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कितनी मोहब्बत है : (भाग -4) | Kitni Mohabbat Hai | Love Story | Pyar Ki Kahani | Real Love Story | Heart Touching Love Story

आज की कहानी का नाम है - " कितनी मोहब्बत है "। यह इस कहानी का (भाग -4) है। यह एक True Love Story है। अगर आप भी Love Story, Romantic Story या Hindi Love
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हेलो दोस्तों ! कहानी की इस नई Series में हम लेकर आए हैं आपके लिए एक और नई कहानी। आज की कहानी का नाम है - " कितनी मोहब्बत है "। यह इस कहानी का (भाग -4) है। यह एक True Love Story है। अगर आप भी Love Story, Romantic Story या Hindi Love Story पढ़ना पसंद करते हैं तो कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

कितनी मोहब्बत है : (भाग -4) | Kitni Mohabbat Hai | Love Story | Pyar Ki Kahani | Real Love Story | Heart Touching Love Story

Kitni Mohabbat Hai | Love Story | Pyar Ki Kahani | Real Love Story | Heart Touching Love Story


कितनी मोहब्बत है : (भाग -4)


अब तक आपने पढ़ा...

मीरा निधि के घर पर रुकने आई है। आज उसका पहला दिन है। वह लगभग घर की सभी सदस्यों से परिचित हो चुकी है।

लेकिन एक व्यक्ति है जिससे वह अभी तक नहीं मिली लेकिन उसके बारे में उसने घर के सभी सदस्यों के मुंह से अलग-अलग तरह की बातें सुनी है। 

अब आगे...

दादी माँ ने उसे अपनी शादी से लेकर अब तक के सफर के बारे में बता दिया। मीरा ख़ामोशी से उन्हें सुनती रही। 

दिन चढ़ने लगा था। दादी माँ और मीरा अंदर चली आईं। मीरा ने देखा रघु बरामदे से कपड़े का ढेर लेकर जा रहा था तो वो मदद के लिए उसके पास आई और कहा।

मीरा," लाइए, कुछ कपड़े हमें दे दीजिये। "

रघु," अरे ! नहीं नहीं दीदी, ये अक्षत बाबा के कपड़े है। इन्हें तो हमें ही रखने जाना होगा। उन्हें नहीं पसंद कोई उनकी चीजों को हाथ लगाए। "

मीरा ने सुना तो उसे बड़ा अजीब लगा और वो सोचने लगी कि आखिर ये अक्षत है क्या ? "

रघु," आपको कुछ चाहिए दीदी ? "

रघु की आवाज से मीरा के तंद्रा टूट गई और उसने धीरे से ना में गर्दन हिला दी। वो अंदर चली आई। 

बालकनी में गमलों में पौधे लगे थे। मीरा उनकी ओर चली आई। उसने खराब हो चुकी पत्तियों को अलग किया और गमलों की सफाई करके उनमें पानी देने लगी। 

दादू बाहर से आ चूके थे और काफी देर से वो मीरा को ये सब काम करते हुए देख रहे थे। मीरा बड़े प्यार से पौधों की सिंचाई कर रही थी, जिसे देख कर दादू की आँखों को सुकून मिल रहा था। 

वो चल कर मीरा के पास आए और वहाँ पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए कहा।

दादा ," बड़े दिनों बाद किसी को इतने इत्मिनान से काम करते देखा है। "

मीरा," अरे ! दादाजी आप। "

मीरा ने दादू की आवाज सुन कर कहा।

दादा," तुम मुझे सबकी तरह दादू ही बुलाया करो, अपनापन लगता है। वैसे तुम आज ही इस घर में आई हो और आज ही काम में खुद को व्यस्त कर लिया। "


दादू ने बड़े प्यार से कहा।

मीरा," हमें ये सब काम करना पसंद है दादू। पौधे भी इंसान की ही तरह होते हैं। 

जैसे कोई उदास इंसान अच्छा नहीं लगता, वैसे ही मुरझाया हुआ पौधा भी अच्छा नहीं लगता और हमारी माँ कहती थीं कि मुरझाये हुए पौधे घर में रखना अच्छा शगुन नहीं होता है। "

मीरा ने धीमी आवाज में पौधे पर लगे उस छोटे से फूल को सहलाते हुए कहा। 

दादा," तुम तो बहुत समझदार बच्ची हो। ये पौधे अक्षत लाया था। जब पिछले साल हम सब बनारस गए थे घूमने, वहाँ से लौटते हुए रास्ते में उसने ये खरीदे थे। 

ये बात और है, घर में लाने के बाद उस नालायक ने इसे संभाला नहीं। "

दादू के मुँह से अक्षत का नाम सुनकर मीरा के दिमाग में फिर वही दो आंखें घूमने लगी। उसे खामोश देखकर दादा जी ने कहा।

दादा," तुम करो, मैं चलता हूँ। "

दादू वहाँ से चले गए। मीरा वहीं बैठी अक्षत के बारे में सोचने लगी जिसका नाम वो सुबह से लगातार सुन रही थी। लेकिन जिसे देखा नहीं था उसने।

निधि," मीरा, वहाँ क्या कर रही हो तुम ? "

निधि ने बाहर से आते हुए कहा जिसके हाथ में कुछ बैग्स थे। निधि को वहाँ देखकर मीरा उठी, हाथ धोए और हॉल में आ गई। 

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मीरा निधि के पास आई तो निधि ने एक नोटबुक उसकी ओर बढ़ाकर कहा।

निधि ," तुम्हारे एक महीने के बेक नोट्स। "

मीरा (हैरानी से)," ये तुम्हें कहाँ से मिले ? "

निधि," विनीत से आज मार्केट में मिली थी। मैंने उसे कहा कि मीरा एक महीने कॉलेज नहीं आई थी तो उसने खुशी खुशी अपने नोट्स दे दिए। "

मीरा," तुमने ऐसा क्यों किया ? तुम्हें उससे नोट्स नहीं लेने चाहिए थे। "


मीरा ने गंभीर होकर कहा।

निधि," ओह ! कम ऑन मीरा, सब जानते हैं विनीत तुम्हें पसंद करता है और इसलिए उसने तुम्हें अपने नोट्स दिए हैं। "

मीरा," हम उसे कल ये वापस लौटा देंगे। "

 निधि ," तुम्हारी मर्जी। "

 मीरा ने बुक को टेबल पर रखा और निधि के बगल में बैठ गई। निधि ने एक बैग से चॉकलेट का पैकेट निकालते हुए कहा।

निधि ," खाओगी। "

मीरा ," तुम्हे पता है ना हमें चॉकलेट नहीं पसंद ? "

निधि," तुम ना दुनिया का आठवां अजूबा हो, अक्षत भैया के जैसे। "

मीरा," मतलब..? "

निधि ," तुम दुनिया की पहली लड़की होगी जिसे चॉकलेट नहीं पसंद। वैसे भी मैं ये अक्षत भैया के लिए लाई थी। उन्हें डार्क चॉकलेट बहुत पसंद है। "

अब तक सबके मुँह से अक्षत का नाम सुन सुनकर मीरा थक चुकी थी और इस बार तो निधि ने उसे अक्षत के जैसा भी बता दिया था। 

मीरा उठी और वहाँ से चली गई। निधि को बड़ी हैरानी हुई। मीरा के जाने से उसके मुँह से हैरानी भरे शब्द निकले।

निधि," अब इससे क्या हुआ ? खैर... पहले चॉकलेट खा लूँ, फिर पूछती हूँ। "

निधि ने एक और पीस मुँह में रख लिया। शाम हो चुकी थी और ठंड भी बढ़ने लगी थी। 

मीरा ने कबर्ड में रखा अपना क्रीम कलर का स्वेटर निकाल लिया और पहनकर नीचे आ गई। दादी माँ पूजा घर में शाम की आरती कर रही थी। 

दादा जी हॉल में बैठकर टीवी पर न्यूज देख रहे थे, जिन्हें पूजा करते हुए दादी बीच बीच में टोक भी रही थी।

पर दादाजी के कान पर जूं तक नहीं रेंगती। मीरा ये नजारा देखकर मुस्कुरा उठी। हॉल से कुछ ही दूर बने डाइनिंग एरिया में रघू टेबल पर रखी प्लेट साफ़ करके लगा रहा था। 


उसका ध्यान टेबल पर कम और न्यूज़ पर ज्यादा था और उसी के हिसाब से उसके चेहरे के भाव भी बदल रहे थे। 

मीरा उसके पास आई और इशारों में ही उसे वहाँ बैठकर टीवी देखने को कहा और उसके हाथ से कपड़ा लेकर खुद प्लेट पोछकर रखने लगी।

रघु मीरा के इस व्यवहार पर मुस्कुरा उठा। वहाँ से मीरा किचन की ओर आई और दरवाजे पर आकर रुक गई। उसे दरवाजे पर खड़े देखकर राधा ने कहा।

राधा," तुम बाहर क्यों खड़ी हो ? "

मीरा ने कुछ नहीं कहा। शायद वो कहने से हिचकिचा रही थी। राधा ने उसका चेहरा देखा तो उसकी परेशानी समझ गई और कहा।।

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राधा," तुम सोच रही होगी, हम लोग ब्राह्मण है और तुम राजपूत तो रसोई के अंदर आऊ या नहीं ? यही बात है ना ? "

मीरा," जी, हम राजपूत जरूर है लेकिन शाकाहारी है। "

राधा," कोई बात नहीं अंदर आ जाओ। "

मीरा अंदर आई। किचन एक कमरे जितना बड़ा था। सारा समान व्यवस्थित जमा हुआ था। किचन देखकर मीरा इतना तो जान चुकी थी। 

राधा को सफाई पसंद थी। वो किचन की हर चीज़ को बड़े गौर से देख रही थी। तभी उसकी नजर सामने रैप पर रखे कॉफ़ी मग पर गई। मीरा ने उसे उठाया।

उस पर किसी लड़के की तस्वीर थी लेकिन चेहरा नहीं नज़र आ रहा था। उसने अपने हाथ को अपने चेहरे से बिल्कुल ढका हुआ था, जिससे सिर्फ उसकी आँखें नजर आ रही थी। 

मीरा ने पलटकर देखा तो पीछे एक मैसेज लिखा था... माई आइज आर इनफ फॉर यू टु फॉल इन लव विथ मी। तुम्हारा मेरे प्यार में पडने के लिए मेरी आँखे ही काफी है। 


मीरा ने पढ़ा तो उसे बहुत अजीब लगा। वो जैसे ही पलटी, राधा पीछे खड़ी थी। उसने मीरा के कहने से पहले ही मग की तस्वीर की ओर इशारा करते हुए कहा।

राधा," मेरा छोटा बेटा अक्षत, इसे तस्वीरें खिंचवाना बिल्कुल पसंद नहीं है। ये लास्ट बर्थडे पर निधि ने ली थी और इसे गिफ्ट की थी। "

मीरा ने फिर से अक्षत के बारे में कुछ नया सुना। अंदर ही अंदर झुंझलाहट भी थी। मीरा को खामोश देखकर राधा ने कहा।

राधा," इसे वहाँ रख दो। "

मीरा पलटी और हाथ को ज़ोर से झटका। वैसे ही जैसे हम लोग किसी सामान को फेकते हैं। राधा सब्जियां काटने में बीज़ी थी तो मीरा उनके पास आई और कहा।

मीरा ," हम आपकी कुछ मदद करें ? "

राधा," नहीं बेटा, मैंने सब कर लिया है। बस दादा जी के लिए कुछ फीका बनाना है। तुम कुछ लोगी... चाय, कॉफ़ी ? "

मीरा," नहीं आंटी, आपकी हेल्प करते तो हमें अच्छा लगता। वैसे भी जब से आए हैं तब से मेहमान जैसा महसूस कर रहे हैं। "

राधा," अच्छा... तो ये बात है। फिर एक काम करो वो वहाँ जो कच्चा नारियल रखा है, उसके छोटे छोटे टुकड़े कर दो। अक्षत को नारियल की चटनी बहुत पसंद है। खुश हो जाएगा वो। "

मीरा," ठीक है। "

और चाकू उठाकर नारियल की ओर बढ़ गई। उसने नारियल का टुकड़ा उठाया और उस पर ऐसे चाकू चलाया जैसे वो नारियल नहीं, अक्षत की गर्दन हो। 

इस एक नाम ने आज उसे जितना परेशान किया था, शायद जिंदगी में किसी ने ना किया हो। 

जिसके नाम से मीरा इतना परेशान थी, वो खुद जब उसके सामने आएगा तब क्या होगा, कोई नहीं जानता था ? नारियल काटकर मीरा बाहर चली आई। 

उसने राधा को डाइनिंग पर खाना लगाने में मदद की और फिर हाथ मुँह धोने चली गई। मुँह धोकर जब उसने खुद को आईने में देखा तो परेशानी के भाव उसके चेहरे से साफ साफ झलकने लगे।

तौलिये से मुँह पोछते हुए वो मन ही मन खुद से कहने लगी।

मीरा (मन में)," आखिर क्या बला है ये अक्षत..? घर में सबकी जुबान पर उसका ही नाम है। हर कोई बस उसकी ख़ुशी की बात करता है। 

अच्छा है या बुरा है, कुछ पता ही नहीं चल पा रहा ? और फिर उसके ये अजीब थॉट्स... आखिर कौन है ये अक्षत ? "

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मीरा के साथ साथ आप भी सोच में पड़ गए होंगे कि आखिर क्या बला है अक्षत ? हमारे अक्षर जी से मिलने के लिए आप लोग भी उतने ही बेचैन होंगे जितनी हमारी मीरा है।


ये इंतज़ार की घड़िया जल्दी खत्म होगी तब तक पढ़ते रहिये... कितनी मोहब्बत है, मेरे साथ।
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