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झुमरी का ढाबा | Jhumri Ka Dhaba | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

आज की इस कहानी का नाम है - " झुमरी का ढाबा " यह एक Hindi Moral Story है। अगर आपको Hindi Stories, Bedtime Story या Hindi Kahaniya पढ़ें।
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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है - " झुमरी का ढाबा " यह एक Hindi Moral Story  है। अगर आपको Hindi Stories, Bedtime Story या Hindi Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

झुमरी का ढाबा | Jhumri Ka Dhaba | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

Jhumri Ka Dhaba| Hindi Kahaniya| Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales



 झुमरी का ढाबा 

शहर के रास्ते, हाइवे से लगा एक गांव था। उस गांव में झुमरी अपने पति (रोशन) और 10 साल के बच्चे के साथ रहती थी। 

झुमरी अपनी शादीशुदा जिंदगी से बहुत परेशान थी। उसका पति मजदूरी से जितना कुछ भी कमाता, वो सारे पैसे उड़ा देता था। 

एक दिन दोपहर को झुमरी रसोई में खाना बनाने के लिए कुछ देख रही थी। 

झुमरी," इस डिब्बे में तो कुछ नहीं है। अब तो दाल चावल भी नहीं बचा। आज मैं खाने में क्या बनाऊंगी ? "

तभी कन्नू घर लौट आया और अपनी मां को देखकर बोला। 

कन्नू," मां, बड़ी जोर की भूख लगी है, खाने को कुछ दो ना। "

झुमरी," बेटा, मैं अभी कुछ बनाती हूं तब तक हाथ मुंह धोकर आ जा। "

कन्नू के जाने के बाद झुमरी सर पकड़ कर बैठ गई। 

झुमरी," हे भगवान ! मेरा तो सर चकरा रहा है। मैं तो भूखी रह लूंगी लेकिन कन्नू को कैसे भूखा रख सकती हूं ? "

तभी झुमरी ने कुछ सोचकर रात के बचे चावल को बचे हुए मसालों के साथ फ्राई कर दिया और कन्नू के आने पर उसे परोस दिया। 

झुमरी (मन में)," ऐसा कब तक चलता रहेगा ? मुझे इन्हें किराना लाने के लिए बोलना ही पड़ेगा। "

शाम को जब उसका पति घर लौटा तो झुमरी ने उसे शराब के नशे में देखा। 

झुमरी," आज फिर आप शराब पीकर आए हैं ? सारा पैसा आप शराब में उड़ा देते हैं। 


घर का सारा राशन भी खत्म हो गया है। कम से कम आप जाकर दुकान से सामान तो ले आइए। "

रोशन," सामान कहां से लेकर आऊं ? मेरे पास कोई पैसे नहीं है। समझी..? "

झुमरी," लेकिन... लेकिन आपको परसों ही तो तनख्वाह मिली थी। आपने सारे पैसों का क्या कर दिया ? घर का राशन लेकर आना है, कन्नू की स्कूल की फीस भी भरनी है। "

रोशन," मेरे पास इतने पैसे नहीं है। कन्नू को स्कूल जाने की जरूरत नहीं है। समझी..? 

मैं तो कब से कह रहा हूं उसे मेरे साथ काम पर भेजा करो ? लेकिन तुम्हें तो उसे पढ़ाने लिखाने की धुन सवार है। "

झुमरी," तो क्या आप चाहते हैं कि वह भी आपकी तरह मजदूरी करे ? अगर वह पढ़ेगा तो कुछ अच्छा काम कर पाएगा। "

रोशन," तो फिर तुम खुद ही उसकी पढ़ाई की व्यवस्था करो। मुझसे पैसे मत मांगो। समझी..? "

झुमरी," लेकिन मैं कहां से लाऊंगी ? "

इस तरह कई दिनों तक झुमरी और रोशन के बीच बहस होती रही। रोजाना रोशन शराब पीकर आता और झुमरी और कन्नू को बुरा भला कहता। 

अब तो वह झुमरी पर हाथ भी उठाने लगा। पैसे और राशन की कमी से कन्नू को भी कई बार भूखा ही रहना पड़ता। एक बार कन्नू कमजोरी से बेहोश हो गया। 

उस दिन तंग आकर झुमरी ने घर छोड़कर जाने का फैसला कर लिया और अपनी बहन (रमा) के पास जाकर कुछ मदद लेने की सोची। 

झुमरी ने अपनी बहन के घर पहुंचकर अपनी आपबीती बताई।

झुमरी," कुछ भी करो दीदी, मुझे तो बस कन्नू की स्कूल की फीस और कन्नू के दो वक्त का खाना चाहिए। मैं कुछ भी करने को तैयार हूं। "

रमा," झुमरी, तूने उस शराबी को छोड़कर अच्छा ही किया। तू चिंता मत कर। तेरे जीजा जी का रेस्टोरेंट है। वह तुझे कोई ना कोई काम दे ही देंगे, हां। "

राहुल (रमा का पति)," झुमरी, तुम कुछ वक्त के लिए यही रह सकती हो। मैं तुम्हें रेस्टोरेंट में काम दे दूंगा और उस काम की पगार भी दूंगा, ठीक है। "


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झुमरी," मैं यहां रहकर आप पर बोझ नहीं बनना चाहती। अगर रेस्टोरेंट में कोई कमरा हो तो आप मुझे वहीं रहने की इजाजत दे दीजिए। बदले में मैं रात में सफाई भी कर दूंगी और वहां पहरा भी होता रहेगा। "


राहुल झुमरी की बात मान लेता है और दोनों को रेस्टोरेंट के कमरे में रहने की इजाजत दे देता है। झुमरी वहां काम करने लगती है। 

एक दिन रेस्टोरेंट का रसोईया बहुत बीमार पड़ गया और उसकी जगह राहुल को तुरंत कोई दूसरा नया रसोईया नहीं मिल रहा था।

तब झुमरी राहुल को परेशान देखकर बोली। 

झुमरी," जीजा जी, अगर आपको कोई परेशानी ना हो तो आज का खाना मैं तैयार कर देती हूं। "

राहुल के पास कोई चारा नहीं था और ग्राहक के आने का वक्त हो चुका था। राहुल ने झुमरी को खाना तैयार करने के लिए कह दिया।

रेस्टोरेंट में 4 आदमी एक टेबल पर आकर बैठे। राहुल उनका आर्डर लेने गया। 

आदमी," भैया, एक प्लेट कड़ाही पनीर, 15 रोटियां, दाल मखनी और बाद में एक प्लेट चावल ले आना, ठीक है। "

राहुल आर्डर लेकर झुमरी को खाना तैयार करने के लिए बोलता है। थोड़ी ही देर में वेटर उनके सामने खाना लगा देता है। खाने का पहला निवाला खाते ही उस आदमी ने कहा। 

आदमी," अरे वाह ! राहुल भाई, आज आपके खाने की तो बात ही अलग है। क्या लजीज स्वाद है भैया ? आह हा..!"

दूसरा आदमी," हां भैया, पनीर की सब्जी तो बहुत ही लाजवाब है भैया। "

राहुल यह सुनकर बहुत खुश हुआ। उसने अंदर जाकर झुमरी से उसके काम की तारीफ की। 

राहुल," वाह झुमरी ! तुम तो सच में छुपा रुस्तम निकली। क्या खाना बनाया है ? ग्राहक बहुत खुश थे। बहुत बढ़िया... बहुत बढ़िया। "

झुमरी," बस दिल से बनाया जीजा जी, उन्हें अच्छा लगा बड़ी अच्छी बात है। "

उस दिन हर ग्राहक ने खाने के टेस्ट की बड़ी तारीफ की। तब झुमरी को अपने ऊपर आत्मविश्वास आया कि वह खुद भी कोई अच्छा काम कर सकती है। रात में राहुल ने खुश होकर झुमरी को बोनस भी दिया।

6 महीने में झुमरी ने इतना पैसा जमा कर लिया कि वह खुद भी एक छोटा सा काम शुरू कर सके। उसने एक दिन राहुल से कहा।

झुमरी," जीजा जी, अब मैं खुद अपना छोटा सा ढाबा खोलना चाहती हूं। कन्नू भी बड़ा हो रहा है और मैं उसे आगे पढ़ाई के लिए शहर भेजना चाहती हूं। "

राहुल," यह तो बड़ी अच्छी बात है कि तुम कन्नू को खूब पढ़ाना चाहती हो। लेकिन ढाबा खोलने के लिए एक अच्छी जगह की भी जरूरत होगी। मैं इस मामले में जरूर तुम्हारी मदद करूंगा, ठीक है। "

झुमरी," जीजा जी, आपने और रमा दीदी ने मुझ पर जो अहसान किया है उसे मैं कभी नहीं भूलूंगी। "

कुछ ही दिनों में राहुल ने एक छोटी सी जगह किराए पर झुमरी को दिला दी और तब से चल पड़ा झुमरी का ढाबा। 

झुमरी के खाने के स्वाद की महक धीरे-धीरे बढ़ती ही जा रही थी। वहां से आने जाने वाले अक्सर उसके ढाबे में खाना खाते। 

ग्राहक," वाह झुमरी ! बड़ा बढ़िया खाना बनाती हो तुम तो और साफ-सफाई भी पूरा रखती हो। बहुत अच्छे...। "

झुमरी," धन्यवाद आपका ! "


झुमरी के ढाबे के पास फास्ट फूड के दो-तीन ठेलों के मालिकों को परेशानी होने लगी; क्योंकि अब उनके ग्राहक भी झुमरी के ढाबे पर जाने लगे थे और उनकी कमाई पहले की तरह ना होकर कम हो गई। 

वह तीनों ही शाम साथ बैठकर चर्चा कर रहे थे। 

पहला ठेली वाला," अरे भाई ! जब से यह झुमरी का ढाबा खुला है, बहुत नुकसान होने लगा है भाई। "
 

 दूसरा (औरत)," हां चाचा जी, आजकल मेरे ठेले पर कोई नहीं आता। "

तीसरा," इस झुमरी के ढाबे का कुछ तो करना पड़ेगा भैया वरना हमारा तो धंधा ही चौपट हो जाएगा। है कि नहीं..? "

दूसरा (औरत)," मैं कहती हूं कि मेरे पास एक तरकीब है। "

वह तीनों धीरे-धीरे बातें करते हुए झुमरी के ढाबे को लेकर प्लान बनाते हैं।

अगले दिन झुमरी सुबह सफाई करके खाना बनाने की सारी तैयारी करके रखती है। 

जब वह काम से बाहर निकली तो वह फूड स्टॉल वाली औरत चुपके से कुछ मरे हुए चूहे ले जाकर दाल की कड़ाही में डाल आई।

कन्नू ने यह सब खिड़की से देख लिया और सब कुछ जाकर अपनी मां झुमरी को जाकर बता दिया।

कन्नू," मां, वो ठेले वाली आंटी ने मरा हुआ चूहा दाल के पतीले में डाल दिया। "

झुमरी," क्या, सच में..? अरे ! ये लोग किसी को आराम से दो पैसे कमाते हुए भी नहीं देख सकते। "

झुमरी फिर से नई दाल पकाती है। झुमरी अब इन तीनों से सतर्क हो चुकी थी जिसकी वजह से उन तीनों को भी कोई नया मौका नहीं मिल पा रहा था। 

एक दिन तंग आकर वह औरत बाकी दोनों से कहती है।

औरत," क्यों ना इस झुमरी का ढाबा ही जला दिया जाए ? "

पहला ठेली वाला," नहीं नहीं, किसी की जान को नुकसान हुआ तो..? ना बाबा ना, ऐसा काम नहीं करूंगा। " 

तीसरा," मुझे तो यह सुझाव अच्छा लगा। इसका ढाबा जड़ से मिट जाएगा और हमारा काम दोबारा अच्छा चलने लगेगा। "


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उस रात वह दोनों चुपके से जाकर झुमरी के ढाबे के आसपास मिट्टी का तेल छिड़कने लगे। 


औरत," आज रात इस झुमरी का ढाबा का खेल खत्म हो जाएगा। "

तभी गलती से उससे एक सामान गिर गया और झुमरी की आंख खुल गई। झुमरी बड़ी सावधानी से खिड़की से सब कुछ देख लेती है और सारा माजरा समझ जाती है। 

इससे पहले कि वह लोग आग लगाते, झुमरी वहां पहुंच गई। उसे देखकर वे दोनों बड़ा घबरा गए। 

झुमरी," मैं इतने दिनों से आप सभी लोगों की उल्टी-सीधी हरकतें बर्दाश्त कर रही थी लेकिन अब तो आप लोगों ने हद ही पार कर दी। 

आप यहां आग लगाने चले आए और यह भी नहीं सोचा कि मैं और मेरा बेटा यही अंदर होंगे। आप लोग अपना उल्लू सीधा करने के लिए किसी की जान लेने पर उतारू हो गए। 

क्यों राधा..? तुम्हारी भी तो मेरे बेटे के बराबर की बेटी है ना ? तुम्हारी बेटी और तुम्हारे साथ कोई ऐसा करें तो। "

यह सुनकर उस औरत और आदमी ने सर झुका लिया। 

झुमरी," अगर मेरे ढाबे से आपके ग्राहकों की कमी हुई है तो मेरे काम को खराब करने के बजाय आप लोगों को अपने काम को अच्छा करना चाहिए। किसी के नुकसान में अपना फायदा नहीं देखना चाहिए। 

आज एक बार फिर मैं आप लोगों को यहां से जाने दे रही हूं। लेकिन अगर आपने कुछ करने की कोशिश की तो मैं पुलिस में शिकायत दर्ज कर आऊंगी। "

झुमरी की बातों से डरकर और शर्मिंदा होकर वह लोग तुरंत वहां से निकल गए लेकिन बदले की आग से तीनों और ज्यादा बिल बिलाने लगे। 

एक शाम को नहर के किनारे दोनों ठेले वाले शराब की बोतल हाथ में लिए झुमरी के ढाबे की तरफ जा रहे थे।

पहला," इस झुमरी को ऐसा सबक सिखाएंगे कि जिंदगी भर याद रखेगी, भाई। "

दूसरा," उस दिन की बेज्जती अब तक मेरे दिमाग में घूम रही है। भाई, उसको आज नहीं छोडूंगा मैं। "

शाम के खाने का वक्त था। झुमरी अपने ढाबे पर बैठे ग्राहकों को खाना खिला रही थी। 

ग्राहक," मजा ही आ गया खांडे में आज तो... क्या दाल मखढीं बनाई थी आपने ? 2 दिन तक स्वाद नहीं जाने वाला। "


झुमरी," धन्यवाद सरदार जी ! बस आप लोगों का प्यार है जिसकी वजह से मैं आज अपने परिवार को पाल रही हूं। "

सरदार," अच्छा भैंढ जी, चलता हूं अब मैं। 12:00 बजे तक मन्ने अपनी गड्डी हिमाचल तक पहुंचाढीं है। ओय छोटू ! चल जल्दी शीशे पे कपड़ा मार। "

और ट्रक वाला वहां से चला जाता है। 

सरदार (गाना गाते हुए)," ओ मैं निकला गड्डी लेके, सड़क पे एक मोड़ आया.... मैं गड्डी अपनी छोड़ आया। "

उसके कुछ ही देर बाद वह दोनों ठेली वाले झुमरी के ढाबे पर आते हैं।

पहला आदमी," अरे झुमरिया ! बहुत मचक रही थी उस दिन, हां। आज तेरा हिसाब बराबर करने आए हैं। समझी..? "

झुमरी," उस दिन तुम लोगों को पुलिस के हवाले कर ही देना चाहिए था। तुम लोग सीधे तरीके से बात नहीं मानने वाले। "

दूसरा आदमी," आज तुझे बगल वाली नहर में धकेलकर तेरा किस्सा खत्म कर दूंगा मैं। "

ढाबे पर खाना खाने वाले सब लोग तमाशा देखने लगे लेकिन कोई उन शराबियों को रोकने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था। 

दोनों आदमी झुमरी से बदतमीजी करने लगे। तभी ढाबे पर एक ट्रक आकर खड़ा होता है।

ट्रक वाला," ओय बेवड़े... इधर आ उधर अकेली औरत पर क्या धौंस जमाते हो, हां। "

पहला आदमी," अरे तू कौन है बे...? तेरी तो हड्डी पसली एक कर दूंगा। चल निकल यहां से। "

ट्रक वाला," ओय ! तेरी मां ने मांसी की आंख... ओय ! रुक तू रुक...। "

सरदार जी तभी उसे एक हाथ से दबोच लेते हैं और अच्छे से धुलाई कर देते हैं। 

सरदार जी," भैंढ जी, अब जमाना बदल गया है। अपनी रक्षा खुद ही करनी पड़ती है। उठाओ डंडा और शुरू हो जाओ। "

तभी झुमरी गुस्से से पास ही पड़ा एक डंडा उठाती है और दोनों शराबियों की पिटाई करना शुरू कर देती है।

पहला आदमी (पिटते हुए)," अरे !बचाओ भाइयो... कोई तो बचाओ। छोड़ दो मुझे, माफ कर दो। "


तभी वहां पुलिस आ जाती है और दोनों शराबियों को गिरफ्तार कर लेती है। 

सरदार जी," ओह... आओ साहब, और ले जाओ दोनों कमीनों को। बाकी की खातिरदारी थाणे में कर देना। "


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पुलिस वाला," अरे ! चल थारे को बहुत गर्मी चढ़ी है। आज 'आ न मिलो सजना' करता हूं। "

सरदार," ओ भैंढ जी ! वो तो अच्छा हुआ कि मैं अपनी पगड़ी यही भूल गया जो उसे वापस लेने आ गया नहीं तो ना जाने क्या अनर्थ हो जाता ? "

इसके बाद झुमरी ने अब किराए की जगह खुद की जमीन लेकर अपना ढाबा बना लिया और उसका ढाबा दिन रात तरक्की करने लगा। 

झुमरी ने कई लोगों को काम पर रखकर उन्हें रोजी-रोटी का साधन दिया और अपने बेटे को भी अच्छी शिक्षा के लिए शहर भेज दिया।


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