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जादुई कटोरा और दो सूखी रोटी | Bed Time Story | Hind Kahani | Jaadui Kahaniyan | Jaadu Ki Kahani | Moral Story in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है - " जादुई कटोरा और दो सूखी रोटी  " यह एक Bed Time Story है। अगर आपको भी Hindi Kahaniyan, Moral Stories in Hindi या Majedar Hindi Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

जादुई कटोरा और दो सूखी रोटी | Bed Time Story | Hind Kahani | Jaadui Kahaniyan | Jaadu Ki Kahani | Moral Story in Hindi

Hindi Kahaniyan | Bed Time Story | Hind Kahani | Jaadui Kahaniyan | Jaadu Ki Kahani | Moral Story in Hindi



 जादुई कटोरा और दो सूखी रोटी 


एक गांव में चमन नाम का बहुत ही ईमानदार व्यक्ति रहता था। लेकिन वह बहुत ही गरीब था। इसलिए उसकी पत्नी हमेशा उसे ताना मारती रहती थी। हर रोज लड़ाई झगड़ा करना यही सब उसका काम था।

एक सुबह चमन सो कर उठता है और नाश्ते के लिए आवाज लगाता है," सुनो भाग्यवान... कुछ खाने के लिए हो तो ले आओ। "

इस पर उसकी पत्नी दो सूखी रोटी कटोरे में लेकर आ जाती है। यह देखकर चमन कहता है," अरे ! यह क्या ?? केवल दो सूखी रोटी। "

उसकी पत्नी गुस्सा होते हुए कहती है," जितना करते हो उसमें तो यही मिलेगा। पहले कुछ कमा कर लाओ उसके बाद अच्छा खाने की सोचना। अपने छोटे भाई को देखो... कितना अच्छा पैसा कमाता है। काश ! मेरी शादी उसी से हुई होती। "

यह सब सुनकर चमन को गुस्सा आ जाता है और वह तुरंत खड़ा होता है और अपनी पत्नी से कहता है," सुनो भाग्यवान... अब मैं कुछ करके ही घर लौटूंगा। लाओ मुझे यह रोटी।

चमन अपना थैला उठाता है और वही दो सूखी रोटी अपने थैले में रख कर वहां से निकल जाता है।

चलते - चलते वह एक जंगल में पहुंचता है। घर से काफी दूर आने के कारण उसके पैर दर्द करने लगते हैं। वह आराम करने की इच्छा जताता है। 

सामने उसे एक बड़ा सा पेड़ दिखाई देता है जिसकी छाया काफी शीतल होती है। वह पेड़ के पास जाता है और थैला रखकर वहीं लेट जाता है। थकान होने के कारण  लेटते ही सो जाता है।

उसी पेड़ पर वन देवता कभी-कभी प्रकट होते थे। भाग्यवश वह दिन भी आज ही था। वन देवता प्रकट हुए। उन्होंने देखा कि एक आदमी पेड़ के नीचे सोया हुआ है।

वे कहते हैं," यह आदमी कौन है ? और इसके पास सामान क्या है ? "

वह थैले को उठाते हैं और उसमें से दो सूखी रोटी निकालता हैं। अरे ! यह क्या ? भोजन... वैसे भी मुझे बहुत तेज भूख लग रही है। वे रोटी खाना शुरू कर देते हैं। 


रोटी खाते हुए कहते हैं," अरे ! वाह क्या स्वाद है। रोज-रोज स्वर्ग का भोजन खाकर मेरा तो मन ही ऊब गया था। इस भोजन ने दोबारा से मेरे स्वाद को जगा दिया। "


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देखते ही देखते वे दोनों रोटी खा जाते हैं। रोटी खाकर कहते हैं," अरे ! यह क्या ? मैंने तो दोनों रोटी खा ली। अब यह पुरुष क्या खाएगा ? नहीं ! नहीं मुझे इसके भोजन का बंदोबस्त करना होगा। "

वनदेवता अपने जादू से एक कटोरा उसके थैले में डाल देते हैं। यह कोई साधारण कटोरा नहीं होता है बल्कि यह एक जादुई कटोरा था। इसके बाद वनदेवता अदृश्य हो जाते हैं।

थोड़ी देर बाद चमन सो कर उठता है। वह देखता है कि काफी समय तक वह सो लिया है और अब सूर्यास्त भी होने वाला है। नींद से उठने के बाद उसे तेज भूख लगती है। वह अपना थैला उठाता है और उसमें अपनी सुखी रोटियों को ढूंढने लगता है।

बदले में उससे एक कटोरा मिलता है जो खाली होता है। यह देखकर वह सोच में पड़ जाता है कि उसकी दो रोटियां कहां गई। उदास होकर वह गुस्से में उस कटोरे को दूर फेंक देता है।

कटोरा जाकर पत्थर से टकराता है और उसमें से एक अप्सरा प्रकट होती है। हे ! प्रभु बोलिए आपको क्या चाहिए ? मैं आपकी किस प्रकार सेवा कर सकती हूं ? "

चमन यह देखकर हैरान रह जाता है और कहता है," तुम कौन हो ? "

इस पर अप्सरा कहती है," मैं आपकी दासी हूं। "

यह सुनकर चमन हैरान हो जाता है। वह कहता है," मैं खुद एक गरीब हूं। तो तुम मेरी दासी कैसे हो सकती हो ? "

चमन काफी भूखा होता है इसलिए उससे ज्यादा सवाल नहीं पूछते हुए सीधा अपने भोजन की मांग करता है। वह कहता है," मुझे बहुत तेज भूख लगी है। मेरे लिए मिठाइयों का इंतजाम करो। "

देखते ही देखते अप्सरा अपने हाथों को हवा में घूमाती है और चार बड़े-बड़े थालों में अलग-अलग तरह की मिठाइयां और पकवान लगा देती है।

यह सब देखकर चमन बहुत खुश होता है और मिठाइयों को खाकर अपना पेट भरता है।

अब अप्सरा कहती है," अब मुझे इजाजत दीजिए प्रभु। "

यह कहकर अप्सरा उस कटोरे में घुस जाती है।


यह देखकर चमन कहता है," अरे ! ये कहां गायब हो गई ? "

फिर वह उस कटोरे को ढूंढता है और कहता है," अच्छा... तो यह कोई साधारण कटोरा नहीं है बल्कि एक जादुई कटोरा है। इसे देखकर मेरी पत्नी बहुत खुश हो जाएगी। और अब मुझे काम करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। "

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बिना देरी लगाए वह घर जाता है और अपनी पत्नी को आवाज लगाता है," सुनो भाग्यवान... यहां आओ। "

 यह सुनकर उसकी पत्नी बाहर आती है और गुस्से से कहती है," क्या है ? क्यों चिल्ला रहे हो ? "

चमन खाली कटोरा अपनी पत्नी को दिखाते हुए कहता है," यह लो, इसे रखो। "

यह देखकर चमन की पत्नी कहती है," यह क्या है ? कुछ कमा कर भी लाए हो या सिर्फ खाली कटोरा ही दे रहे हो ? "

" अरे ! भाग्यवान... यह कोई साधारण कटोरा नहीं है। यह एक जादुई कटोरा है जिससे तुम जो भी मांगोगे वह तुम्हें मिलेगा। "

चमन उस कटोरे को जमीन पर फेंकता है। फेंकते ही उसमें से अप्सरा प्रकट होती है।

" बोलिए प्रभु ! मैं आपकी क्या सेवा कर सकती हूं ? "

यह सुनकर चमन कहता है," मेरी पत्नी के लिए अलग-अलग तरह के स्वादिष्ट पकवान लाए जाए। "

अप्सरा अपने हाथों को हवा में घूमाती है और अलग-अलग तरह के पकवानों को अपने जादू से प्रकट करती है।

यह देख कर चमन की पत्नी हैरान रह जाती है और खुशी भी होती है।

वह तुरंत कहती है," सुनो जी... क्यों ना हम अपने पूरे गांव को आज शाम दावत पर बुलाएं ? उन्हें खाना खिलाकर हमें बहुत सुख मिलेगा। "

" हां ! हां ! क्यों नहीं। यह तुमने बहुत अच्छी बात कही है। मैं जाता हूं और गांव के सभी लोगों को आमंत्रित करता हूं। "

चमन अब गांव की तरफ निकल जाता है और गांव के लोगों से शाम को खाने के लिए अपने घर आने के लिए कहता है।

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गांव के लोग कहते हैं," क्या हुआ चमन ? सच में तुम हमें आज दावत देने वाले हो ? खाने में क्या मिलेगा ? "

" अरे ! आप पहले घर तो आइए। "

यह कहकर वह गांव के सभी लोगों को आमंत्रित करके घर वापस लौटता है।

राजू नाम का एक व्यक्ति उसकी बातों को छुपकर सुन रहा था। वह चमन को जाकर रास्ते में रोक लेता है और पूछता है," अरे ! भाई क्या है..?? सुना है तुम पूरे गांव को दावत दे रहे हो। "


" हां ! हां ! भाई... तुम भी शाम को मेरे घर जरूर आना। "

" हां ! हां ! जरूर आऊंगा लेकिन पहले यह तो बताओ कि तुम्हारे पास इतना भोजन आएगा कैसे ? दोस्त हूं इतना तो बता ही सकते हो। "

" हां ! हां ! "

चमन अपनी पूरी कहानी राजू को सुनाता है। राजू सुनकर काफी हैरान हो जाता है।

यह सुनकर वह तुरंत घर जाता है और अपनी पत्नी को सारी खबर देता है और कहता है," सुनो भाग्यवान...:बड़े-बड़े थानों में अलग-अलग तरह की मिठाइयां लगाकर लेकर आओ। मैं जाऊंगा और मैं भी एक जादुई कटोरा लेकर आऊंगा। "

4 बड़े बड़े थालों को लेकर वह जंगल की तरफ जाता है और उसी पेड़ के नीचे थाल को रखकर सो जाता है। लेकिन दुर्भाग्यवश इस बार कोई देवता नहीं बल्कि राक्षस उस पेड़ के नीचे प्रकट होता है। उसके हाथ में एक बड़ा सा कटोरा होता है।

वह कहता है," छी ! छी ! इससे पत्थर के कटोरे से मैं क्या करूंगा जब मेरे सामने इतने अच्छे-अच्छे पकवान रखे हैं ? "

वह पत्थर के कटोरे को वहीं छोड़ देता है और पकवानों को देखते ही देखते खा जाता है।

कुछ देर बाद राजू सोकर उठता है तो उसे एक कटोरा दिखाई पड़ता है। वह सोचता है कि यही है वह जादुई कटोरा जिससे मैं भी चमन की तरह बन सकता हूं। 




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वह कटोरे को लेकर घर जाता है और अपनी पत्नी को दिखाते हुए कहता है ," देखो... अब मेरा कमाल। "

वह कटोरे को जमीन पर फेंकता है। लेकिन उससे एक बड़ा सा राक्षस प्रकट होता है। यह देख कर राजू और उसकी पत्नी डर जाते हैं। 

राजू की पत्नी कहती है," अजी... यह तुमने क्या किया ? तुमने तो एक राक्षस को जगा दिया। "

राक्षस कहता है," बोलो मुझे क्यों बुलाया है ? मुझे बहुत तेज भूख लग रही है। मेरे लिए खाने का इंतजाम करो नहीं तो मैं तुम्हें मार दूंगा। "


राजू के घर अब खाने के लिए कुछ भी नहीं था। वे दोनों अपनी जान बचाने के लिए वहां से भागते हैं। पीछे पीछे वह राक्षस भी उन्हें मारने के लिए भागता है।

दूसरी तरफ चमन और उसकी पत्नी गांव के लोगों को भोजन खिलाकर अत्यंत सुख महसूस करते हैं और आगे का जीवन खुशी खुशी बिताते हैं।



इस कहानी से आपने क्या सीखा नीचे Comment में हमें जरूर बताएं।


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