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बुद्धिमान बुढ़िया | Budhhiman Budhiya | Hindi Kahaniya| Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Hindi Stories

आज की इस कहानी का नाम है - " बुद्धिमान बुढ़िया " यह एक Dadi Maa Ki Kahani है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Bedtime Story पढ़ें।
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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है - " बुद्धिमान बुढ़िया " यह एक Dadi Maa Ki Kahani है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Bedtime Story पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

बुद्धिमान बुढ़िया | Budhhiman Budhiya | Hindi Kahaniya| Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Hindi Stories

Budhhiman Budhiya | Hindi Kahaniya| Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Hindi Stories



 बुद्धिमान बुढ़िया 

शमशेर अपने गांव का दबंग और होशियार आदमी है। गांव के ज्यादातर लोग उससे डरते हैं। 

शमशेर की बीवी, प्यारी सीधी-सादी और भोली भाली है। वह आसानी से उसे पागल बना देता है। एक सुबह शमशेर हड़बड़ी में घर से निकलता है।

प्यारी," रमेश भैया बता रहे थे कि कल आप फल वाले को गले से पकड़कर धमका रहे थे। क्यों गरीबों की हाय लेते हो ? क्या मिलता है आपको इन सबसे ? "

शमशेर," तुम अपने घर के कामकाज से मतलब रखो। समझी..? ज्यादा दिमाग मत चलाया करो। किसी दिन दिमाग घूम गया ना तो तुम्हें भी सबक सिखाने में वक्त नहीं लगेगा। "

प्यारी," मैं तो बस...। "

शमशेर," चुप, बिलकुल चुप रहो। "

और घर से निकल जाता है। बेचारी प्यारी चुपचाप सब कुछ सहती रहती है। कुछ दिनों से शमशेर सज धजकर घर से निकलता और पूरा दिन गायब रहता।

प्यारी," मैं कहती हूं... आजकल आप पूरा दिन कहां गायब रहते हैं ? यह ठीक नहीं है। "


 शमशेर," तुम मुझे सही गलत ना ही समझाओ तो अच्छा है। रहना है तो रहो नहीं तो जाओ यहां से। "

प्यारी," हां हां, जा रही हूं। "

शमशेर," हां हां, जाओ तुम। "

उसके बाद शमशेर गांव के बाजार में जा पहुंचा। वहां वह अंडे की ठेली पर जाकर खड़ा हो जाता है। 

शमशेर," ओ भाई ! जरा 20 उबले हुए अंडे लगाना तो। जल्दी... मुझे एक जरूरी काम पर जाना है। "

ठेली वाला," शमशेर भैया, आपके पिछले 2 महीने से कोई पैसा नहीं आए। आप पहले वो चुकता करिए हां। "

शमशेर," हम्म... अच्छा तो यह बात है। लगता है... अपना ठेला नहीं लगाना चाहते यहां पर। हां, बोलो बोलो। उठवा दूं तुम्हारा ठेला यहां से ? "

ठेली वाला," माफ करना भैया, गलती हो गई। मेरे परिवार का खर्चा इसी ठेली से चलता है। भैया माफ कर दो मुझे। अभी अंडे लगा देता हूं। आप लीजिए अंडे खाइए। "

शमशेर," हां, ये हुई ना बात। हां, लगाओ जल्दी। "

अंडे की ठेली के सामने बाजार में दो आदमी बात करते हुए... 

पहला आदमी," अरे भैया ! इस दबंग का यही हाल है। सारे गांव के नाक में दम किया हुआ है इसने। "

दूसरा आदमी," सही कहा भाई, इसके आगे बोले भी कौन ?आधा पागल है ये। "

दोपहर में शमशेर जब घर लौटा।

शमशेर," पूरा दिन हो गया, प्यारी वापस नहीं आई। कुछ अता पता नहीं है उसका।

शमशेर मुखिया जी के पास जाता है।

शमशेर," मुखिया जी, प्यारी सुबह से घर पर नहीं है। मैंने सबसे पूछा लेकिन किसी को कुछ पता नहीं। अब तो अंधेरा होने को है। "

मुखिया," चलो उसे गांव में ढूंढते हैं। "


शमशेर, मुखिया और दो आदमी लाठी लेकर प्यारी को ढूंढते हैं।


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नदी के पास...
मुखिया," अरे ओ नाविक भैया ! तुमने यहां नदी के आसपास शमशेर की लुगाई प्यारी को कहीं देखा है क्या ? "

नाविक," नहीं मुखिया जी, मैंने नहीं देखा। आज तो यहां गिनती के केवल चार ही लोग आए हैं। "

मुखिया," चलो गांव के बस स्टैंड के पास पता करते हैं। "

बस स्टैंड के पास चाय वाले से...
मुखिया," ओ भाई ओ ! सुनो जरा... यहां आओ। तुमने आसपास शमशेर की लुगाई प्यारी को कहीं देखा है क्या, किसी बस बस में चढ़ते हुए ? "

चाय वाला," ना मुखिया जी ना, आज तो इधर कोई औरत ही नहीं आई। "

मुखिया," चलो यहां से... शमशेर, यह तो पक्की बात है कि प्यारी गांव से बाहर नहीं गई। है तो गांव में ही। "

शमशेर," मुखिया जी, मैंने गांव के हर आदमी से पूछ लिया लेकिन किसी को कुछ नहीं पता। "

मुखिया," कहीं कुछ गलत ना हो गया हो। इससे पहले कि देर हो जाए, तुम जल्दी जाकर थाने में रपट लिखा दो। "

शमशेर भागकर थाने जाता है। 

शमशेर," साहब, हमरी बीवी सुबह गई थी अब तक घर नहीं आई। आप उसे ढूंढ दो। "

कांस्टेबल," अरे ! नाराज हो कर चली गई होगी। आ जाएगी थोड़ी देर में। चल जा यहां से, हमारे पास और भी बहुत काम है। "

शमशेर," नहीं साहब, हमरी बीवी हमको बहुत प्यारी है। उसकी गांव में कोई खबर नहीं। ढूंढ दीजिए साहब। "

कांस्टेबल," अरे ! तुम ऐसे नहीं मानोगे। बताओ के हो लिया ? "

शमशेर," साहब, पूरा दिन और रात बीत गई, प्यारी का कोई अता पता नहीं। वह अभी तक घर ही नहीं लौटी। साहब, मेरी रपट लिख लो। "


कांस्टेबल," अच्छा रुको। "

कॉन्स्टेबल," साहब, यह अपनी बीवी के गुम हो जाने की रिपोर्ट लिखाने आया है। "

इंस्पेक्टर," बीवी भाग गई। हा हा हा... बहुत किस्मत वाले हो भाई। "

शमशेर," क्या बोल रहे हो साहब ? "

इंस्पेक्टर," अरे भाई ! हमें भी नुस्खा बता दो कैसे भागेगी ? ससुरा हमारी बीवी ने तो नाक में दम कर रखा है। "

कॉन्स्टेबल," कंट्रोल साहब कंट्रोल्स... पानी पी लो और समोसा खाओ, टेंशन दूर हो जाएगी। "

इंस्पेक्टर," हां भाई, सही कहा। अब तो समोसे ही हैं जो टेंशन भगा देते हैं। लिख लो इसकी रपट। "

इंस्पेक्टर," हां भाई, के नाम है तुम्हारी पत्नी का ? "

शमशेर," साहब, प्यारी। "

इंस्पेक्टर," अरे ! बड़ा प्यारा नाम है। प्यारी... खैर के हुआ ? खुलकर बता। तुम दोनों में लड़ाई झगड़ा हुआ के ? "

शमशेर," नहीं साहब, ऐसा कुछ नहीं हुआ। कल सुबह काम को लेकर नाराज होकर वह मेरे पड़ोसी रमेश के घर गई थी तब से वापस नहीं आई।

इंस्पेक्टर," लेकिन तुम्हें कैसे पता कि वह रमेश के घर ही गई थी ? "

शमशेर," साहब, वह रमेश को अपना भाई मानती है। जब भी नाराज होती है, उसी के घर जाकर बैठ जाती है। "

इंस्पेक्टर," तुमने उसके घर जाकर पता किया ? "

शमशेर," हां साहब, मैं गया था पर वो दोनों पति-पत्नी तो उल्टा मुझ पर ही बिगड़ गए। "

इंस्पेक्टर," अच्छा ठीक है, ठीक है। हम देखते हैं कि वह कहां गई ठीक है ? "

इंस्पेक्टर और सिपाही गांव में जाते हैं।

इंस्पेक्टर," अरे ! सुन... तूने कहीं प्यारी को देखा के ? "

आदमी," नहीं साहब, मैं तो सुबह उठकर काम पर चला जाता हूं और रात को वापस आता हूं। मेहनत मजदूरी वाला आदमी हूं साहब। 

गांव में क्या हो रहा है, कौन कहां जा रहा है, किधर क्या हो रहा है ? मुझे नहीं पता होता साहब। "


इंस्पेक्टर," अरे ! बस कर बस... चल जा यहां से। "

कॉन्स्टेबल," सर तीन आदमियों से तो पूछ लिया। किसी को कुछ नहीं पता। "

इंस्पेक्टर," वो बुढ़िया कब से फटी आंखों से हमें घूर रही है। "

कॉन्स्टेबल," साहब, पगली लगती है। मैं इसे भगाता हूं यहां से। "

कॉन्स्टेबल," ओ माई ओ, चलो जाओ यहां से। कब से घूर घूरकर देख रही है ? कभी सुंदर पुलिस वाला नहीं देखा के ? "

बुढ़िया जमीन पर लाठी टेकते हुए वहां से चली जाती है।

इंस्पेक्टर," क्या कह रहे थे तुम ? सुंदर पुलिसवाला... वाकई में मैं इतना सुंदर हूं क्या ? "

कॉन्स्टेबल," हां साहब, आप बहुत ही सुंदर और हैंडसम दिखते हो। "


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कांस्टेबल (मन में)," अरे बाप रे ! 10 किलो का तो खाली पेट है साहब का। अब इन्हें कौन समझाए कि बदसूरती भरी पड़ी है इनके अंदर ? "

इंस्पेक्टर," तुम्हारे प्रमोशन की बात करूंगा। बस एक बार मेरी हो जाए। समझे..? चलो रमेश के घर पूछताछ करते हैं। "

इसके बाद दोनों रमेश के घर पहुंचते हैं।

इंस्पेक्टर," भाई, क्या तुम ही रमेश हो ? "

रमेश," जी साहब, मैं ही रमेश हूं। "

इंस्पेक्टर," अरे ! कल शमशेर की बीवी प्यारी तुम्हारे घर आई थी। उसके बाद से वह गायब है। "

रमेश," साहब, वो आई थी लेकिन 5 मिनट में ही चली गई। कह रही थी कि घर का सारा काम पड़ा है। "

इंस्पेक्टर," वो तो घर अभी तक नहीं पहुंची। कहां गई वो ? "

रमेश," साहब, पता नहीं। "

इंस्पेक्टर," शमशेर का कहना है कि तुम और तुम्हारी पत्नी दोनों मिलकर उसे शमशेर के खिलाफ भड़काते रहते थे। "

रमेश," नहीं साहब, बिल्कुल नहीं हम तो उसे समझा-बुझाकर वापस भेज देते। "


इंस्पेक्टर," देखो... प्यारी अगर सामने आकर कहेगी तो इसे सच माना जाएगा लेकिन शमशेर का कहना है कि उसकी पत्नी को तुम दोनों पति पत्नी ने मिलकर गायब किया है। कसम समोसे की बचना मुश्किल हो जाएगा तुम लोगों का। "

रमेश," साहब, मेरा यकीन कीजिए। हमने ऐसा कुछ नहीं किया। "

कॉन्स्टेबल," अरे बावडे ! भगवान से प्रार्थना कर कि प्यारी सही सलामत मिल जाए नहीं तो तुम लोग अंदर जाओगे। 

साहब, यह रमेश और उसकी पत्नी दोनों देखने में भोले लगते हैं। अक्सर भोले दिखने वाले भी संगीन अपराधी होते हैं। "

कॉन्स्टेबल तेजी से ब्रेक लगाता है। 

कॉन्स्टेबल," बुढ़िया... फिर तू आ गई। अभी मर जाती तो। दिखाई नहीं देता के ? "

बुढ़िया घूरने लगती है। 

कॉन्स्टेबल," अरे ! अब इस गाड़ी के सामने से हट ले। "

बुढ़िया," मैं भूखी हूं। "

कांस्टेबल," अरे ! तो क्या हमें खाएगी ? "

बुढ़िया," दो दिन से कुछ नहीं खाया। "

इंस्पेक्टर कांस्टेबल से इशारा करता है। कांस्टेबल खाना लेकर आता है। बुढ़िया जल्दी-जल्दी खाना खाती है। 

इंस्पेक्टर," तुम इसी गांव में घूमती रहती हो ना ? शमशेर की बीवी प्यारी को कहीं देखा है क्या ? "

बुढ़िया ने सुनकर अनसुना कर दिया। 

कॉन्स्टेबल," ओ माई ओ ! सुनाई नहीं दिया कि सर ने कहा क्या ? अरे ! तुमने शमशेर की बीवी को कहीं देखा है क्या ? "

बुढ़िया ने ना में सिर हिला दिया। 

इंस्पेक्टर," मेरी तरफ देखकर कहो। "

बुढ़िया," प्यारी शमशेर की बीवी नहीं है। "

कॉन्स्टेबल," क्या..? प्यारी शमशीर की बीवी नहीं है। यह क्या कह रही हो ? अरे ! दिमाग फिर गया है क्या तेरा ? "

बढ़िया," कहा ना कि प्यारी शमशेर की बीवी नहीं है। "

बुढ़िया लाठी टेकती हुई वहां से चली गई। 

कांस्टेबल," सर, यह सचमुच की पगली लगती है। "


इंस्पेक्टर," कोई बात तो जरूर है जो इसने कहा कि प्यारी शमशेर की बीवी नहीं है। "

कॉन्स्टेबल," अरे ओ भाई शमशेर ! सच सच बोल, प्यारी तेरी बीवी है ? "

शमशेर," यह कैसा सवाल है साहब ? "

कॉन्स्टेबल," ऐसा वैसा गया भाड़ में। तेरे केस के चक्कर में दिमाग खराब हो लिया है। 

पहले तू यह बता कि प्यारी है कौन ? मुझे पता चला है कि वह तेरी बीवी नहीं है। "

शमशेर," साहब, वह मेरी ही बीवी है। "

इंस्पेक्टर," सच बता नहीं तो..."

शमशेर," साहब, मैं सच बोल रहा हूं। "

कॉन्स्टेबल," तो फिर प्यारी कहां चली गई हां..? जमीन निगल गई या आसमान खा गया उसे ? "

शमशेर," पता नहीं साहब, तभी तो आपके पास आया हूं। उसे ढूंढ दो साहब। उसके साथ कुछ गलत हो गया तो मेरी गृहस्ती उजड़ जाएगी। "

इंस्पेक्टर," अरे ! चल... चल निकल यहां से। जब कुछ पता चलेगा तो बुला लेंगे। "

कॉन्स्टेबल," साहब, लगता है उस पगली माई ने हमें बेवकूफ बना दिया। "

इंस्पेक्टर," चलो पहले उसे ही ठीक करते हैं। "

कॉन्स्टेबल," ओ माई ओ ! अरे सुनो जरा। "

बुढ़िया," आ गए तुम ? मुझे पता था तुम लोग वापस जरूर आओगे। "

कॉन्स्टेबल," अरे ! तुझे शर्म नहीं आती हां, हमसे झूठ बोलते हुए ? अरे ! पुलिस वालों को बावला बनाती है हां ? हम केस की तहकीकात कर रहे हैं और तूने हमें भटका दिया। "

बुढ़िया," मैं अगर ऐसा नहीं करती तो क्या तुम वापस यहां मेरे पास आते ? "

इंस्पेक्टर," अब सच सच बताओ कि तुमने हमसे झूठ क्यों बोला ? "

बुढ़िया," पहले मुझे खाना खिलाओ तब मैं बताऊंगी। "

इंस्पेक्टर कॉन्स्टेबल को इशारा करता है। कॉन्स्टेबल बुढ़िया के लिए खाना लाता है।


खाना खाकर... 

बुढ़िया," बेटा, मैंने तुमसे इसलिए झूठ कहा कि तुम दोबारा आओ और मेरे 1 दिन के खाने का इंतजाम हो जाए। "


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कॉन्स्टेबल," साहब, मैं ना कहता था यह पगली है पगली। समय बर्बाद किया इसने। "

इंस्पेक्टर बुढ़िया को घूरने लगता है। 

इंस्पेक्टर," नहीं, कुछ बात तो है। यह झूठ बोल रही है। इसे पकड़कर थाने ले चल। जेल की हवा खाएगी तो सारी अक्ल ठिकाने आ जाएगी। "

कॉन्स्टेबल," सर, इसे थाने ले जाकर क्या मिलेगा ? "

इस्पेक्टर," जो कहा है वो करो। "

बुढ़िया," ना ना ना... मैं नहीं जाऊंगी। "

कांस्टेबल," अरे जाएगी कैसे नहीं ? पुलिस वालों को गुमराह करने के चक्कर में अब रोज जेल की रोटी खानी है। समझी ना..? "

बुढ़िया," नहीं नहीं नहीं... मैं नहीं जाऊंगी। वह लाठी टेकते हुए जाने लगी। "

कॉन्स्टेबल," अरे माई ! हमें बेवकूफ बनाया है तुमने, ऐसे थोड़े ही ना जाने देंगे। "

बुढ़िया," मुझे जाने दो। "

इंस्पेक्टर," तो सच सच बताओ। मुझे पता है खाने का तो बहाना है। तुम प्यारी के बारे में बहुत कुछ जानती हो। 

हमें गुमराह कर रही हो। कहीं तुमने किसी के साथ मिलकर उसको...। "

बुढ़िया," नहीं नहीं, मैंने कुछ नहीं किया। "

और खाना उठाकर वहां से चली गई। इंस्पेक्टर और कांस्टेबल दोनों छुपकर बुढ़िया का पीछा करते हैं। 

बुढ़िया जंगल में बनी एक झोपड़ी में चली गई। झोपड़ी में से एक औरत के रोने की आवाज आने लगी। 

कांस्टेबल ने झांककर देखा। उसे बुढ़िया और रोती हुई औरत की परछाई नजर आई।

कॉन्स्टेबल," साहब, लगता है इस बुढ़िया के अलावा इस झोपड़ी में एक भीखारन भी रहती है। साहब, शमशेर के केस का क्या करना है ? "

इंस्पेक्टर," समझ नहीं आ रहा कि ये प्यारी कहां गायब हो गई ? "

कॉन्स्टेबल," सर, पूरी तहकीकात कर ली। यह तो पक्का है कि वह गांव से बाहर नहीं गई। "


इंस्पेक्टर," गांव के भीतर कहां चली गई ? इसे नहीं ढूंढा तो पूरे गांव में हमारी नाक कट जाएगी। पता नहीं क्यों बार-बार वह बुढ़िया दिमाग में आ रही है ? "

कॉन्स्टेबल," वो बुढ़िया तो अपने आप में एक केस लगती है। "

इंस्पेक्टर," इस केस का कोई सुराग नहीं मिल रहा तो चलो अंधेरे में तीर छोड़कर देखते हैं। इसे थाने ले चलो। "

बुढ़िया," क्यों..? "

कॉन्स्टेबल," पुलिस को गुमराह करने के जुर्म में। "

बुढ़िया," अरे ! तुम दोनों मेरे पीछे क्यों पड़े हो ? "

बुढ़िया," क्योंकि मुझे पता है तुम कुछ छिपा रही हो। सच-सच बता दो वरना इस उम्र में...। "

बुढ़िया धड़ाम से जमीन पर बैठकर उन्हें सब बता देती है। 


अतीतावलोकन (फ्लैशबैक)... 
प्यारी रमेश के घर से निकल कर जाती है। 

बुढ़िया," बेटी, ओ बेटी ! तेरा राम भला करेगा, कुछ देती जा। "

प्यारी," अरे ! हट बुढ़िया। एक तो मेरे पति ने सुबह-सुबह दिमाग खराब कर दिया और अब तू पीछे पड़ गई। "

बुढ़िया," बेटी कुछ तो देती जा। "

प्यारी," अच्छा, चल ठीक है आजा... ज्यादा नखरे मत करना। घर में जो होगा दे दूंगी। "

बुढ़िया दरवाजे पर खड़ी हो गई और प्यारी घर में चली गई।

फिर उसने बुढ़िया को दो रोटी देकर दरवाजा बंद कर लिया। 

शमशेर," तू फिर आ गई मनहूस ? चल निकल यहां से। खबरदार जो वापस इस घर में कदम रखा तो। "

प्यारी," अजी, तुम चुप रहो। यह मेरा घर है। मैं नहीं जाऊंगी यहां से। मुझे पता है... तुम्हारा चक्कर उस मालन से चल रहा है। अगर तुमने उसे नहीं छोड़ा तो मैं सारे गांव को बता दूंगी। "

शमशेर," अच्छा, इतनी जुबान चलने लगी तेरी। सबको बताने से पहले तुम जाओगी यहां से। जाओगी कैसे नहीं ? "

बुढ़िया ने खिड़की से झांक कर देखा। शमशेर ने प्यारी को खूब मारा और घर से बाहर निकाल दिया। 

शमशेर," अगर इस बार घर वापस आई तो तुझे और तेरे भाई रमेश को जान से मार दूंगा। तेरा गला दबाने में मुझे 1 मिनट लगेगा। 

भूलकर भी इस घर की तरफ देखना मत और खबरदार जो किसी को कुछ बताया तो। "

प्यारी दरवाजे के बाहर खड़ी रोती रही। 

बुढ़िया," बेटी, इस राक्षस के साथ रहने से अच्छा है कि तू अपने मायके चली जा। "

प्यारी," गई थी दो बार पर मेरा भाई वापस यही छोड़ गया। बोला कि तेरे पति का घर है। अब तुझे यही रहना है फिर दोबारा मायके नहीं आना। "


बुढ़िया," अब कहां जाओगी बेटी ? "

प्यारी," इसे पता चल गया कि मैं यही हूं तो यह मुझे जान से मार डालेगा। "

बुढ़िया," चल बेटी तू मेरे साथ चल। किसी को कुछ नहीं पता चलेगा। "



इंस्पेक्टर," यह शमशेर बड़ा चालू निकला। अपनी पत्नी को खुद ही डरा धमकाकर भगाता है और इल्जाम रमेश पर लगा दिया ताकि वह पत्ता भी साफ हो जाए और खुद मालन के साथ मजे से गुलछर्रे उड़ा सके। "

दोनों बुढ़िया की झोपड़ी से प्यारी को लेकर थाने पहुंचे। वहां दूसरा सिपाही शमशेर को भी ले आया। 

प्यारी को देखकर...
शमशेर," अरी प्यारी ! तुम कहां थी ? मेरी तो जान ही निकल गई थी पूरे 2 दिन से गायब थी। मैं तुम्हारे बिना कैसे रहता हूं ? "

प्यारी उसे देखते ही रोने लगी। 

कॉन्स्टेबल," अरे ! अब तू यह नौटंकी बंदकर। हमें सब पता है। "

शमशेर," साहब, आप क्या कह रहे हो ? "

कॉन्स्टेबल," तेरे दिमाग का पूरा खेल हमें अब समझ में आ गया है। अपनी पत्नी को मारकर भगा दिया और जानबूझकर हमारे पास रिपोर्ट लिखवाने आया। 

अब तो तू खुद बोले तो अच्छा है नहीं तो सारी इज्जत यहीं निकाल दूंगा। "


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इंस्पेक्टर ने शमशेर को जोर से दो थप्पड़ लगाए।

शमशेर," साहब, मुझे लगा कि प्यारी को ढूंढने में दो-तीन दिन तो लग ही जाएंगे। उसके बाद मैं इसे चरित्रहीन बताकर छोड़ दूंगा और गांव में मेरा मान बना रहेगा। "

कॉन्स्टेबल," और तू मालन के साथ मिलकर गुलछर्रे उड़ा पाएगा, उल्लू कहीं का...।"

इंस्पेक्टर," पर तू ये भूल गया कि कानून भी है। अब घरेलू हिंसा और अपनी पत्नी को धोखा देने के जुर्म में जेल में आराम से रहना। "


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हेलो दोस्तों ! मैं हूं आपका अपना दोस्त, प्रदीप। यहां मैं कुछ अनोखी कहानियों के साथ आपका मनोरंजन करूंगा। अगर आपको हमारा लेखन कार्य पसंद आए तो हमें Support करें और अपना प्यार बनाए रखें।

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