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कितनी मोहब्बत है : (भाग -5) | Kitni Mohabbat Hai | Love Story | Pyar Ki Kahani | Real Love Story | Heart Touching Love Story

आज की कहानी का नाम है - " कितनी मोहब्बत है "। यह इस कहानी का (भाग -5) है। यह एक True Love Story है। अगर आप भी Love Story, Romantic Story पढ़ें।
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हेलो दोस्तों ! कहानी की इस नई Series में हम लेकर आए हैं आपके लिए एक और नई कहानी। आज की कहानी का नाम है - " कितनी मोहब्बत है "। यह इस कहानी का (भाग -5) है। यह एक True Love Story है। अगर आप भी Love Story, Romantic Story या Hindi Love Story पढ़ना पसंद करते हैं तो कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

कितनी मोहब्बत है : (भाग -5) | Kitni Mohabbat Hai | Love Story | Pyar Ki Kahani | Real Love Story | Heart Touching Love Story

Kitni Mohabbat Hai | Love Story | Pyar Ki Kahani | Real Love Story | Heart Touching Love Story


कितनी मोहब्बत है : (भाग -5)


अब तक आपने पढ़ा...

मीरा का निधि के घर पर पहला दिन था। वह घर के सभी सदस्यों से लगभग मिल चुकी थी। लेकिन अक्षत के बारे में केवल उसने सभी सदस्यों के मुंह से ही बातें सुनी थी। अंदर ही अंदर वह बेचैन थी उससे मिलने के लिए।

अब आगे...

हाथ मुँह धोकर मीरा डायनिंग के पास आई। दादा, दादी और निधि वहां पहले से बैठे थे। राधा ने मीरा को भी बैठने को कहा। 

विजय और अर्जुन भी ऑफिस से आ चुके थे। सभी आकर डाइनिंग के चारों ओर बैठ गए। खाने की खुशबू से हॉल महक रहा था। 

मीरा की नजर दरवाजे की ओर थी। सब आ चुके थे लेकिन उसे जिसका इंतजार था वो कहीं नजर नहीं आ रहा था। राधा भी सबके साथ आकर बैठ गई।

उसने देखा सब है लेकिन अक्षत नहीं है। उसने अर्जुन से कहा।

राधा," अर्जुन, ये अक्षत कहां रह गया ? ज़रा फ़ोन लगाना उसे। "

अर्जुन," माँ, मेरी बात हुई थी उससे। उसने बताया कि वो किसी दोस्त की पार्टी में है, खाना खाकर लौटेगा। "

राधा," ये लड़का भी ना... क्या क्या करेगा, कोई नहीं जानता। आप सब लोग शुरू कीजिए। "


राधा सबकी प्लेटों में खाना परोसने लगी। अर्जुन मीरा के बिलकुल सामने ही बैठा था और बीच बीच में वो मीरा को देख भी लेता। 

लेकिन मीरा कहीं और ही खोई हुई थी। अक्षत से वो फिर नहीं मिल पाई। सबने खाना शुरू किया। 

राधा ने एक कटोरी में खीर निकाली और मीरा की ओर बढ़ाकर कहा।

राधा ," ये मैंने खास तुम्हारे लिए बनाई है, खाकर देखो कैसी बनी है ? "

मीरा ने एक चम्मच खीर चखी। खीर बहुत टेस्टी थी। मीरा ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा। 

मीरा," खीर बहुत अच्छी बनी है आंटी, थैंक यू। "

निधि," मीरा, मम्मा ना खीर के साथ साथ और भी बहुत टेस्टी खाना बनाती है। तुम यहाँ रहोगी ना तो इनके हाथ का खाना खाकर ही इनकी फैन हो जाओगी। "

मीरा," खाएंगे भी और साथ साथ बनाना भी सीखेंगे। "

अर्जुन," तुम्हें खाना बनाना नहीं आता ? "

इस बार सवाल अर्जुन की तरफ से था, जो कि उसने जल्दबाजी में कहा। सब उसकी ओर देखने लगे तो उसने झिझकते हुए कहा। 

अर्जुन," मेरा मतलब लड़कियों को तो खाना बनाने का शौक होता है ना... इसलिए अर्जुन की हालत देखकर मीरा मुस्कुरा उठी और कहा। "

मीरा," जी नहीं, हमें खाना बनाना नहीं आता। सीखने की कभी जरूरत ही नहीं पड़ी। 

घर पर माँ बनाती थी और हॉस्टल में मेश में बना बनाया मिल जाया करता था। हमें सिर्फ चाय बनाने आती है। "

अर्जुन," हॉस्टल का खाना कैसे खा लेती थीं आप ? मैं खुद दो साल दिल्ली हॉस्टल में रहा हूँ। सच में बहुत खराब होता है। "

मीरा," इतना बुरा भी नहीं होता है। बस दाल में कभी कभी पानी ज्यादा हो जाता है और आलू की सब्जी में आलू कहाँ है, ये ढूंढना पड़ता है। "

मीरा की इस बात पर सभी हंसने लगे। वह खुद भी मुस्कुराए बिना नहीं रह सकी। अर्जुन बड़े प्यार से मीरा को मुस्कुराते हुए देख रहा था। 

निधि जो कि उसके बगल में ही बैठी थी, उसने अर्जुन को कोहनी मारी तो वो झेप गया और दूसरी ओर देखने लगा। विजय ने मीरा की ओर देखकर कहा।

विजय," बेटा, कॉलेज में किसी भी तरह की जरूरत हो तो बताना। यहाँ सब तुम्हारे अपने हैं। 

अच्छे से पढ़ाई करके अपने पैरों पर खड़ी हो जाओगी, हमें बहुत खुशी होगी। "


मीरा," थैंक यू अंकल ! हम जरूर मेहनत करेंगे और कामयाब बनकर दिखाएंगे। "

दादू," बिल्कुल बनोगी बेटा जी और अपनी माँ का नाम रोशन करोगी। "

ऐसे ही हल्की फुल्की बातों के बीच सबने खाना खाया और फिर दादू दादी साथ साथ बाहर घूमने निकल गए। अर्जुन उठकर ऊपर अपने कमरे में चला गया।

पापा हॉल में बैठकर न्यूज़ देखने लगे और राधा किचन जमाने में लग गई। निधि मीरा को लेकर बालकनी में आ गई और दोनों सामने बगीचे में टहलते हुए दादू दादी को देखने लगीं। 

दादा दादी दोनों एक दूसरे का हाथ थामे चहलकदमी कर रहे थे। उनकी बातें तो साफ सुनाई नहीं दे रही थी पर कभी कभी बीच में दोनों मुस्कुरा उठते। 

निधि," मीरा, तुमसे एक बात पूछूं ? "

मीरा," पूछो। "

निधि," क्या तुमने कभी किसी से प्यार किया है ? "

मीरा," नहीं। "

निधि," कभी तो होगा ना ? "

मीरा," शायद..। "

 निधि," शायद क्या यार..? तुम इतनी सुंदर हो, तुमसे तो किसी को भी प्यार हो सकता है। "

मीरा," वैसे तुम आज ये सब क्यों पूछ रही हो ? "

निधि," बस ऐसे ही... अच्छा ये बताओ तुम्हारी नजर में प्यार क्या है ? "

मीरा," प्यार...। " 

सोचते हुए मीरा ने इधर उधर देखा और उसकी नजरें सामने दादा दादी पर जा रखी और उसने ऊँगली से इशारा करते हुए कहा। 

मीरा ," वो। "

निधि," तुम्हारा मतलब दादा दादी..? "
 
मीरा," उम्र के आखिरी पड़ाव में वो दोनों साथ साथ हैं, खुश हैं।हमेशा एक दूसरे के साथ बने रहना, यही तो प्यार है। 

इन्होंने खुशी, गम, हँसी, आंसू सब साथ देखे होंगे। सैकड़ों परेशानियां आई होंगी फिर भी इन्होंने कभी एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ा होगा।


एक दूसरे का सहारा बने हुए ये हमेशा अपनी जिंदगी में खुश रहे होंगे और उन खुशियों का सबाब आज इनके चेहरों पर नजर आ रहा है। "

निधि," वाह ! तुम कितना डीप्ली सोचती हो यार ? "

मीरा," डीप्ली नहीं, प्रैक्टिकली सोचते हैं। "

निधि," कैसे भी सोचो... कहती तो हमेशा सही ही हो ना। मुझे ना तुम अपनी शागिर्द बना लो। कसम से ऐसे गुरु ज्ञान की हमें बहुत जरूरत है। "

निधि की बातों पर मीरा हसने लगी। तो निधि एक पल के लिए उसकी हँसी में खो सी गई और कहा। 

निधि," मीरा, तुम हँसते हुए कितनी अच्छी लगती हो ? हमेशा ऐसे ही रहा करो ना। "

मीरा," ये मुस्कुराहट तुम्हारी वजह से ही है। निधि, इसके लिए जितनी बार तुम्हारा शुक्रियादा करें, कम ही होगा। "

दोनों वही खड़ी बातें करने लगी। बीच बीच में मीरा की नजरें मेन गेट की ओर चली जातीं। 

निधि," ये तुम बार बार गेट की तरफ क्या देख रही हो ? कोई आने वाला है क्या ? "

मीरा," कुछ भी बोलती हो। "

निधि," तो..? "

मीरा," ठंड बहुत है यहाँ, मैं अंदर जा रही हूँ। "

दादा दादी को अंदर आ जाने को बोलकर निधि भी अंदर चली आई। मीरा और निधि अपने कमरे में चली आईं। निधि आते ही कम्बल में घुस गई तो मीरा ने कहा।

मीरा," ये क्या... अभी 10 बजे हैं, पढ़ाई नहीं करनी। "

निधि," अरे ! इतनी ठंड में कौन पढ़ाई करता है मीरा ? "

मीरा," हम करते हैं और हमारे साथ साथ तुम भी करोगी। "

कहते हुए मीरा ने एक झटके में कम्बल को निधि से दूर कर दिया। निधि उठकर बैठ गई और कहा। 

निधि," क्या यार मीरा..? सोने दो ना, कल से करेंगे पढ़ाई। "

मीरा," काल करे सो आज कर, वो बात नहीं सुनी ? अब चुप चाप किताब खोलो और चैप्टर पढ़ो। "

मीरा ने उसके हाथ में किताब थमा दी और खुद उसके सामने अपनी किताब लेकर कुर्सी पर बैठकर पढ़ने लगी। कमरे की खिड़कियाँ, दरवाजे सब बंद थे और हीटर भी ऑन था। 

इसीलिए ठंड का अहसास कम था। निधि बेमन से किताब पढ़ने लगी। मीरा अपनी किताब में मग्न थी। 


उसे ध्यान ही नहीं रहा कि कब उसके सामने बैठी निधि किताब लिए लिए ही सो चुकी है। घंटे भर बाद जब मीरा का ध्यान निधि पर गया तो उसने देखा निधि सो चुकी है। 

उसने अपनी किताब साइड में रखी और उठकर निधि के पास आई। उसने धीरे से उसके हाथों से किताब को निकाला और पास पड़ा तकिया उसके सर के नीचे लगा दिया। 

मीरा ने किताब को टेबल पर रखा और फिर कंबल उठाकर निधि को उढ़ा दी। मीरा वापस कुर्सी पर आकर बैठ गई और अपनी किताब पढ़ने में बीज़ी हो गई। 

कुछ वक्त बाद ही नींद ने मीरा की आँखों पर दस्तक देनी शुरू कर दी। उबासी आने लगी तो उसने किताब बंद करके टेबल पर रख दी। 

घड़ी की ओर देखा जो कि रात के 12 बजा रही थी। मीरा को याद आया कि निधि ने नीचे उसे विनीत की बुक दी थी। 

" वो शायद नीचे ही रह गई। लाकर बैग में रख देती हूँ। कल सुबह कॉलेज में विनीत को लौटा दूंगी। " मीरा ने मन ही मन कहा और नीचे चली गई। 

मीरा नीचे आई। सब सो चुके थे। उसने धीरे से टेबल पर रखी किताब उठाई और लेकर जैसे ही जाने को हुई, उसे खिड़की के पास एक परछाई दिखी जो सहारा लेकर ऊपर चढ़ने की कोशिश कर रही थी। 

मीरा ने गौर से देखने की कोशिश की, लेकिन उस ओर अंधेरा ज्यादा होने की वजह से देख नहीं पाई। 

" हो सकता है वो कोई चोर हो वरना इससे दीवार के सहारे ऊपर नहीं जाता। मुझे ही कुछ करना होगा। "

मीरा ने मन ही मन कहा और दबे पांव सीढ़ियां चढ़ने लगी। 

यहाँ बस इतना ही, इस अनोखी कहानी को आगे जारी रखने के लिए इसका अगला भाग पढ़ें।

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हेलो दोस्तों ! मैं हूं आपका अपना दोस्त, प्रदीप। यहां मैं कुछ अनोखी कहानियों के साथ आपका मनोरंजन करूंगा। अगर आपको हमारा लेखन कार्य पसंद आए तो हमें Support करें और अपना प्यार बनाए रखें।

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