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मिस्ट्री (कमरा नं 707) | Mystery (Room no. 707) | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

आज की इस कहानी का नाम है - मिस्ट्री (कमरा नं 707)। यह एक Bhutiya Kahani है। तो आप भी Daravani Kahaniya, Sachhi Kahani पढ़ें।
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हेलो दोस्तो कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है - मिस्ट्री (कमरा नं 707)। यह एक Bhutiya Kahani है। तो अगर आपको भी Daravani Kahaniya, Sachhi Kahani या Horror Stories in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

मिस्ट्री (कमरा नं 707) | Mystery (Room no. 707) | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

Mystery (Room no. 707) | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi



 मिस्ट्री (रूम नं 707) 

दोस्तो... मैं आज आपको एक सच्ची घटना के बारे में बताने जा रहा हूं जो कि स्वप्निल नाम के एक लड़के के साथ घटी थी। जब वह अपने दोस्त पंकज के साथ मनाली गया हुआ था। 

यह बात 2002 की है और महीना नवंबर का था। नवंबर में रात बहुत जल्दी हो जाती है; क्योंकि सर्दियों का मौसम शुरू हो जाता है और वह भी मनाली का मौसम।

दोनों दोस्त मनाली पहुंचकर गाड़ी से उतरते हैं। स्वप्निल पंकज के साथ एक होटल में रुका हुआ था और वह भी कमरा नंबर 707 में। 

लेकिन उसे बिल्कुल भी पता नहीं था कि यह कमरा नहीं बल्कि एक भूतिया कमरा है; क्योंकि जो भी इस कमरे में रहता है, उसकी मौत हो जाती है। 

लेकिन स्वप्निल और पंकज में से किसी को भी इस बात का पता नहीं था। दोनों रात का खाना खाकर कमरे में सो गए। 

दोनों गहरी नींद में सोए हुए थे कि तभी कमरे के बाहर स्वप्निल को किसी के चलने की आवाज सुनाई दी। 


उसे लगा कि शायद कोई वेटर किसी रूम को सर्विस देने के लिए जा रहा होगा। उसने घड़ी में टाइम देखा तो रात के 3:00 बज रहे थे।

स्वप्निल," इतनी रात को कौन हो सकता है ? " 

उसने अपने दोस्त (पंकज) को उठाने की कोशिश की। लेकिन वह शराब पीकर सोया हुआ था। वह नहीं उठा। इतने में बिजली चल गई। 

स्वप्निल ने दरवाजा खोल कर देखा तो गाड़ी में कोई नहीं था। फिर भी किसी के चलने की आहट स्वप्निल को साफ सुनाई दे रही थी। 

वह उसके पीछे चल रहा था। तभी उसे किसी औरत की चीख सुनाई थी। वह तुरंत ही उसके पीछे चला गया।

तभी उसने देखा की गलियारे में एक औरत खड़ी है। वह उस औरत की ओर गया। तभी पीछे से स्वप्निल को अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस हुआ तो उसे लगा कि उसका दोस्त पंकज हो सकता है। 

लेकिन तसल्ली के लिए स्वप्निल पीछे मुड़ा लेकिन वहां कोई नहीं था। जैसे ही फिर स्वप्निल ने उस औरत की ओर देखना चाहा तो वह औरत वहां से गायब हो चुकी थी।

स्वप्निल इस समय पूरी तरह घबरा चुका था और उसके पांव अब आगे बढ़ने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थे। स्वप्निल ने तुरंत ही कमरे में जाकर पंकज के ऊपर पानी डाला और उसे उठाया। 

पंकज (हांफते हुए)," अपना सामान बांधो, हम यहां से जा रहे हैं। मैं तुम्हें सब गाड़ी में बैठकर बताता हूं। "

स्वप्निल सामान गाड़ी में रखने चला गया और पंकज रिसेप्शन पर पेमेंट करने चला गया। 

पेमेंट करने के बाद पंकज भी स्वप्निल के साथ गाड़ी में बैठ जाता और गाड़ी चलना शुरू हो जाती है। 

स्वप्निल," अरे ! पता है क्या हुआ..? "


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उसने अपने साथ हुई सारी घटना पंकज को विस्तार से बताई। स्वप्निल के साथ हुई घटना को जानकर पंकज हैरान रह गया।

पंकज," भगवान का लाख-लाख शुक्र है कि हम दोनों बच गए। "

स्वप्निल," हां, तुम सही कह रहे हो। "

ड्राइवर के भेष में चुड़ैल (अपनी गर्दन उन दोनों की तरफ मोड़ते हुए)," लेकिन तुम्हें क्या लगा, तुम सच में बच गए ? "


इतने में चुड़ैल ने गाड़ी की स्टीयरिंग को पूरी तरह घुमा दिया और गाड़ी को खाई में गिरा दिया। खाई में गिरते ही पंकज और स्वप्निल की मौत हो गई।

सुनने में आया है कि होटल के उस कमरे में एक औरत ने अपनी जान दी थी। उस औरत ने आत्महत्या क्यों की..? इस सवाल का जवाब आज तक रहस्य बना हुआ है।

चुड़ैल," हा हा हा... कभी भी इस कमरे में आने की हिम्मत भी मत करना। ये कमरा मेरा है। अगर कोई इस कमरे में आया तो उसकी मौत निश्चित है। "


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