हैं। भला आपको उन दोनों से कौन सा काम पढ़ गया ? "

मुखिया," अरे मूर्ख व्यक्ति ! वो मेरे दुश्मन नहीं बल्कि दोस्त हैं। ये बात तुम्हारी खोपड़ी में नहीं घुसेगी। अगर घुस जाती तो आज तुम मेरी जगह पर होते। "

मुखिया," ये मैं क्या देख रहा हूँ ? गांव में ना तो पक्की सड़क है और ना ही कोई रेल का साधन... फिर ये गांव वाले शहर में व्यापार कैसे कर रहे हैं ? बैलगाड़ी से आने जाने में काफी समय लगता है। "

होशियार सिंह," यही बात तो मुझे भी परेशान कर रही है मुखिया। समझ में नहीं आता कि आखिर ये सब क्या हो रहा है ? "

बिलुआ," मैंने एक बात पर गौर किया है मुखिया जी। जब से गुड्डू शहर से लौटा है तब से ही गांव के लोगों का जीवन बदलने लगा है। 

हो ना हो... गुड्डू जरूर इस बारे में जरूर कुछ जानता होगा। "

मुखिया ," अगर ऐसा ही रहा तो हम तीनों का सपना अधूरा रह जाएगा। मैंने आज तक कभी भी इस गांव में पक्की सड़क नहीं बनने दी और जब भी कोई रेलवे मंत्रालय से यहाँ पर कोई ऑर्डर लेकर आया तो मैंने रिश्वत देकर उस पर कोर्ट से स्टे लगवा दिया। 


मैं सोचता था कि कुछ सालों बाद ये सारे गांव वाले गांव छोड़कर चले जाएंगे और मैं सारे गांव की जमीन पर कब्जा करके यहाँ पर एक फाइव स्टार होटल बनवा लूँगा।

लेकिन गांव वाले जिस हिसाब से तरक्की कर रहे हैं तो मुझे तो अब सब कुछ बहुत मुश्किल लग रहा है। "

होशियार सिंह," ये क्या बोल रहे हैं आप ? अगर ऐसा हुआ तो मैं और बिलुआ बर्बाद हो जाएंगे। 

मैंने तो आपके भरोसे गांव की बहुत सी जमीन गिरवी भी रख दी है और लाखों रुपए अडवांस भी ले लिए हैं। "

मुखिया," उनके पैसों को तुम दोनों ने अपनी अय्याशी में खर्च भी कर दिया है। कभी सोचा है कि अगर गांव में ऐसे ही तरक्की का हाल रहा तो वो तुम्हें पैसे वापस लौटाने होंगे। 

जिन बिल्डरों से पैसा तुम अडवांस लेकर आए हो, कहाँ से दोगे उन्हें ? "

बिलुआ," आप चिंता मत करिए, मुखिया जी। मुझे पता है कि मुझे इस बारे में कैसे निपटारा करना है। "

अगले दिन बिलुआ गांव वालों पर नजर रखने लगा। बिलुआ गांव वालों का पीछा करते हुए उसी जंगल में पहुँच गया जहाँ पर वो रहस्यमयी ट्रैन आती थी।

ट्रैन को आते देखकर बिलुआ हैरत में पड़ गया और अपने आप से बोला।

बिलुआ," ये तो बड़ी रहस्यमयी और चमत्कारिक ट्रैन है। इसका मतलब यही ट्रैन इन सब लोगों की मदद कर रही है। मुझे ये बात मुखिया को जाकर तुरंत बतानी होगी। "

बिलुआ ने तुरंत जाकर मुखिया को सारी घटना बता दी।

कहीं तूने भांग तो नहीं पी राखी बिलुआ ? तू जानता भी है तू क्या बोल रहा है ? "

बिलुआ," मैं अपनी आँखों से देख के बता रहा हूँ मुखिया जी। एक बार तो मुझे भी विश्वास नहीं हुआ था। अगर आपको यकीन नहीं आता तो आप खुद चलकर मेरे साथ देख लीजिए। 

ऐसे में ट्रैन उस घने जंगल में अपने आप अचानक आ जाती है और सभी गांव वाले जैसे ही उस ट्रैन में बैठते है, वो गायब हो जाती है। "

मुखिया," अगर ऐसी बात है तो फिर सारे गांव वाले शाम को वापस आते हैं। हम अपने आदमियों के साथ उनका पहले से ही वहाँ इंतजार करेंगे। इन गांव वालों को अब धक्के मारकर ही भगाना पड़ेगा। "

मुखिया कुछ गुंडों को लेकर होशियार सिंह और बिलुआ के साथ शाम के वक्त उस जंगल में पहुँच गया। अचानक वो रहस्यमयी ट्रैन जंगल में आकर खड़ी हो गई।

यह देखकर मुखिया हैरत से बोला।

मुखिया," ये कैसे मुमकिन हो सकता है ? मुझे अभी अपनी आँखों पे विश्वास नहीं हो रहा। "

तभी गांव वालों ने देखा कि मुखिया कुछ गुंडों के साथ गुस्से में उन सबको घूर रहा था।

उनमें गुड्डू भी था। बिलुआ और होशियार सिंह को मुखिया के साथ देखकर गुड्डू और गांव वाले हैरान रह गए।

गुड्डू," होशियार सिंह और बिलुआ, आप दोनों मुखिया के साथ क्या कर रहे है ? "

बिलुआ," आँखों से अंधा है क्या गुड्डू ? तेरे और गांव वालों के स्वागत में ही हम तुम सबका इंतजार कर रहे हैं। 

हम सब ने ये तय किया है कि तुम गांव वालों को मारपीट कर गांव से बाहर निकलना पड़ेगा। तुम्हारी इस जादुई ट्रैन ने हमारा जीना आराम कर रखा है। "

गुड्डू," इसका मतलब आप दोनों मुखिया से मिले हुए हैं और अब तक गांव वालों के साथ मिलकर हम सबको मूर्ख बना रहे थे ? "

होशियार सिंह," मूर्खों को क्या मूर्ख बनाया जा सकता है ? तुम सब तो जन्मजात मूर्ख हो। "

मुखिया," तेरी वजह से मेरा बहुत नुकसान हो गया है गुड्डू। इतना तो समझ गया हूँ कि सारे फसाद की जड़ तू ही है। 

इसीलिए सबसे पहले मैं तुझे मारूंगा और उसके बाद इन गांव वालों को। "


इतना कहकर मुखिया ने अपने गुंडों की ओर इशारा कर दिया। गुंडे गुड्डू को मारने ही वाले थे कि तभी एक तेज प्रकाश वहाँ पर फैल गया और उस प्रकाश में उसे गांव का ही एक व्यक्ति सोमू निकल कर सामने आकर खड़ा हो गया। 

सोमू को देखकर वहाँ सब लोग हैरत में पड़ गए।

सोमू," अब तुम इन लोगों पर और ज्यादा अत्याचार नहीं कर सकते। मुखिया, तुम्हारे अत्याचार की वजह से ही मुझे इस दुनिया को छोड़कर जाना पड़ा। 

लेकिन मेरी आत्मा हमेशा मेरे गांव वालों के लिए तड़पती रही। ये जादुई ट्रैन मैंने ही अपनी जादुई शक्तियां से इनकी मदद करने के लिए बनाई थी। 

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मैं जानता था कि एक ना एक दिन तू अपने साथियों के साथ यहाँ पर जरूर आएगा। लेकिन शायद तू नहीं जानता था कि तू यहाँ आएगा तो जरूर लेकिन फिर कभी वापस नहीं जाएगा। "

सोमू को देखकर मुखिया, होशियार सिंह और बिलुआ बुरी तरीके से घबरा गए। क्योंकि सोमू कुछ महीने पहले ही मर चुका था। 

मुखिया ने भागने के लिए कदम बढ़ाए ही थे कि तभी जोरदार आंधी चलने लगी जो मुखिया, होशियार सिंह और उन गुंडों को उड़ाकर उस ट्रैन के अंदर ले गई और देखते ही देखते ट्रैन उन सबकी आँखों से गायब हो गई।

इसके बाद वो सब कभी नहीं लौटे। गांव वालों को मुखिया के अत्याचार से पूरी तरह मुक्ति मिल चुकी थी।

इस कहानी से आपने क्या सीखा ? नीचे Comment में हमें जरूर बताएं।
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हेलो दोस्तों ! मैं हूं आपका अपना दोस्त, प्रदीप। यहां मैं कुछ अनोखी कहानियों के साथ आपका मनोरंजन करूंगा। अगर आपको हमारा लेखन कार्य पसंद आए तो हमें Support करें और अपना प्यार बनाए रखें।

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