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जादुई सिलाई मशीन | Magical Sewing Machine | Hindi Kahaniyan | Moral Stories in Hindi | Horror Story

आज की इस कहानी का नाम है - " जादुई सिलाई मशीन " यह एक Moral Story in Hindi है। अगर आपको Hindi Kahani, Magical Story in Hindi या Majedar Hindi Kahaniya
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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है - " जादुई सिलाई मशीन " यह एक Moral Story in Hindi है। अगर आपको Hindi Kahani, Magical Story in Hindi या Majedar Hindi Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

जादुई सिलाई मशीन | Magical Sewing Machine | Hindi Kahaniyan | Moral Stories in Hindi | Horror Story

Jaadui Silai Machine | Magical Sewing Machine | Hindi Kahaniyan | Moral Stories in Hindi | Horror Story 



 जादुई सिलाई मशीन 

एक गांव में मनीराम नाम का एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था। परिवार में केवल वह अकेला ही था। ना बच्चे, ना पत्नी और ना ही कोई रिश्तेदार। 

पेट पालने के लिए वह अपने मालिक के यहां कपड़े बनाने का काम करता था, जिसके बदले में उसे थोड़ा बहुत धन मिलता था जिसे वह अपने जीवन निर्वाह में खर्च कर लेता था।

एक दिन कनीराम अपने मालिक को अपने सिले हुए कपड़े दिखाने के लिए जाता है। उसके मालिक को उसके हाथ से सिले हुए कपड़े पसंद नहीं आते हैं। 

वह गुस्सा होते हुए कहता है," क्यों रे कनीराम ! यह साड़ी है या फिर मछली पकड़ने का जाल ? इसे तो ग्राहक देखते ही रिजेक्ट कर देंगे। इससे हमारी दुकानदारी पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ेगा। क्या तुम हमें भूखा मरना चाहते हो ? "

" नहीं ! नहीं ! मालिक...  बूढ़ा हूं, नजर कमजोर हो चुकी है। कुछ सही से दिखाई नहीं देता। एक आखरी मौका दो, आगे से ऐसा नहीं होगा। "

" सुन रे कनीराम ! तुम्हारे दादा और परदादा ने मेरे दादा की काफी सेवा की है। वह बहुत ही अच्छे कपड़े बनाया करते थे जिन्हें बेचकर बाजार से काफी अच्छा दाम मिल जाता था। 

उन्हीं की बदौलत मैंने तुम्हें काम पर रखा हुआ है। अगर तुम से काम ठीक से नहीं होता तो छोड़ दो। "

" नहीं मालिक ! मैं बूढ़ा हूं; इस उमर में मुझे कोई काम भी नहीं देगा और मुझे कोई दूसरा काम भी नहीं आता। अगर आप मुझे काम से निकाल दोगे तो मैं भूखा मर जाऊंगा। "

कनीराम की दुखियारी बातें सुनकर उसका मालिक कहता है," ठीक है। आखरी मौका देता हूं। अगर आगे से ठीक से काम नहीं किया तो मैं नौकरी से निकाल दूंगा। "

यह सब सुनकर कनीराम घर वापस आने लगता है और सोचता है," इस संसार में बूढ़े और कमजोर व्यक्ति को हर कोई लात मारता है। ना बच्चे हैं, ना पत्नी है और आंखों से भी ठीक से दिखाई नहीं देता। करूं तो क्या करूं ? "


इतने में वह पेड़ की जड़ों से ठोकर खाकर नीचे गिर जाता है और बेहोश हो जाता है। पेड़ की आड़ में खड़ी सफेद साड़ी पहने चुड़ैल को कुछ आवाज सुनाई देती है। 

जैसे ही वह मुड़कर देखती है, उसे कनीराम जमीन पर बेहोश पड़ा हुआ दिखाई देता है।

वह कहती है," मूर्ख इंसान ! खुद ही अपनी मौत के मुंह में आ गया है। "

फिर अगले ही पल वह उसे गौर से देखने लगती है और कहती है," यह तो बहुत ही खूबसूरत है और बिल्कुल मेरी तरह है सिर पर थोड़े बहुत बाल, मुंह में चार दांत और लकड़ी जैसे सूखे - सूखे हाथ पैर। लेकिन चेहरे पर इतना सौंदर्य है कि मैं तो पागल हो गई हूं। पता नहीं क्यों मुझे इससे प्यार हो गया है ? " 




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फिर वह अपने हाथ को बूढ़े कनीराम के हाथ में रख देती है और उसका भविष्य जानने लगती है। वह कहती है," ना बच्चे हैं, ना पत्नी है, उम्र 70 साल, सिलाई करता है और किस्मत हर जगह ठोकर मार रही है। "

" अरे ! अरे ! यह तो बहुत ही दुखी इंसान है। " 

वह कनीराम को गोद में उठाती है और घर की तरफ उड़ने लगती है। अगली सुबह चुड़ैल एक सुंदर युवती का रूप धारण कर लेती है और उसके घर में एक नई सिलाई मशीन, 10 से 15 बहुत ही सुंदर दिखने वाली साड़ियां और कुछ कपड़े जादू से प्रकट कर देती है। 

और खाने में दाल चावल और रोटियां बना कर कनीराम के पास आती है। कनीराम उठता है और उठते ही पूछता है," तुम कौन हो और और मैं यहां कैसे आया ? "

" दरअसल... आप अपने ही घर पर हो। आप मेरे घर के सामने बेहोश पड़े थे तो मैंने कुछ लोगों से कह कर आपको आपके घर छुड़वा दिया। "

" धन्यवाद ! मैं आपके इस उपकार को कभी नहीं भूलूंगा। "

" धन्यवाद ! कैसा ? मैं आपकी पड़ोसी हूं। और पड़ोसी ही पड़ोसी के काम आता है। "

युवती खाना खाने को कहकर अपने घर जाने को कहती है।

कनीराम उससे कहता है," बाहर बारिश हो रही है। ऐसी बारिश में तुम अपने घर कैसे जाओगी ? "

" कोई नहीं... मुझे तो इन सब की आदत है। आप खाना खा लो, मैं चली जाऊंगी। "

इतना कहकर वह युवती वहां से चली जाती है। बूढ़ा कनीराम उठकर सिलाई मशीन और वहां पर रखें नये कपड़ों को देखने लगता है और कहता है," काफी सुंदर कपड़े है। इन्हें देखकर तो मालिक खुश हो जाएंगे। "

फिर कनीराम खाना खाकर सो जाता है। और अगली सुबह अपने मालिक को सिले हुए कपड़े दिखाने के लिए जाता है।


" आ गए कनीराम... आज तो कोई अच्छा कपड़ा सिलकर लाए होगे या नहीं ? देखो... अगर इस बार तुमने लापरवाही करी तो तुम अपने लिए कोई नई नौकरी ढूंढ लेना। "

इतने में कनीराम अपने कपड़ों की पोटरी खोल देता है। उसका मालिक एक-एक कपड़े को उठाकर देखने लगता है और कहता है," अरे वाह ! इतने सुंदर कपड़े। 

सच में तुमने तो कमाल कर दिया। इन कपड़ों का बाजार में अच्छा दाम मिलेगा और लोग मनचाहे दाम पर इन कपड़ों को लेना चाहेंगे। "

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" अरे मुनीम ! सुनो, कनीराम को उसकी मेहनत का फल दे दो और नया कपड़ा और धागा भी दे देना ताकि कनीराम और भी नये कपड़ों की सिलाई कर सके। "

यह सुनकर कनीराम काफी खुश होता है और कहता है," धन्यवाद ! मालिक... अब मैं और अच्छे से काम करूंगा। " और पैसे लेकर वहां से चला जाता है।

कनीराम के घर आते ही वह देखता है कि दरवाजा खुला हुआ है। वह आवाज लगाता है," कौन है अंदर ? " 

तभी वह युवती आवाज देती है," मैं हूं। "

" तुम... तुम अंदर कैसे गई ? मैं तो बाहर से ताला लगाकर गया था। "

" ताला ही तो लगा कर गए थे, चाबी तो घुमाना भूल ही गए। "

चतुराई से बातें घुमा कर युवती ने कहा," मैंने तुम्हारे लिए दोपहर का खाना बना रही हूं। पहले खाना खा लेना उसके बाद ही काम पर लगना। "

" देखो ! तुम मेरा इतना ध्यान मत रखो। मेरा कोई नहीं है और तुम मेरे लिए इतना परेशान क्यों हो रही हो ? "

कुछ देर बाद कनीराम कहता है," देखो भाग्यवान ! मैं तुम्हारे लिए क्या लेकर आया हूं ? "

यह सुनकर भाग्यवती अचानक से बोलती है," क्या ? क्या कहा अभी अभी आपने ? "

" अरे ! कुछ नहीं, तुम गलत मत समझना। "

युवती खाना पका रही होती है और कहती है," अरे ! नहीं - नहीं कोई बात नहीं। "

" देखो... तुम इतना मन लगा कर मेरा काम कर रही हो और इतना ध्यान रख रही हो। तुम्हारा भी इस दुनिया में कोई नहीं है और मैं भी अकेला ही हूं। क्यों ना हम दोनों शादी कर ले ? "


यह सुनकर युवती खुश हो जाती है और कहती है," हां ! मैं सहमत हूं। लेकिन मैं अपना चेहरा तुम्हें नहीं दिखा सकती क्योंकि मैं देखने में बिल्कुल भी सुंदर नहीं हूं। "

" इस बुढ़ापे में देह सौंदर्य का क्या फायदा ? हमें एक दूसरे के साथ की जरूरत है, वही हमारे लिए काफी है। लेकिन फिर भी तुम इस तरह चेहरा ढककर कब तक रहोगी ? तुम इसे खोल सकती हो। "

" नहीं ! नहीं ! "

इतने में कनीराम अपने हाथों से उसका घूंघट उठा देता है। घुंघट उठाते ही वह युवती चुड़ैल के रूप में आ जाती है और भयानक एवं डरावनी आवाज के साथ हंसने लगती है।

यह देखकर कनीराम बुरी तरह डर जाता है और दबे पांव वहां से गांव की ओर भागने लगता है।




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लेकिन चुड़ैल का कनीराम को डराने का कोई मकसद नहीं था। वह उसे रोकती हुई कहती है," सुनो ! सुनो ! कहां जा रहे हो ? मैंने तुम्हारी इतनी मदद करी है। 

मैंने तो पहले ही कहा था, मैं देखने में बिल्कुल भी सुंदर नहीं हूं। मुझे अकेला छोड़कर मत जाओ। दुष्ट इंसान... मैंने तुम्हारे लिए कितना कुछ किया ? 

रोते हुए कहती है," चलो छोड़ो। मैंने जादुई मशीन और कुछ नए कपड़े अपने जादू से तुम्हारे इस घर में ही छोड़ दिए हैं। अपना ध्यान रखना और हंसी खुशी अपना जीवन जीना। "

चुड़ैल भले ही डरावनी और भयानक थी लेकिन स्वभाव से वह काफी कोमल और मददगार थी। रोते-रोते आसमान में उड़ने लगती है और वहां से चली जाती है।

इस कहानी से आपने क्या सीखा ? नीचे Comment में हमें जरूर बताएं। 


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हेलो दोस्तों ! मैं हूं आपका अपना दोस्त, प्रदीप। यहां मैं कुछ अनोखी कहानियों के साथ आपका मनोरंजन करूंगा। अगर आपको हमारा लेखन कार्य पसंद आए तो हमें Support करें और अपना प्यार बनाए रखें।

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