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मोची का जादुई जूता | Hindi Kahani | Hindi Moral Stories | Hindi Kahaniyan | Majedar Kahaniyan

आज की इस कहानी का नाम है - " बेवकूफ मुखिया " यह एक Majedar Hindi Kahani है। अगर आपको भी Hindi Kahaniyan, Moral Stories in Hindi या Hindi Fairy Tales
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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है - " मोची का जादुई जूता " यह एक Majedar Hindi Kahani है। अगर आपको भी Hindi Kahaniyan, Moral Stories in Hindi या Hindi Fairy Tales पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


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 मोची का जादुई जूता 


दौलतपुर गांव में एक मोची रहता था। उसका नाम रामू था। वह बहुत ही गरीब था। गांव के लोगों के जूते सिलकर बड़ी मुश्किल से अपना गुजारा कर पाता था। गांव के सभी लोग उसी से अपने जूते सिलवाते थे।

एक दिन वह जूते सिल रहा था। तभी उसका दोस्त घनश्याम वहां आया। उसने रामू से कहा," रामू... तुम इस गांव में कब तक जूते सिलते रहोगे ? 

इससे तो तुम अपना पेट भी नहीं भर सकते। तुम एक काम करो तुम शहर चले जाओ। शहर में तुम्हें इस काम के बहुत अच्छे पैसे मिलेंगे। जिससे तुम एक खुशहाल जिंदगी जी पाओगे। "

रामू कहता है," शहर कैसे जाऊं ?? मेरे पास तो चार पैसे भी नहीं है। और वहां जाने के लिए तो पैसों की जरूरत पड़ेगी। ना ही अच्छे कपड़े और ना ही पहनने को जूते - चप्पल। कैसे जाऊं मैं शहर ? "

रामू उदास चेहरा लेकर घर वापस आता है और भगवान के सामने हाथ जोड़कर कहता है," हे ! प्रभु मैंने कौन - सा पाप किया है जो मुझे इतनी गरीबी और लाचारी देखनी पड़ रही है ? आखिर कब तक मैं यूं ही गरीबी झेलता रहूंगा ? "

रामू भगवान से वार्तालाप कर ही रहा था कि सामने सड़क से एक फेरीवाला गुजरा। फेरीवाले की गाड़ी से दो लाल रंग के जूते गिर गए।

रामू ने जब यह सब देखा तो उसने तुरंत फेरीवाले को आवाज लगाई। फेरीवाले ने अपनी गाड़ी रोकी और पीछे मुड़ कर देखा। 

उसने देखा कि दो लाल रंग के जूते उसकी गाड़ी से गिर गए हैं। जूते बहुत पुराने थे इसलिए उसने जाने दिया और अपनी गाड़ी लेकर आगे बढ़ गया।

फिर रामू ने उन दोनों जूतों को उठाया। रामू को उन जूतों का कलर बहुत पसंद आया। उसने अपने हाथों से उन जूतों को सिला और पहन कर देखा। रामू के पांव में वह जूते काफी खिल रहे थे। 


वह उन्हें देखकर काफी हंस रहा था और खुश हो रहा था। क्योंकि काफी लंबे समय बाद उसने अपने पैरों में जूते पहने थे। वह बार-बार जूतों को उतारता और पहनता और हंसने लगता।


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जूतों को पहन कर वो इतना खुश था कि वह अपने ख्वाबों में खो जाता है और एक शहर में घूमने लगता है। उसके पांव में वही जूते हैं और वह खुशी-खुशी एक समुद्र के किनारे टहल रहा है।

अचानक से दयाराम सेठ आता है और रामू को झकझोरते हुए कहता है," ए रामू... पिछली बार तूने जूते सही से नहीं सिले अगर अब इस बार ऐसा हुआ तो मैं एक भी पैसा नहीं दूंगा। "

रामू यह सुनकर तुरंत ख्वाबों से बाहर आता है और दयाराम सेठ के जूते सिलने लगता है।

कुछ देर बाद रामू उन जूतों को दोबारा से पहनता है। और पहाड़ों पर घूमने की इच्छा जताता है। जैसे ही वह कहता है कि मैं पहाड़ों पर घूमने जाना चाहता हूं। वह तुरंत गायब होकर पहाड़ों की चोटी पर पहुंच जाता है। 

यह देखकर रामू आश्चर्यचकित हो जाता है कि यह सब कैसे हुआ ? चट्टान बहुत ऊंची थी तो डर के मारे रामू के मुंह से निकला कि मैं घर जाना चाहता हूं। रामू तुरंत वहां से गायब हो गया और घर पर आ गया। 

अब रामू को इन जूतों पर शक हुआ। उसने उन जूतों को उतारा और फिर कहा," मैं पहाड़ों पर जाना चाहता हूं। " लेकिन इस बार कुछ नहीं हुआ। 

उसने फिर जूतों को पहना और फिर कहा," मैं पहाड़ों पर जाना चाहता हूं। " इस बार वह फिर पहाड़ों पर पहुंच गया। अब उसे यकीन हो गया था कि यह सब इन जादुई जूतों से ही हो रहा है।

इस बार रामू ने समुद्र पर जाने की जिद‌ की। वह तुरंत समुद्र पर पहुंच गया। उसने समुद्र के पानी में डुबकी लगाई और थोड़ी देर बाद बाहर आया। 

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अब उसने जंगल में बाघ देखने की जिद की। वह तुरंत एक घने जंगल में पहुंच गया। जहां पर एक बड़ा सा बाघ टहल रहा था। बाघ ने जैसे ही रामू को देखा वैसे ही उसने रामू के ऊपर हमला कर दिया।

लेकिन अच्छा हुआ कि वह वहां से अदृश्य हो गया और घर आ गया। इस बार उसे समझ आ गया था कि दोबारा से ऐसी कोई गलती नहीं करूंगा।

इतने में एक डॉक्टर रामू के पास से गुजरा। रामू ने उन्हें रोका और पूरी कहानी उन्हें बताई। डॉक्टर ने यह खबर एक रिपोर्टर को बताई। 

कुछ ही समय में काफी सारे रिपोर्टर वहां आ गए। धीरे-धीरे रामू की पहचान बढ़ने लगी। यह देखकर उसका विपक्षी मोची, रामलाल उससे जलने लगा।

रामलाल ने सोचा मुझे कुछ ना कुछ तो करना पड़ेगा। रात को रामलाल रामू के घर आता है और रामू का सोते हुए देखकर वह उसके जूतों पर ब्लेड चला देता है। जिससे जूते पूरी तरह से उधढ जाते हैं। और वापस घर आ जाता है।

सुबह जब रामू सोकर उठता है तो वह अपने जूतों को देखता है। उसके जूते पूरी तरह से फट चुके थे। यह देखकर वह हैरान रह जाता है कहता है," शाम को तो मैंने सही जूते रखे थे। अब यह कैसे फट गए। जरूर यह किसी की शैतानी है ? "


रामू उठता है और दोबारा से उन जूतों को सिल देता है। जूते दोबारा से पहले जैसे ही हो जाते हैं। अब वह जूते पहनकर घर से बाहर आता है। कुछ लोग भागते भागते रामलाल के घर की ओर जा रहे थे। 




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लोगों को भागता हुआ देखकर रामू ने उनसे पूछा," क्या हुआ ? " तो लोगों ने बताया कि रामलाल के घर आग लगी है। चलो चल कर उसे बचाते हैं। यह सुनकर रामू सीधा गायब होकर उसके घर पहुंचता है।

रामलाल के घर में आग लगी हुई थी और उसका बेटा घर में फंसा हुआ था। रामलाल बाहर से आवाज लगा रहा था," बचाओ...बचाओ। कोई तो बचाओ। " 

यह सुनकर रामू घर में जाता है और बच्चे को सुरक्षित ले आता है। लेकिन आग में घुसने के कारण उसके जूते जलने लगे थे। उसने तुरंत जूतों को उतार दिया और जूते पूरी तरह से जल गये।

जूतों को जलता हुआ देखकर रामू उदास होने लगा और कहने लगा," अब मैं क्या पहनूंगा,, मेरे जादुई जूते। "

यह सब देखकर रामलाल कहता है," मुझे माफ करना रामू,, मैंने ही रात को तुम्हारे जूते ब्लेड से काट दिए थे। मुझे क्षमा कर दो। "

रामू कहता है," कोई बात नहीं रामलाल,, इंसान के आगे इन जूतों की कोई कीमत नहीं है। " यह कहते हुए वह घर की ओर निकल जाता है।



इस कहानी से आपने क्या सीखा ? नीचे Comment में हमें जरूर बताएं।



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