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रहस्यमय दरवाजा | Hindi Kahaniya | Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Hindi Stories

आज की इस कहानी का नाम है - " रहस्यमय दरवाजा " यह एक Bed Time Story है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Best Stories in Hindi पढें।
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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है - " रहस्यमय दरवाजा " यह एक Bed Time Story है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Best Stories in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

रहस्यमय दरवाजा | Hindi Kahaniya | Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Hindi Stories

Rahasamay Darwaza | Hindi Kahaniya| Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Hindi Stories



 रहस्यमय दरवाजा 

पदमपुर नाम के एक छोटे से गांव में रिंकू नाम का एक आदमी रहता था। उसके पास कोई काम नहीं था। वह इतना गरीब था कि वह केवल दो वक्त का खाना ही जुटा पाता था। 

रिंकू," पता नहीं कब मुझे काम मिलेगा ? " 

रिंकू की पत्नी," आप जानते हैं अब तो मंदिर में खाना भी मिलना बंद हो रहा है ? हम कहां से खाएंगे ? " 

रिंकू," क्या ? यह तो बहुत ही बुरी बात है। ऐसा नहीं होना चाहिए। " 

रिंकू की पत्नी," हां ! कल ही पुजारी जी कह रहे थे, अब से खाना मंदिर में बिल्कुल नहीं मिलेगा। " 

रिंकू," तब तो हमें बड़ी तकलीफ हो जाएगी। " 

रिंकू के दो बच्चे थे। वे दोनों मंदिर में ही खाना खाया करते थे। 

रिंकू की पत्नी," बच्चे भी भूखे ही रहेंगे। "

रिंकू कहता है," नहीं - नहीं... मैं कुछ करता हूं, जरूर करता हूं। तुम रुको। तुम लोगों को मैं भूखा नहीं रहने दूंगा। "

कुछ दिनों बाद मंदिर में खाना-पीना मिलना बंद हो जाता है। रिंकू की पत्नी कहती है," सुनो जी ! बच्चे खाने के लिए बहुत जिद कर रहे हैं। उन्हें बहुत तेज भूख लगी है। "

रिंकू कहता है," भूख तो मुझे भी लगी है। रुको... मैं कुछ लेकर आता हूं। "

रिंकू आसपास कुछ काम ढूंढता है। काम ना मिलने पर रिंकू बहुत दुखी हो जाता है। 

रिंकू," खाने का इंतजाम कहां से करूं ? काम तो कुछ मिल नहीं रहा और मुफ्त में कोई खाना देगा नहीं। "

रिंकू के सामने समोसे की एक दुकान थी। रिंकू समोसे की दुकान के पास आता है। 

रिंकू," भाई कुछ समोसे मिलेंगे क्या ? भूख लगी है। "

दुकानदार," हां हां जरूर, पैसे दो और ले जाओ समोसे। "

रिंकू," नहीं भाई मेरे पास अभी पैसे नहीं है। समोसे दे दो बाद में मैं पैसे दे दूंगा। "

दुकानदार कहता है," पैसे नहीं है ? चलो निकलो यहां से। "


रिंकू उदास होकर वहां से चला जाता है। वह वापस घर आता है तो देखता है उसकी पत्नी एक ओर बैठी है और दूसरी तरफ बच्चे रो रहे हैं। रिंकू अपने कदम पीछे ले लेता है।

रिंकू," अब तो खाना लेकर आना ही पड़ेगा। "

वह समोसे की दुकान के पास वापस जाता है। दुकान के लोग आपस में बात कर रहे थे। तभी रिंकू वहां से समोसे उठा लेता है और वहां से भाग जाता है। 


ऐसा करते हुए दुकानदार उसे देख लेता है और चिल्ला उठता है ," चोर... चोर। " 

उनमें से एक आदमी रिंकू के पीछे भागता है। भागते भागते रिंकू एक पेड़ की पीछे छुप जाता है और दुकानदार आगे निकल जाता है। 

कुछ देर बाद रिंकू घर पहुंचता है और अपनी पत्नी से कहता है," देखो सुंदरी मैं क्या लेकर आया हूं ? "

सुंदरी," लेकिन तुम्हारे पास पैसे कहां से आए ? "

रिंकू," चलो पहले से खाते हैं फिर बाद में बात करते हैं। "

सुंदरी बच्चों को एक एक समोसा देती है और खुद भी दोनों एक समोसा ले लेते हैं। 

रिंकू की पत्नी कहती है,"अच्छा अब बताओ, समोसे कहां से आए ? " 

रिंकू झिझकता हुआ कहता है," भाग्यवान, मैंने पहले समोसे वाली दुकान से समोसा मांगा तो उसने मना कर दिया। फिर मुझे चोरी करनी पड़ी। "


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रिंकू की पत्नी कहती है," क्या चोरी ? अरे ! यह सब सही नहीं है। "

रिंकू कहता है," तो क्या करूं ? अपने बच्चों को भूखा मरता हुआ देखूं। काम भी मिलता नहीं। "

रिंकू की पत्नी रिंकू की बात सुनकर चुप हो जाती है।

रिंकू," तुम चिंता मत करो मैं ज्यादा दिन तक ऐसा नहीं करूंगा। "

भूख की वजह से रिंकू को हर बार चोरी करनी पड़ती है। वह अभी तक सभी से बचता आ रहा था। 

रिंकू कहता है," हे भगवान ! मुझे आगे भी इसी तरह बचाते रहना। " 

1 दिन रिंकू खाने का कुछ सामान चोरी करके भाग रहा था। तभी दुकानवाला उसे पकड़ लेता है।

दुकानदार कहता है," अब तू नहीं बचेगा। अभी तुझे सरपंच जी के पास लेकर चलता हूं। "

दुकानदार रिंकू को सरपंच जी के पास लेकर जाता है। दोनों की बात सुनकर सरपंच जी कहते हैं," क्यों रिंकू, तुमने ऐसा क्यों किया ? "

रिंकू कहता है," सरपंच जी, मुझे माफ कर दीजिए। मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था। कोई काम मिल नहीं रहा है, पैसे की बहुत कमी है। खाने के लिए भी कुछ नहीं है। इसलिए चोरी करनी पड़ी। "

सरपंच," देखो रिंकू यह तुमने अच्छा नहीं किया। "

तभी कुछ और दुकानदार सामने आते हैं और कहते हैं," सरपंच जी, इसने तो हमारी दुकानों से भी चोरी की थी वो भी कई बार। इसलिए इसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। "

सरपंच जी कहते हैं," अच्छा, अच्छा सभी लोग शांत हो जाइए। रिंकू, तुम इस गांव में रहने लायक नहीं हो। आज के आज तुम अपने परिवार के साथ यह गांव छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए चले जाओ। " 


रिंकू कहता है," मगर सरपंच जी मैं कहां जाऊं ? " 

सरपंच जी कहते हैं," वो मैं नहीं जानता। तुम यह गांव छोड़कर चले जाओ बस। " 

रिंकू उदास होकर घर आता है और अपनी पत्नी को सारी बातें बताता है। 

रिंकू की पत्नी कहती है," मगर हम जाएंगे कहां ? "

रिंकू कहता है," पता नहीं भाग्यवान, अब तो हमें इस गांव से जाना ही होगा। बच्चों को साथ ले लो और चलो यहां से। "

रिंकू बच्चे और पत्नी के साथ गांव छोड़कर चला जाता है।

सुंदरी," गांव से तो निकल गए लेकिन रहने के लिए तो कोई जगह नहीं मिल रही। अब हम क्या करें ? " 

रिंकू कहता है," यह तो मुझे भी समझ नहीं आ रहा। एक काम करते हैं, हम यहीं आस पास रुकते हैं। सुबह होते ही हम गांव चले जाएंगे और छुपकर जंगल में रहेंगे। "

रिंकू की पत्नी कहती है," अगर गांव वालों ने हमें पकड़ लिया तो क्या होगा ? " 

रिंकू कहता है," ऐसा कुछ नहीं होगा। हम सभी छिपकर रहेंगे। " 

रात होते ही रिंकू अपनी पत्नी और बच्चों के साथ गांव वापस आ जाता है और जंगल में जाकर छुप जाता है। 

रिंकू कहता है," सुनो सुंदरी अब हम यहीं रहेंगे। "

रिंकू की पत्नी कहती है," जी ठीक है। "

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रिंकू कुछ लकड़ियां लेकर आता है और घास फूस से मिलकर एक प्यारी सी झोपड़ी बना देता है। इस तरह वह अपने परिवार के साथ गांव में छुपकर रहने लगता है। 

पेड़ से फल तोड़कर खा लेता था और कुछ फल अपने परिवार के लिए भी तोड़ कर लाता था। जो कुछ सब्जियां मिल जाए, उन्हें ही वो बना कर खा लेते थे। 

जंगल में रहकर रिंकू हमेशा यही सोचता," काश ! गांव वाले हमें माफ कर दें और हमें स्वीकार कर लें। "

रिंकू कहता है," कितना अच्छा होता अगर गांव वाले इस बात को भूल जाते और हमें पहले की तरह स्वीकार कर लेते हैं। "

उसकी पत्नी कहती है," पता नहीं ऐसा कभी हो भी पाएगा या नहीं। मगर मुझे यहां रहने में काफी डर लग रहा है। अगर उन्हें पता चला तो अच्छा नहीं होगा। " 

रिंकू कहता है," जब तक सब कुछ सही चल रहा है चलने देते हैं; क्योंकि अभी हमारे पास कोई और उपाय नहीं है। "

अचानक गांव में शोर होता है कि एक शेर घुस आया है। यह बात रिंकू को पता नहीं थी। कुछ गांव वाले जंगल में लकड़ियां काटने आते हैं।


उनमें से एक लकड़ी काटने वाला कहता है," भाई कहीं मत जाना, पता नहीं कब शेर आ जाए। " 

दूसरा कहता है," हां मैं यही खड़ा हूं, तू लकड़ी काट। जब से गांव में शेर के आने की खबर आई है तब से सब की हालत खराब हो गई है। "

यह सब रिंकू सुन लेता है। वह दोनों आदमी लकड़ी काट कर चले जाते हैं। 

रिंकू भागकर अपनी झोपड़ी में जाता है और अपनी पत्नी से कहता है," पता है सुंदरी कुछ लोग लकड़ी काटने आए थे, वह कह रहे थे गांव में शेर घुस आया है। अगर यहां आ गया तो हम क्या करेंगे ? "

रिंकू की पत्नी कहती है," फिर तो हमें भी सतर्क रहना चाहिए। "

रात के वक्त रिंकू अपनी झोपड़ी की रखवाली करने लगता है। एक रात रिंकू को अचानक पैरों की आवाज सुनाई देती है। 

वह अपनी पत्नी को जगाता हुआ कहता है," सुनो भाग्यवान, उठो और बच्चों को भी उठाओ। किसी के पैरों की आवाज आ रही है। "

रिंकू की पत्नी उठती है और अपने बच्चों को भी उठाती है। तभी रिंकू देखता है कि शेर उनकी ओर भागता हुआ आ रहा है। रिंकू चिल्लाता हुआ कहता है," भागो भाग्यवान भागो। "

रिंकू की पत्नी बच्चों के साथ जंगल में भागने लगती है। शेर उनके पीछे दौड़ने लगता है। आगे रास्ता नहीं बचा था।

रिंकू कहता है," आगे रास्ता तो नहीं है," सुंदरी, हम अब क्या करें ? यह सामने दरवाजा दिख रहा है। "

रिंकू की पत्नी कहती है," चलो इस दरवाजे के पीछे छुप जाते हैं। "

रिंकू उस दरवाजे को खोलता है और सभी उस दरवाजे के अंदर चले जाते हैं। 

रिंकू कहता है," यहां तो बहुत अंधेरा है। कुछ दिख भी नहीं रहा। "

रिंकू की पत्नी कहती है," हम कुछ घंटे यही रहते हैं फिर बाहर चले जाएंगे। "

कुछ देर बाद रिंकू कहता है," लगता है शेर अब चला गया होगा। "

कुछ घंटों बाद वह सब दरवाजे से बाहर आते हैं तो उन्हें जंगल कुछ बदला बदला सा दिखाई देता है। 



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रिंकू कहता है," सुंदरी, मुझे यह जंगल कुछ सुरक्षित नहीं लग रहा। अब हमें गांव वालों के पास ही जाना चाहिए। माना वह हमें बहुत सुनाएंगे लेकिन जंगल में रहना बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। गांव चलकर पूछेंगे शेर गया कि नहीं। "

रिंकू की पत्नी कहती है," जी ठीक है चलिए। "

वह सभी मिलकर गांव की ओर बढ़ना शुरू करते हैं। अगली सुबह तक रिंकू अपने परिवार के साथ गांव पहुंच जाता है। वह एक दुकानदार से पूछता है," भाई जी, क्या शेर गांव से चला गया ? 

दुकानदार," शेर... गांव में शेर कब आया ? भाई वैसे यह बताओ क्या चल रहा है ? आज कल तुम्हें कोई काम मिला या नहीं ? "


वह आदमी रिंकू से बहुत शांति से बात कर रहा था। रिंकू मन ही मन सोचता है, यह मुझे कुछ नहीं कह रहा; लगता है गांव वालों ने हमें माफ कर दिया।

इतने में दुकानदार कहता है," क्या हुआ भाई 
, इतना शांत क्यों खड़े हो ? कुछ बोलो तो सही। "

रिंकू कहता है," क्या आप लोगों ने हमें माफ कर दिया। "

दुकानदार कहता है," माफ... माफी किस बात की ? क्या गलती की है तुम लोगों ने ? "

रिंकू (मन में)," लगता है गांव वाले इस बात को भूल गए हैं और लोगों ने मुझे माफ कर दिया है। चलो अच्छा ही है। क्या उस बात को याद दिलाना ? छोड़ो इस बात को। "

वह खुशी-खुशी गांव में रहने लगते हैं। कोई भी उसे कुछ नहीं कहता।

रिंकू," भाग्यवान, अब मैं चोरी नहीं करूंगा। सुना है सेठ जी एक काम करने वाले को ढूंढ रहे हैं, वही जाकर काम करते हैं। दो वक्त का भोजन तो मिल ही जाएगा। 

वैसे भी सभी उस बात को भूल गए हैं। अगर वापस वैसा किया तो इस बार सभी छोड़ेंगे नहीं। "

रिंकू और उसकी पत्नी एक सेठ के घर काम करने लगते हैं। वही से उन्हें खाना मिलने लगता है और थोड़े पैसे भी। वे खुशी-खुशी जीवन व्यतीत करने लगते हैं। 

रिंकू की पत्नी कहती है," सुनिए, सेठ जी ने कहा है जंगल से लकड़ियां काटकर लाना है। " 

रिंकू कहता है," ठीक है चलो। " 

वह दोनों जंगल की ओर निकल जाते हैं। तभी बच्चे भी साथ जाने की जिद करने लगते हैं। सभी लोग जंगल की तरफ बढ़ने लगते हैं। तभी अचानक एक जंगली जानवर उनका पीछा करने लगता है। 

रिंकू कहता है," सुंदरी जल्दी यहां से भागो। " 

भागते भागते वह वापस उसी दरवाजे के पास आ जाते हैं।

रिंकू," चलो भाग्यवान इसी के अंदर छुप जाते हैं। "

वह सब उस दरवाजे के अंदर दोबारा से चले जाते हैं और कुछ घंटों बाद उसमें से बाहर निकलते हैं।

रिंकू," चलो भाग्यवान वापस गांव चलते हैं। "

जब वह गांव वापस आते हैं तो उन्हें देख लोग शोर मचाने लगते हैं।

एक व्यक्ति कहता है," तुम लोग गांव में वापस कैसे आए ? पता नहीं सरपंच जी ने तुम्हें गांव से बाहर कर दिया था ? "

रिंकू कहता है," मगर आप लोगों ने तो हमें माफ कर दिया था। "

वह व्यक्ति कहता है," कब ? हमने तुम्हें कब माफ कर दिया था ? जल्दी से जल्दी इस गांव को छोड़कर चले जाओ वरना सरपंच जी को बता दूंगा। "

उन्हें वापस गांव से बाहर कर दिया जाता है।

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रिंकू कहता है," यह सब क्या चल रहा है ? अभी तो सब कुछ ठीक चल रहा था। अचानक इन्हें क्या हो गया भाई ? "

रात के वक्त वापस वो सब गांव आ जाते हैं और उसी जंगल में बनी हुई झोपड़ी में रहने लगते हैं। 

रिंकू कहता है," हमें फिर से यही रहना होगा। पता नहीं गांव वालों को क्या हो गया है ? कभी वह हमें माफ कर देते हैं, कभी भगा देते हैं। "


तभी उन्हें ऋषि के मंत्र पढ़ने की आवाज सुनाई देती है। वह सब ऋषि के पास जाते हैं और वहां ऋषि को सारी बातें बताते हैं।

ऋषि कहता है," अच्छा तो तुम लोग उस दरवाजे के अंदर गए थे। मैंने उस जादुई दरवाजे को अपनी शक्तियों से बनाया था। मुझे किसी चीज की परीक्षा करनी थी इसलिए मैंने उसे बनाया था। मुझे नहीं पता था उसके अंदर कोई चला भी जाएगा। " 

रिंकू कहता है," बाबा हम कुछ नहीं समझ पाए। " 

ऋषि कहता है," जैसा मन लेकर तुम उस दरवाजे के पीछे जाओगे, वह तुम्हारे लिए वैसे ही दुनिया बना देगा। बताओ जंगल में अक्सर तुम क्या सोचा करते थे ? "

रिंकू कहता है," हम लोग तो यही सोचा करते थे कि गांव वाले हमें माफ कर दे और हमें पहले की तरह रहने दें। " 

ऋषि कहता है," अच्छा... तो उस जादुई दरवाजे ने तुम्हारे लिए वैसी ही दुनिया बना दी थी। जब तुम दोबारा उस दरवाजे के पीछे गए तो तुम वापस उस असल दुनिया में आ गए। "

रिंकू कहता है," अच्छा तो ऐसी बात है। "

ऋषि कहता है," हां और उस दुनिया से जो कुछ भी तुम लेकर आए हो, वह सब जादूई होगा। "

रिंकू कहता है," बाबा हम लोग तो लकड़ियां काटने आए थे। इसलिए हम वहां से कुल्हाड़ी लेकर आए थे। "

ऋषि कहता है," अच्छा फिर तो यह जादुई कुल्हाड़ी है। "

रिंकू पूछता है," बाबा इस कुल्हाड़ी की जादुई शक्ति क्या है ? 

ऋषि कहता है," यह जादूई कुल्हाड़ी लकड़ियों को जल्दी से जल्दी काट देगी। वह भी खुद से, तुम्हें इसमें बल लगाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। "

यह सुनकर रिंकू अपने परिवार के साथ वहां से चला जाता है।

रिंकू कहता है," सुनो भाग्यवान, अब क्या किया जाए ? "

तभी गांव के कुछ लोग रिंकू के परिवार को जंगल में देख लेते हैं और उन्हें लेकर गांव आते हैं। सभी लोग रिंकू को खरी-खोटी सुनाते हैं। 

सरपंच जी कहते हैं," यह तुमने अच्छा नहीं किया। जब मैंने तुम्हें गांव से निकाल ही दिया तो तुम वापस क्यों आए ? 

तभी रिंकू सोचता है कि क्यों ना इस जादुई कुल्हाड़ी का इस्तेमाल किया जाए। 
1क्यू
रिंकू," कृपया शांत हो जाइए। आप लोग हमें इस गांव में रहने दीजिए और मुझे माफ कर दीजिए। मैं अपनी गलती1ये का1क्यूक्क्क11 प्रायश्चित करना चाहता हूं और इसके लिए मैं गांव के सभी लोगों के लिए मुफ्त में काम करने के लिए तैयार हूं। " 

सरपंच जी कहते हैं," कौन सा काम करोगे ? "

रिंकू," लकड़ी काटने का जो भी काम है वह मुझे दे दीजिए। मैं जल्दी से जल्दी आपके घर पहुंचा दूंगा, वो भी मुफ्त में। "


वो सभी रिंकू की बात मान लेते हैं और लकड़ी काटने का काम उसे दे देते हैं। जादुई कुल्हाड़ी की मदद से रिंकू फटाफट लकड़ियों को काटकर गांव वालों के घर पहुंचा देता है। 



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रिंकू का काम देख सभी लोग उसे माफ कर देते हैं। इसके बाद यही रिंकू का काम बन जाता है। अब सभी लोग पैसे देकर उससे लकड़ियां कटवाने लगते हैं। 

रिंकू हमेशा के लिए चोरी करना छोड़ देता है और इसी काम के सहारे पैसे कमाने लगता है।


इस कहानी से आपने क्या सीखा ? नीचे Comment में हमें जरूर बताएं।


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हेलो दोस्तों ! मैं हूं आपका अपना दोस्त, प्रदीप। यहां मैं कुछ अनोखी कहानियों के साथ आपका मनोरंजन करूंगा। अगर आपको हमारा लेखन कार्य पसंद आए तो हमें Support करें और अपना प्यार बनाए रखें।

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