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नाचने वाली चुड़ैल | Hindi Kahaniyan | Moral Stories | Chudail Ki Kahani| Horror Stories | Stories in Hindi | Bed Time Story

आज की इस कहानी का नाम है - " नाचने वाली चुड़ैल " यह एक Horror Story है। अगर आपको Hindi Kahani, Chudail Ki Kahani या Majedar Hindi Kahaniyan
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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है - " नाचने वाली चुड़ैल " यह एक Horror Story है। अगर आपको Hindi Kahani, Chudail Ki Kahani या Majedar Hindi Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

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 नाचने वाली चुड़ैल 

एक समय की बात है... धौलपुर गांव में राजीव नाम का एक लड़का रहता था। वह पढ़ने में बहुत होशियार और काफी चतुर भी था। उसने 10वीं अपने गांव से ही की और आगे की पढ़ाई के लिए उसे शहर जाना था। 

उसके पिता ने उसे कुछ पैसे देते हुए कहा," लो बेटा ! शहर जाकर अपना ध्यान रखना और खूब मन लगाकर पढ़ना। " 

पिताजी का आशीर्वाद लेकर राजीव शहर के लिए निकल जाता है। शहर पहुंचकर वह अपने पिताजी को खबर करता है कि वह सही सलामत शहर पहुंच चुका है। अब वह अपने रुकने के लिए एक मकान तलाशने में लग जाता है। 

तभी मुरारीलाल उसके पास से होते हुए गुजरता है। राजीव तुरंत उससे पूछता है," भाई साहब ! रहने के लिए एक मकान चाहिए किराए पर... क्या आप मुझे बता सकते हैं ? 

मुरारीलाल काफी दिनों से एक ऐसे ही किराएदार की तलाश में था। उसने बात को घुमाते हुए कहा," हां ! मेरी नजर में एक मकान है जो तुम्हें किराए पर मिल सकता है। लेकिन उसके लिए सबसे पहले तुम्हें ₹500 देने होंगे। "

राजीव काफी समय से अपने रहने के लिए मकान ढूंढ रहा था और काफी परेशान हो चुका था। इसलिए उसने ₹500 देना ठीक समझा। 

₹500 मिलने के बाद मुरारीलाल ने राजीव को उस किराए वाले मकान के बारे में बताया। राजीव मुरारीलाल को ' धन्यवाद ' कहते हुए उस किराए के मकान की ओर निकल गया।

मकान तक पहुंचते-पहुंचते दोपहर हो चुकी थी। उसने मकान का दरवाजा खोला तो बगल में बने मकान से बूढ़े बूढी ने राजीव को टोकते हुए कहा," अरे ! बेटा... लगता है शहर में नये आए हो ? क्या तुम इसी मकान में ठहरोगे ?

" हां ! मां जी मैं अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए शहर आया हूं और अब मैं इसी मकान में रहूंगा। "


बूढा बूढ़ी ने कहा,"  ठीक है बेटा। वैसे कितने दिनों तक रहोगे ? "

राजीव ने जवाब दिया,"  जब तक मेरी आगे की पढ़ाई पूरी नहीं हो जाती, तब तक मैं यहीं इसी मकान में रहूंगा। "

बूढे ने कहा,"  देखते हैं कब तक तुम इस मकान में रह पाते हो ? "


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यह सुनकर राजीव को थोड़ा अजीब लगा लेकिन वह मकान में अंदर चला गया और अपनी थकान दूर करने के लिए विश्राम करने लगा। विश्राम करते-करते कब रात हो गई पता ही नहीं चला ? 

लगभग रात 12:00 बजे राजीव की आंख खुली। उसे छत पर एक अजीब सी आवाज सुनाई दी। आवाज सुनकर राजीव ने कहा," क्या मुझे छत पर जाकर देखना चाहिए ? " 

फिर थोड़े ही देर बाद कहा,"  नहीं ! नहीं ! यह जगह मेरे लिए अभी अनजान है। मुझे अभी सोच समझकर फैसला लेना चाहिए। " और आलस में डूबते हुए फिर से सो गया।

सुबह राजीव टहलने के लिए गांव में निकला। वहां एक ढाबे पर चाय पीने के लिए रुक गया। वहां पर बैठे दो आदमी राजीव को देखकर बोले," भाई साहब ! क्या तुम ही हो जो उस मकान में ठहरे हो ? 

राजीव ने कहा," हां ! भाई साहब। मैं ही हूं। "

" क्या शहर में तुम्हें कोई और मकान नहीं मिला ? पता नहीं तुम्हें उस मकान में भूत रहता है ? इसी वजह से उस मकान कोई किरायेदार नहीं ठहरता। "

यह सुनकर राजीव हंसते हुए बोला," क्या कह रहे हो भाई साहब... भूत - वूत कुछ नहीं होता। यह सब तो मनगढ़ंत कहानियां है। "

यह सब कहते हुए राजीव आगे बढ़ गया और अगले ही पल सोचने लगा," क्या यह लोग सही कह रहे हैं ? कल रात जो छत पर आवाज मैंने सुनी थी, वह कैसी थी ? "

यह सोचते - सोचते राजीव घर वापस आ जाता है। इस बार वो रात को सोने का नाटक करता है। इस रात फिर से छत पर आवाजें शुरू हो जाती हैं। राजीव तुरंत खड़ा होता है और चुपचाप सारी आवाजों को सुनने की कोशिश करता है। 

वह देखता है कि बूढ़े और गुड़िया दोनों छत पर नाच रहे हैं, वो भी डरावने भेष में। लेकिन राजीव उन्हें तुरंत पहचान लेता है और सारी साजिश को समझ जाता है।

वह कुछ देर सोचता है और खुद भी भूत का रूप रखकर छत पर टहलने लगता है। बुढ़िया उसे देखकर डर जाती है और चीखने लगती है। 

इस पर बूढ़ा आदमी कहता है," अरे ! भाग्यवान... क्या हुआ ? क्यों इतना तेज चिल्ला रही हो ? "


" सुनो - सुनो... यह देखो हमारे पीछे तो असली भूत पड़ गया। मुझे तो डर लग रहा है। "

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" अरे ! भाग्यवान... कोई नहीं है। तुम तो बिल्कुल डरपोक हो। "

" हां ! हां ! मैं तो डरपोक हूं। तुम तो बहुत बहादुर हो ना। "

बूढ़ा आदमी उस भूत को ढूंढने की कोशिश करता है। तभी अचानक राजीव भूत बनकर उसके सामने खड़ा हो जाता है और बूढ़ा आदमी पूरी तरह से डर जाता है।

वे दोनों डरते हुए कहते हैं," अरे ! बाप यह तो असली भूत है। यह हमें मार देगा। " 

थोड़ी ही देर में वो भूत गायब हो जाता है। कुछ देर बाद राजीव वापस लौटता है और उन दोनों से कहता है," अरे ! आप दोनों यहां ? 

चलो मैं तुम्हें एक बात बताता हूं। मैंने अपने कमरे में एक पालतू भूत रखा है। कल रात मुझे छत पर कुछ आवाजें सुनाई दी थी इसलिए मैंने अपने भूत को उस भूत के पीछे लगा दिया है। जब तक वह उस असली भूत को नहीं पकड़ लेता तब तक वह वापस नहीं लौटेगा। "

यह सुनकर बूढ़े बुढ़िया के पैरों तले जमीन खिसक गई। वह तुरंत माफी मांगते हुए बोले," बेटा ! भूत वूत कुछ नहीं है। कल रात हम दोनों ही छत पर नाच रहे थे और तुम्हें डराने की कोशिश कर रहे थे। हमें माफ कर दो। "

राजीव अनजान होते हुए बोला," अच्छा... तो वो तुम थे। लेकिन तुम ऐसा क्यों कर रहे हो ? "

" बेटा ! कुछ दिनों पहले की बात है... इसी किराए के मकान में 3 बहुत ही बदतमीज लड़के रहते थे। वे दिन में शोर-शराबा और फालतू की बातें करते रहते थे। 

और रात को तेज आवाज में गाना बजाते थे जिससे हमारी नींद खराब होती थी और हम चैन से जी भी नहीं पा रहे थे। उसी दिन से हमने यह सोचा कि अब हम इस मकान में किसी भी आदमी को नहीं ठहरने देंगे। "


" अच्छा तो यह बात है। अब मुझे यह सारा सच पता चल गया है और अब मैं पूरी पढ़ाई करने तक यहीं इसी मकान में रहूंगा। "

" ठीक है बेटा ! तुम्हारा जब तक मन करे, तुम इस मकान में रुक सकते हो। लेकिन एक काम करना इस पूरी घटना को किसी और को मत बताना। "

" ठीक है, ठीक है। अब जाओ। "




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बूढ़ा बुढ़िया अपने कमरे में चले जाते हैं और राजीव अपने कमरे में।

राजीव कहता है," उन लोगों को इन बुजुर्गों को इस तरह परेशान नहीं करना चाहिए था। लेकिन अब सब कुछ ठीक है। " 

और उसके बाद राजीव चैन की नींद सोता है।


इस कहानी से आपने क्या सीखा ? नीचे Comment में हमें जरूर बताएं।



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हेलो दोस्तों ! मैं हूं आपका अपना दोस्त, प्रदीप। यहां मैं कुछ अनोखी कहानियों के साथ आपका मनोरंजन करूंगा। अगर आपको हमारा लेखन कार्य पसंद आए तो हमें Support करें और अपना प्यार बनाए रखें।

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