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बुद्धिमान बेटा | Hindi Kahaniya | Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Achhi Achhi Kahaniya

आज की इस कहानी का नाम है - " बुद्धिमान बेटा " यह एक Majedar kahaniya है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Achhi Achhi Kahaniya पढ़ें
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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है - " बुद्धिमान बेटा " यह एक Majedar kahaniya है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Majedar Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

बुद्धिमान बेटा | Hindi Kahaniya | Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Achhi Achhi Kahaniya

Budhhiman Beta | Hindi Kahaniya| Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Achhi Achhi Kahaniya



 बुद्धिमान बेटा 

एक बहुत ही खूबसूरत राज्य था धनकपुर। राज्य में सब तरफ खुशहाली थी। वहां का राजा भैरव सिंह अपनी प्रजा के प्रति बहुत ही वफादार और प्रेम भाव रखने वाला राजा था। 

उसी राज्य में एक परिवार रहता था जिसका मुखिया कालू चंद था। कालू चंद के दो बेटे थे जिनकी चिंता कालू चंद को हमेशा रहती थी कि उनके जाने के बाद वो अपना गुजारा कैसे करेंगे ? 

एक दिन कालू चंद को अपने दोनों बेटों के परीक्षण की बात सूझी और उन्हें अपने पास बुलाया।

बड़ा बेटा (चमन)," पिताजी आपने हमें बुलाया ? "

कालू चंद," आओ बेटा। जैसा कि तुम लोग जानते हो, अब मेरी सांसे कभी भी थम सकती हैं। इस आखिरी समय में चैन से मैं मर सकूं 

इसलिए सोचा कि मेरे जाने के बाद आप लोग अपनी बुद्धिमता से अपना जीवन यापन कर भी पाओगे या नहीं। मैं अपनी आंखों से यह देखना चाहता हूं। " 

चमन," पिताजी अगर आप बुद्धि परीक्षण और इससे संबंधित कार्य करने को कहोगे तो आप मेरा ख्याल तो अपने मन से निकाल ही दो; क्योंकि मैं तो अपनी पहलवानी में ही खुश हूं। 

और दिमाग का प्रयोग... ना ना पिताजी, आप छोटे से जो हो पाए करवा लीजिए। " यह बोलकर चमन अपने पहलवानी के सामान को उठाकर अखाड़े में व्यायाम करने चला जाता है। 

कालू चंद," बेटा रोशन, चमन तो अपनी पहलवानी से अपना जीवन यापन कर लेगा लेकिन तुम्हारा क्या होगा ? "

रोशन," पिताजी रोशन ही तो है जो आपका नाम रोशन करेगा। मैं कोई छोटे-मोटे काम नहीं करने वाला, राजा का सलाहकार बनूंगा पिताजी। "


कालू चंद," अरे ! तुम इतने बड़े-बड़े सपने देखना बंद भी करो भाई और कुछ काम करना शुरू कर दो ताकि कल को कोई तुम्हें अपनी लड़की दे सके और तुम अपने परिवार का भरण पोषण कर सको समझे। "

रोशन," पिताजी बनूंगा तो मैं सलाहकार ही चाहे कुछ भी हो। " 

कालू चंद," अच्छा तो फिर दो अपनी बुद्धि का इम्तिहान ताकि मुझे तसल्ली हो जाए कि तुम राजा भैरव सिंह के दरबार में सलाहकार बनने लायक हो। " 

रोशन," हां हां पिताजी जो आप कहोगे, वह मैं करूंगा। कहिए... " 

कालू चंद," तुम्हें अपनी बुद्धिमता साबित करने के लिए तीन पड़ाव पार करने होंगे जिसमें सबसे पहले किसी समझदार लड़की से शादी करनी होगी। " 

रोशन," उसके बाद क्या करना होगा पिताजी ? "

कालू चंद," दूसरा पड़ाव पहले पड़ाव को पार करने के बाद बताऊंगा। पहले इसे पार करो। "

रोशन," जैसा आप कहें पिताजी। "

रोशन घर से बाहर निकल जाता है।

कालू चंद," अब देखता हूं बिना काम काज के यह अपनी शादी कैसे रचाता है। सब अकल ठिकाने आ जाएगी। "

इधर रोशन एक जमींदार खेत खेत में काम कर रही कुछ औरतों को देखकर उनमें से एक सुंदर लड़की को अपने पास बुलाता है। 

रोशन," आपसे एक बात करनी है, बहुत जरूरी है। "

लड़की," जी बोलिए, क्या बात करनी है ? " 

रोशन," मेरा नाम रोशन है और मैं पास के ही गांव में रहता हूं। आपसे शादी करने का प्रस्ताव रखना चाहता हूं। " 



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लड़की," शादी का प्रस्ताव ? ये आप क्या बोल रहे हैं ? आप क्या काम करते हैं श्रीमान ? " 

रोशन," मैं राजदरबार में सलाहकार नियुक्त होने वाला हूं। "

लड़की," क्या ? अपनी हालत देखो पहले, कुछ भी बोले जा रहे हो। राजदरबार में सलाहकार.... हा हा हा, चलो निकलो यहां से। अब मुझे काम करने दो। बड़ा आया शादी करने वाला। " 


सभी औरतें वहां उसकी बातों को सुनकर हंसने लगती है।

रोशन," हां हां जा रहा हूं और देखना मैं सलाहकार बन कर ही लौटूंगा। सब के सब ने मेरी बेइज्जती कर दी। अब मैं क्या करूं ? कुछ और सोचना पड़ेगा। हां यह सही रहेगा। घी अब टेढ़ी उंगली से ही निकालना पड़ेगा। "

रोशन अपने एक दोस्त के पास गया जो उसी गांव में सुनार का काम करता था। 

रोशन," कैसे हो दोस्त ? "

दोस्त," कैसे हो भाई रोशन ? कैसे आना हुआ यहां ? "

रोशन," बस यूं ही... "

दोस्त," मैं बचपन से तुम्हें जानता हूं। अब बता भी दो। " 

रोशन," अरे ! मुझे कुछ सोने के सिक्के चाहिए। मैं तुम्हें शाम तक वापस लौटा दूंगा। "

दोस्त," अच्छा शाम तक लौटा भी देगा। ऐसा क्या करेगा भाई ? "

रोशन," वह बाद में बताऊंगा। भाई तेरे लिए भाभी लाने का विचार है। " 

दोस्त," बस कर अब ज्यादा लंबी मत फेंक। यह ले... लेकिन शाम तक जरूर लौटा देना। "

रोशन वहां से सिक्के लेकर गांव से होकर गुजर रहा था तभी उसने देखा कि एक सुंदर लड़की कुएं से पानी भर रही थी। रोशन उसके सामने से गुजर गया और एक-एक करके सोने के सिक्के डालता गया। 

लड़की," अरे ! अरे ! इस बेचारे राहगीर की कमाई तो गिर रही है। मुझे इसे बताना चाहिए। अरे ! अरे ! सुनो... आपके सिक्के तो गिरते जा रहे हैं। "

रोशन उसकी आवाज को अनसुना करके आगे बढ़ता रहा। 

लड़की दोबारा चिल्लाई," अरे भाई ! सुनो सिक्के गिर रहे हैं आपके। "

' भाई ' सुनकर रोशन गुस्से से रुका और बोला," क्या है ? कौन हो तुम ? भाई मत कहो मुझे समझी। "

लड़की," अजीब इंसान है। एक तो मदद कर रही हूं ऊपर से रौब झाड़ रहा है। " 

रोशन," क्या खाक मदद कर रही हो। मेरी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। " 

लड़की," अच्छा जी... उल्टा चोर कोतवाल को डांटे। "

रोशन," और नहीं तो क्या ? पूरे 2 साल बाद मुझे पसीना आता है जो धरती पर गिरते ही सोना बन जाता है। अभी बस मुझे पसीना आना शुरू ही हुआ था कि तुमने मुझे टोक दिया। "

लड़की," क्या सच में ऐसा है ? तब तो तुम बहुत ही अमीर इंसान होंगे ? घर गृहस्ती सब बढ़िया होगा, है ना..? "

रोशन," और नहीं तो क्या ? अब जाने भी दो मुझे। कहीं ऐसा मत बोल देना कि मुझसे शादी कर लो। "

लड़की," वैसे इतनी भी बुरी नहीं हूं मैं। आप मुझसे शादी करके अपना घर बसा सकते हैं श्रीमान। " 

रोशन," नहीं नहीं, ऐसा नहीं होता... मैं जा रहा हूं। " 

लड़की," देखो मैं तुम्हारी अर्धांगिनी बनकर रहूंगी। मुझे अपने साथ ले चलो। " 


रोशन की तो मनचाही बात हो गई और दोनों ने मंदिर में जाकर शादी करली। उसके बाद अपनी पत्नी को लेकर रोशन घर आ गया।

रोशन," पिताजी... देखिए मैं आपके लिए बहू लेकर आया हूं। "



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कालू चंद," अरे ! तुझे लड़की कैसे मिल गई ? "

लड़की," आप इस घर में रहते हैं ? आप तो बहुत बड़े धोखेबाज हो। आपने मुझसे कहा कि आप तो बहुत अमीर हो, सब कुछ है आपके पास। "

रोशन," अरे भाग्यवान ! तुम देखती जाओ, बहुत जल्दी में राजा के दरबार का सलाहकार बनने वाला हूं। "

लड़की," हाय ! मैंने तो अपने करम फोड़ लिए। पता नहीं कब बनोगे आप राजा के सलाहकार ? "

रोशन," पिताजी मेरा अगला पड़ाव क्या है ? "

कालू चंद," बेटा... पहले पड़ाव में तो तुमने लड़की को बहला-फुसलाकर शादी कर ली और पूरा कर लिया। अब दूसरा पड़ाव यह है... कुछ दिनों से हमारे गांव में डकैती की घटनाएं बढ़ गई है। तुम्हें उन डकैतों का लूटा हुआ सामान यहां वापस लाना है। "

रोशन," क्या..?? पिताजी आप मारवाना चाहते हैं मुझे। उन डकैतों से तो बड़े भैया भी पिटकर आ गए थे। फिर मैं भला कैसे उनका सामना करूंगा ? " 

कालू चंद," मैं नहीं जानता। तुम और तुम्हारा काम... "

रोशन पूरे राज्य में उन डकैतों के बारे में छानबीन करता है और एक दिन देरी से घर वापस आते हुए श्मशान घाट के पास कुछ आवाज सुनता है। रोशन चोरी छुपे आवाज सुनने लगता है।

डकैत," अरे उस्ताद ! गांव में सबसे सुरक्षित जगह है यह। यहां लूट वूट का सारा सामान सुरक्षित रहता है। दिन हो या रात, गांव का कोई भी आदमी यहां नहीं भटकता। "

डकैतों का सरदार," सही कहा। भूत का डर तो लगा रहता है लेकिन काम धंधा भी तो इन्हीं से चलता है। "

रोशन मन ही मन सोचता है," अच्छा तो सारे डकैत यहां पर रहते हैं। अब माजरा समझ में आया। "

रोशन घर वापस आता है और अपनी पत्नी के साथ बातचीत करके कुछ सलाह करता है। अगले दिन सुबह जब कालू चंद मंदिर की ओर निकल जाता है

तभी पीछे से रोशन की पत्नी ने रोना शुरू कर दिया और रोशन को जमीन पर लिटाकर ऊपर सफेद कपड़ा डाल दिया। 

रोशन की पत्नी," अरे ! मेरे पति को क्या हो गया ? अरे मेरे पति को क्या हो गया ? अरे कोई इनका दाह संस्कार कर दो। मैं तो बर्बाद हो गई। "

उसकी आवाज सुन आस पास के सभी पड़ोसी इकट्ठा हो गए। 

पड़ोसी," अरे ! अचानक से रोशन को क्या हो गया ? बहुत बुरा हुआ भाई... बेचारे की अभी अभी शादी हुई थी। अरे भाई ! जल्दी से ले चलो, सूरज ढलने से पहले संस्कार कर देना चाहिए। "

कुछ लोग अर्थी को उठाकर श्मशान घाट पर पहुंचते हैं। तभी रोशन की पत्नी कहती है," मेरे पति मरने से पहले कह कर गए थे कि जो भी उनका दाह संस्कार करेगा, उसका सत्यानाश होगा।

पड़ोसी," क्या..?? यह क्या बद्दुआ दे गया ? चलो भाइयों... हम लोग नहीं कर सकते इसका दाह संस्कार। अजीब इंसान था। "

सभी लोग उस अर्थी को श्मशान घाट पर ही छोड़ कर भाग गए। उनके जाने के बाद रोशन की पत्नी एक पेड़ पर चढ़ जाती है। 

अंधेरा होने पर पांच डकैत वहां पर आए और श्मशान घाट पर अर्थी देखकर बोला," अरे ! यह क्या बला है ? इस अर्थी का संस्कार क्यों नहीं किया किसी ने ? "

डकैत," उस्ताद, पता नहीं कोई अभागा लगता है जिसे अग्नि भी नसीब नहीं हुई। " 

डकैतों का सरदार," चलो तो फिर तुम लोग कर दो। जो भी सामान चाहिए लेकर आओ। "



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उनमें से दो डकैत जाकर लकड़ियां लेकर आते हैं और जैसे ही पांचों डकैत अर्थी के पास आते हैं पेड़ के ऊपर से आवाज आने लगती है," जितने आपने कहा था पूरे उतने ही है। "

यह सुनकर अर्थी पर लेटा हुआ रोशन बैठ गया। मुंह पर सफेद चादर और श्मशान में अर्थी सब देखकर डकैतों की हालत पतली हो गई।

रोशन," पूरे 5 होने चाहिए जितने मैंने कहा था। "

रोशन की पत्नी," हां हां पूरे उतने ही है। "

डकैतों का सरदार," यह तो कोई भूतों की माया है। अपनी अपनी जान बचाओ। "

सब डकैत जल्दी में सब कुछ छोड़ कर वहां से भाग गये। उनके जाने के बाद रोशन अपनी पत्नी से कहता है," आ जाओ भाग्यवान, पेड़ से नीचे आ जाओ। काम हो गया है। "

रोशन की पत्नी," एक बात तो है, शादी तो मैंने एक चतुर और चालाक इंसान से की है। " 

रोशन," अब इतनी तारीफ भी सही नहीं है। चलो डकैतों का सारा सामान उठाओ और पिताजी के पास चलते हैं। वह चिंतित होंगे। "


रोशन," पिताजी आपका दूसरा पड़ाव भी मैंने पार कर लिया। अब अगला पड़ाव क्या है ? "

कालू चंद," बेटा दो पड़ाव पार करने के बाद तुमने साबित कर दिया है कि तुम सच में राजदरबार के सलाहकार बनने लायक हो। 

अब तुम्हारा अगला पड़ाव राज दरबार में अपने आपको उचित सलाहकार साबित करना ही है। जाओ बेटा... मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है। "

रोशन," जी... मैं आपके विश्वास को हमेशा कायम रखूंगा और जल्दी ही यह पड़ाव भी पार कर लूंगा। "

उसके बाद रोशन राज महल की तरफ निकलता है।

राजा भैरव सिंह," महामंत्री... आज पूरे 2 माह बीत चुके हैं लेकिन अभी तक कोई ऐसा समझदार व्यक्ति नहीं मिला जो हमारे राज दरबार में मुख्य सलाहकार के पद को संभाल सके। " 

महामंत्री," क्या करूं महाराज ? लेकिन कल एक आखरी आयोजन है जिसमें महल के प्रांगण में मैंने प्रजा में से सलाहकार के पद के उम्मीदवारों को आयोजित किया है। 

यहां हम कुछ बिना जहर के सांपों को छोड़ेंगे। जो कोई भी निडर और साहसी हुआ, वह किसी अच्छे तर्क के साथ हमारे लिए उचित सलाहकार होगा। "

राजा भैरव सिंह," कल इसका भी उचित फैसला हो जाएगा। "

सभी उम्मीदवार खुले मैदान में खड़े हैं जिसमें रोशन भी शामिल है। उनके पीछे एक दीवार है जिसे कोई भी आसानी से फांद सकता था। 

ऊंचे मंच पर महाराज भैरव सिंह और कुछ मंत्रीगढ़ बैठे हुए हैं। योजना अनुसार मंत्री जी ने भीड़ को देखकर सपेरे को सांप छोड़ने का इशारा किया।

उम्मीदवार," अरे ! सांप सांप, भागो। बाप रे ! बहुत जहरीला सांप है... भैया भागो। "

सब तरफ अफरा-तफरी मच गई। सभी उम्मीदवार दीवार फांद कर मैदान से बाहर हो गए। सिर्फ रोशन मैदान में खड़ा रहा और सांप उसके आसपास से होकर गुजर गए। 

मंत्री," क्या नाम है तुम्हारा साहसी पुरुष ? "

रोशन," मेरा नाम रोशन है। "

मंत्री," क्या मैं जान सकता हूं कि तुम्हें मौत से भय क्यों नहीं है ? " 

रोशन," मंत्री... मौत से भला कौन नहीं डरता ? लेकिन यहां बात भरोसे और साहस की है। हम बचपन से ही महाराज की छत्रछाया में पले बढ़े हैं। 



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और एक पल में यह कैसे सोच लें कि वह हमारे प्राण बिना किसी वजह के ले सकते हैं ? मेरे अपने राजा के प्रति अटूट विश्वास यहां खड़े रहने की वजह है। "


राजा भैरव सिंह," बहुत खूब रोशन... तुम सच में एक निडर और समझदार इंसान हो। तुम सलाहकार पद के लिए हमारे राज्य के सबसे योग्य प्रतियोगी हो। "

राजा," महामंत्री जी, हमारी तलाश खत्म हुई। "

रोशन," धन्यवाद महाराज... मेरा बचपन का सपना राज दरबार का सलाहकार होना आज पूरा हुआ। "

इसके बाद रोशन के पिता और उसकी पत्नी सब लोग राज महल में मुख्य सलाहकार के कक्ष में ही रहने लगे और रोशन अपने राज्य की सेवा में लग गया।


इस कहानी से आपने क्या सीखा ? नीचे Comment में हमें जरूर बताएं।


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हेलो दोस्तों ! मैं हूं आपका अपना दोस्त, प्रदीप। यहां मैं कुछ अनोखी कहानियों के साथ आपका मनोरंजन करूंगा। अगर आपको हमारा लेखन कार्य पसंद आए तो हमें Support करें और अपना प्यार बनाए रखें।

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