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जादुई बैल | Hindi Kahani | Hindi Moral Stories | Hindi Kahaniyan | Majedar Kahaniyan

आज की इस कहानी का नाम है - " जादुई बैल " यह एक Majedar Hindi Kahani है। अगर आपको भी Hindi Kahaniyan, Moral Stories in Hindi या Majedar Hindi Kahaniya
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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है - " जादुई बैल  " यह एक Majedar Hindi Kahani है। अगर आपको भी Hindi Kahaniyan, Moral Stories in Hindi या Majedar Hindi Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

जादुई बैल | Hindi Kahani | Hindi Moral Stories | Hindi Kahaniyan | Majedar Kahaniyan

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 जादुई बैल 


एक गांव में सुखीराम नाम का एक किसान रहता था। वह बहुत गरीब था। संपत्ति के नाम पर केवल उसके पास एक काले रंग का बैल था। वह उसी से खेत जोतकर अपने परिवार का गुजारा करता था। 

परिवार में केवल उसकी बीवी और वह ही था। बड़ी मुश्किल से वह अपना जीवन निर्वाह कर पा रहा था। उसकी पत्नी हर रोज उसे ताना मारती और अपने भाग्य को कोसती।

लेकिन सुखीराम दिल का सच्चा और शिव जी का भक्त भी था। वह हर रोज उठकर ओम नमः शिवाय का जाप करता और शिवजी को नतमस्तक प्रणाम करता। इससे पहले वह ना तो कुछ खाता और ना ही कुछ पीता।

पूजा पाठ करने के बाद वह अपने काम में जुट जाता और बैल को लेकर अपने खेतों पर चला जाता। एक दिन वह अपने बैल को लेकर खेतों पर जा रहा था तो अचानक से एक काला बड़ा सांप आया और बैल को डस लिया। 

सुखीराम को इसका अंदाजा भी न लगा। कुछ देर चलने के बाद बैल अचानक से गिर गया। सुखीराम कहने लगा," इसे देखो,, आलस के मारे सो गया। उठ... अभी तो हमें बहुत सारा काम करना है। वरना शाम को तेरी मालकिन खाना भी नहीं देगी। " 

थोड़ी देर बैल से बात करने के बाद सुखीराम की नजर इधर उधर जाने लगी। उसने देखा कि एक काला सांप बेल के दाएं तरफ से निकल गया है। वह समझ गया कि सांप ने बैल को डस लिया है जिसकी वजह से बैल मर गया है।

अब सुखीराम बिलख - बिलख कर रोने लगा; क्योंकि उसके जीवन निर्वाह का एकमात्र साधन केवल वही बैल था। अगर बैल ना रहा तो वह अपने परिवार का गुजारा भी नहीं कर पाता। क्योंकि उसके पास जीविका चलाने के लिए कोई दूसरा साधन भी नहीं था। 


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वह जोर जोर से रोने लगा और शिव जी से विनती करने लगा कि हे ! महादेव आपको तो पता ही है,, यह बैल ही है जो हमारे परिवार का गुजारा कर पा रहा है। अगर यह नहीं रहा तो मैं तो जीते जी मर जाऊंगा। "

रोते-रोते सुखीराम बैल के पीठ पर ही अपना सर रख के सो गया और शिव जी का जाप करता रहा। कुछ देर बाद शिव जी वहां प्रकट हुए और बोले," सुखीराम उठो। क्या हुआ ? तुम इस तरह क्यों रो रहे हो ? "


सुखीराम ने शिव जी को सारी घटना बताई और शिव जी ने उसे दिलासा देते हुए कहा," देखो सुखीराम,, अगर तुम मुझसे कुछ मांगना चाहते हो तो मैं केवल एक ही बार तुम्हारी इच्छा पूरी कर सकता हूं। 

इसके बाद अगर तुम कुछ और मांगोगे तो मैं तुम्हें कुछ भी नहीं दे पाऊंगा। इसलिए अगर तुम कुछ मांगना चाहते हो तो सोच समझकर मांगना। "

सुखीराम अपने बैल को लेकर काफी दुखी था। बैल के अलावा उसे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। उसने तुरंत शिव जी से कहा," हे ! शिव महाराज आप मेरे इस बैल को जीवित कर दो। 

क्योंकि यही मेरी जीविका का एकमात्र साधन है। मेरी पत्नी मुझसे हर रोज झगड़ा करती है। अगर यह बैल ना रहा तो मैं कैसे अपना पेट भरूंगा। "

शिव जी ने सुखीराम को एक बार फिर सोचने को कहा। लेकिन सुखीराम अपनी बात पर अड़ा रहा। फिर शिवजी ने कहा," ठीक है मैं तुम्हारे इस बैल को जीवित कर देता हूं और वरदान देता हूं कि यह बैल हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा। "

शिव जी ने उस सांड के सर पर हाथ फेरा और सांड तुरंत खड़ा हो गया। यह देखकर सुखीराम काफी खुश होता है और वह शिव जी को धन्यवाद देते हुए सीधा अपने घर जाता है।

आज सुखीराम बहुत खुश है क्योंकि आज उसने शिवजी के भी दर्शन किए और साथ ही अपने मरे हुए बैल को भी जिंदा घर वापस ला पाया। घर आते ही वह अपनी पत्नी सुचित्रा को आवाज लगाता है। 

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उसकी आवाज सुनकर सुचित्रा गुस्से में बोलती है," क्या हुआ ? क्यों चिल्ला रहे हो ? "

" अरे सुन... आज पता है मेरे साथ क्या हुआ ? "

" हां ! हां ! आपके साथ तो हर रोज कुछ ना कुछ होता ही है। चलो बताओ क्या हुआ ? "

" आज पता है मैंने बाबा के दर्शन किए। "

" बाबा ? कौन बाबा ? "

" अरे ! भोलेनाथ बाबा "

" लेकिन कैसे और कहां ? "

आज सुबह जब मैं खेतों पर जा रहा था,, अपने काले बैल को लेकर तो अचानक से एक काले सांप ने उसे डस लिया और उसकी मौत हो गई। 


यह सब देखकर मैं रोने लगा और शिव जी का जाप करने लगा। कुछ समय बाद भोलेनाथ खुद प्रकट हुए और उन्होंने मेरे मरे हुए बैल को भी जिंदा कर दिया।

उन्होंने मुझसे कहा था कि मैं उनसे कुछ भी मांग सकता हूं तो मैंने अपने मरे हुए बैल के प्राण मांग लिए।

सुचित्रा सुखीराम की बातों को ध्यान से सुन रही थी। यह सब सुनकर उसने तुरंत सुखीराम को डांट लगाते हुए कहा," हाय रे ! मेरी फूटी किस्मत "

" खुद भोलेनाथ ने आकर इस लाचार को दर्शन दिए और खुद कहा कि मांगो जो मांग सकते हो। लेकिन इसने मांगा भी तो क्या... एक बैल के प्राण "

इस बैल से तुम कितना कमा लोगे ? कब तक तुम यूं ही गरीबों की जिंदगी जीते रहोगे ?

धन-संपत्ति, घर - मकान, गाड़ी, बंगला मांगने की बजाए एक बैल मांगा। लगता है मैं इस गरीबी को देखते देखते ही मर जाऊंगी ?

सुचित्रा की ऐसी बातें सुनकर सुखीराम थोड़ा सोचता है और कहता है," अरे ! हां मैंने तो इसके बारे में बिलकुल सोचा ही नहीं। कोई बात नहीं सुचित्रा,, मैं कल सुबह दोबारा जाऊंगा और शिव जी से धन-संपत्ति, गाड़ी-बंगला मांगूंगा। तुम झगड़ा मत करो। "

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अगली सुबह सुखीराम फिर से उसी जगह जाता है जहां पर शिव जी ने उसे दर्शन दिए।

वह बैल को पेड़ से बांधकर शिव जी का जाप करने लगा। कुछ समय जाप करने के बाद शिवजी वहां प्रकट हुए और बोले," क्या हुआ सुखीराम अब..?? "

सुखीराम कल हुई गलती की क्षमा मांगते हुए बोला,"  हे ! महादेव कल मैंने आपसे इस बैल के प्राण मांगे थे। मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई। कृपया एक वरदान और दीजिए।

सुखीराम मैंने तुमसे पहले ही कहा था,, मैं तुम्हें केवल एक ही वरदान दे सकता हूं। इसके बाद मैं तुम्हारी एक भी बात नहीं सुनूंगा। और यह कहते हुए शिवजी वहां से अदृश्य हो जाते हैं।

सुखीराम निराश होकर घर वापस लौट आता ह। और आज हुई सारी घटना फिर से अपनी पत्नी को सुनाता है।

सुचित्रा सुखीराम की बात को फिर से सुनती है और कहती है," तुम से कुछ नहीं होगा। अब सब कुछ मुझे ही करना होगा। "


अगली सुबह सुचित्रा जानवरों की मेले में जाती है और एक जमींदार को वह काला बैल बेच आती है। बदले में उसे ₹100 मिलते हैं जो उनके लिए बहुत बड़ी रकम होती है। 

बैल को बेचकर सुचित्रा घर वापस आती है। सुखीराम सुचित्रा को आवाज लगा रहा होता है तभी सुचित्रा जाती है और कहती है," क्या हुआ ? क्यों चिल्ला रहे हो ? "

" भाग्यवान कहां चली गई थी ? और मेरा बैल कहां है ? "

" पहले यह ₹100 पकड़ो। "

" ₹100... इतने पैसे कहां से आए ? "

" अरे मैंने वही काला बैल बेच दिया है,, उसकी कीमत है। "


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" बैल बेच दिया... तुमको तो पता ही है केवल बैल ही है जिसकी वजह से हम अपना परिवार चला पा रहे हैं। और तुमने उसे ही बेच दिया। अब हम इस ₹100 से कब तक अपना घर चलाएंगे। "

तुमसे तो कुछ नहीं होगा। अब मुझे ही सब कुछ करना होगा। देखना मैं तुम्हें इस महीने के अंत तक ढेर सारा पैसा कमा कर दूंगी।

उन दोनों के बीच में बातचीत हो ही रही थी कि अचानक बैल वहां प्रकट हो जाता है। यह देख सुखीराम और सुचित्रा बहुत खुश होते हैं। सुचित्रा की सारी योजना अब सुखीराम को समझ आ गई थी।

अब हर रोज सुखीराम बाजार जाता और सांड बेचकर हर रोज ₹100 लेकर आता। इसी तरह चलता रहा और 1 महीने में उन्होंने अपना अच्छा सा घर, गाड़ी और ढेर सारा पैसा कमा लिया। अब वे दोनों एक सुखी जीवन जीते हैं।


इस कहानी से आपने क्या सीखा ? नीचे Comment में हमें जरूर बताएं।


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