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रहस्यमय पाठशाला | Hindi Kahaniya | Moral Story In Hindi | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

आज की इस कहानी का नाम है - " रहस्यमय पाठशाला " यह एक Hindi Fairy Tales है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Achhi Achhi Kahaniya पढ़ें
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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है - " रहस्यमय पाठशाला " यह एक Hindi Fairy Tales है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Achhi Achhi Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

रहस्यमय पाठशाला | Hindi Kahaniya | Moral Story In Hindi | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

Rahashyamay Pathshala | Hindi Kahaniya| Moral Story In Hindi | Bed Time Story | Hindi Stories



 रहस्यमय पाठशाला 

पंकज और अनुज फोटोग्राफी का कोर्स कर रहे थे। इसीलिए तरह-तरह की फोटो खींचने के लिए उन्हें ऐतिहासिक जगहों पर जाना पड़ता था। उन्हें एक प्रोजेक्ट मिला था जिसमें उन्हें बताई गई यूनिक फोटो खींचनी थी।

अनुज," यार, सर ने भी कैसा प्रोजेक्ट पकड़ा दिया है ? अब ऐसा फोटो हम कहां से क्लिक करें ? हमने यहां की लगभग सभी जगहों का फोटोशूट तो कर लिया है और जहां नहीं किया है वहां पर हमारे सीनियर काम करेंगे। अब हम क्या करें ? "

पंकज," कुछ भी हो लेकिन हमें प्रोजेक्ट तो पूरा करना ही है। हमारे मार्क्स कम आएंगे तो दिक्कत हो जाएगी यार। "

पंकज और अनुज अपने विषय में बात कर ही रहे होते हैं तभी उनके कॉलेज में पढ़ने वाला लड़का, मनोज वहां आता है।

मनोज," तुम लोग परेशान मत हो। मेरे पास एक उपाय है। मेरे गांव में बहुत सारे ऐतिहासिक खंडर हैं। अगर तुम चाहो तो वहां मेरे साथ आ सकते हो। "

अनुज," अरे वाह ! यह तो बहुत अच्छी बात है। "

मनोज," मैं आज रात की ट्रेन से ही गांव जा रहा हूं। अगर तुम चलना चाहो तो चल सकते हो। मैं गांव में अपना काम करूंगा और तुम अपना प्रोजेक्ट पूरा कर लेना। "

अनुज और पंकज दोनों मनोज के गांव चलने के लिए तैयार हो जाते हैं। परंतु उनके माता-पिता उन्हें इस तरह जाने की इजाजत नहीं देते हैं और उनसे कहते हैं।

पंकज की मां," नहीं बेटा... माना कि तेरी पढ़ाई ऐसी है कि तुझे ऐतिहासिक जगहों पर जाना पड़ता है। लेकिन मैं तुझे ऐसी जगह पर क्यों भेजूं जिसका कोई अता पता ही नहीं है, बता तू ही... हां ? "


पंकज," मां, तुम खामखा यूं ही चिंता कर रही हो। अनुज और मनोज भी तो मेरे साथ जा रहे हैं ना... और मुझे अपना प्रोजेक्ट भी तो पूरा करना ही है। केवल एक हफ्ते की ही तो बात है। आपको पता भी नहीं चलेगा और मैं तब तक वापस भी आ जाऊंगा। "

पंकज अपनी मां की बात नहीं सुनता और उनसे आशीर्वाद लेकर अपने प्रोजेक्ट पर निकल जाता है।

इधर पंकज के दोनों दोस्त गाड़ी लेकर पंकज के घर के सामने पहुंचते हैं और उसे पिक करके सीधा स्टेशन पर पहुंचते हैं। रात 10:00 बजे की ट्रेन सीधा हवा से बातें करती हुई उन्हें उनके गांव के स्टेशन पर उतार देती है।

पंकज," मनोज, यार यहां इतना सन्नाटा क्यों है भाई ? एक भी आदमी नजर नहीं आ रहा। "

मनोज," छोटा सा ही तो गांव है। यहां लोग ज्यादा घर से बाहर नहीं निकलते। केवल जरूरी काम होने पर ही स्टेशन जैसी जगहों पर आते हैं। बाकी तो हम जैसे लोग ही स्टेशन पर आते हैं। "

कुछ समय इंतजार करने के बाद एक बैलगाड़ी वहां से गुजरती है। वे तीनों उस बैलगाड़ी में बैठकर गांव की ओर निकल जाते हैं। 

तभी रास्ते में एक बुढ़िया उनकी बैलगाड़ी को रोकती है और कहती है," आ गए तुम दोनों ? मैं तुम दोनों का ही इंतजार कर रही थी। बहुत समय लगा दिया आने में। तुम दोनों की मौत आखिर तुम्हें इस गांव तक खींच ही लायी। हा हा हा... मैं जानती थी कि तुम दोनों मरने के लिए यहां जरूर आओगे। "


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मनोज," ऐ अम्मा ! फिर आ गई तुम यहां। चलो जाओ यहां से। है है है... इस अम्मा का तो दिमाग ही फिर गया है। तुम लोग इसकी बातों पर ध्यान मत देना। भैया... चलो बैलगाड़ी चलाओ और अब थोड़ा तेज चलाना। "

बैलगाड़ी चलना शुरू हो जाती है। पंकज पीछे बैलगाड़ी में बैठा हुआ उस बुढ़िया को देख रहा होता है तो वह बुढ़िया पंकज को देखती हुई हल्का सा मुस्कुरा देती है। 

यह देखकर पंकज को थोड़ा अजीब लगता है। पर वह कुछ और कर ही नहीं सकता। वह भी सोच लेता है कि इस बुढ़िया का तो दिमाग ही फिर गया है। 

इसीलिए वह यह सब कर रही है। परंतु उसके दिमाग से उसकी कही हुई बातें नहीं निकल पाती हैं। इतने मैं वे सब मनोज के घर पहुंच जाते हैं।

मनोज की मां दरवाजा खोलती है और देखते ही कहती है," यह दोनों यहां पर...। "

मनोज," मां, यह मेरे दोस्त हैं। मेरे ही कॉलेज में पढ़ते हैं। यह दोनों यहां अपना प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए आए हैं। "

मनोज की मां," ठीक है अंदर आओ। "

मनोज की मां उन तीनों की खूब खातिरदारी करती है लेकिन खाना खाते समय बिना नजर हटाए उन दोनों को देख रही होती है। यह सब देख अनुज को थोड़ा अजीब लगता है। दूसरी तरफ मनोज पंकज और अनुज से रात में घर से बाहर निकलने के लिए भी मना कर देता है।

अगली सुबह अनुज और पंकज अपना-अपना फोटोग्राफी का सामान उठाकर गांव घूमने के लिए निकल पड़ते हैं और मनोज अपने किसी जरूरी काम से गांव में चला जाता है।

अनुज," यार इस गांव में तो कोई अच्छा लोकेशन मिल ही नहीं रहा। मनोज कह रहा था कि उसके गांव में कुछ ऐतिहासिक जगह भी हैं तो क्यों ना हम उन्हें ही खोजें ? "


वे दोनों आगे बढ़ते रहते हैं।

पंकज," मुझे लगता है यह कच्चा रास्ता गांव से बाहर जाता होगा। पंकज और अनुज उस रास्ते पर चल पड़ते हैं। चलते चलते उन्हें एक पाठशाला नजर आती है जो खंडर हो चुकी थी। 

अनुज," यह खंडर तो बहुत पुराना लग रहा है। पर इसके ऊपर तो स्कूल का नाम लिखा हुआ है। लगता है यह पाठशाला सदियों पुरानी है। इस पाठशाला के अंदर चल कर देखना चाहिए कि इसमें क्या रहस्य है ? "

पंकज और अनुज जैसे ही उस रहस्यमय पाठशाला के अंदर घुसते हैं, पीछे से एक आदमी उन्हें रोकते हुए कहता है," अरे - अरे ! तुम लोग यहां क्या कर रहे हो ? तुम लोग इस गांव के तो नहीं लगते। "

पंकज," हम लोग यहां कुछ खूबसूरत तस्वीरें खींचने के लिए आए हैं जो हमें अपने प्रोजेक्ट के लिए चाहिए। हम लोग यहां मनोज के साथ आये हैं। "

आदमी," इस पाठशाला में भूल से भी मत घुसना; क्योंकि इस पाठशाला में जो भी घुसा है वह बाहर नहीं निकला। "

पंकज," अब ऐसा क्या है भाई इस रहस्यमय पाठशाला में ? "

आदमी," अब देखो भाई... यह तो मुझे भी नहीं पता कि क्या है इसमें ? यहां इस पाठशाला के आसपास भी गांव के लोग नहीं भटकते। यहां केवल एक चौकीदार रहता है जो दिन ढलते ही यहां से चला जाता है। दिन ढलने के बाद तो यहां कोई परिंदा पर भी नहीं मारता। "

पंकज," ठीक है तो फिर... हम दिन ढलने से पहले ही यहां से चले जाएंगे। "

पंकज और अनुज उस आदमी की बात नहीं मानते और सीधा चौकीदार के पास पहुंच जाते हैं। चौकीदार उन दोनों को देखते ही वहां रुका लेता है। 

पर जब वे दोनों अपने काम के बारे में उसे बताते हैं तो वह उन्हें जाने देता है लेकिन दिन ढलने से पहले ही उस रहस्यमय पाठशाला से बाहर आने की भी चेतावनी देता है।



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अनुज," अरे ! इस खंडहर पाठशाला में तो मुझे बड़ा डर लग रहा है यार। "

अनुज," वह देखो, कोने में एक बढ़िया बैठी हुई है। चलो उसे जाकर पूछते हैं कि इस खंडहर पाठशाला का रहस्य क्या है ? "

दोनों उस बुढ़िया के पास जाते हैं तो वह बुढया डरी डरी उन दोनों से कहती है," भाग जाओ यहां से, भाग जाओ मैंने कहा; नहीं तो यह शापित पाठशाला तुम्हें भी खा जाएगी। "

उस बुढ़िया की थकान भरी हालत को देखकर अनुज उसे पानी पिलाता है और प्यार से उसे काबू में करता है।

बुढ़िया," यह पाठशाला शापित है। वर्षों पहले इस पाठशाला में एक बच्चा गुम हो गया था जिसका पिता एक जादूगर था। उसने अपने जादू से इस पाठशाला को एक खंडहर में बदल दिया और इसमें पढ़ने वाले सभी बच्चों और अध्यापकों को भी गायब कर दिया। तब से यह पाठशाला रहस्यमय पाठशाला बन चुकी है। "


अनुज," तो इस रहस्यमय पाठशाला को ठीक करने का कोई तो रास्ता होगा ? "

बुढ़िया," यह शापित पाठशाला एक चाबी से ठीक हो सकती है। इस पाठशाला के एक कमरे में एक बच्चा कैद है और उस कमरे की चाबी इसी पाठशाला के अंदर कहीं पड़ी हुई है। 

अगर कोई उस चाबी को ढूंढ कर उस बच्चे को आजाद कर दे तो यह पाठशाला भी सही हो जाएगी और इस पाठशाला में कैद बच्चे भी आजाद हो जाएंगे। "

पंकज," पर उस बच्चे को कैद किसने किया था ? "

बुढ़िया," उस बच्चे को अध्यापक ने काम न करने पर दंडित किया था। अध्यापक उसे उस कमरे में बंद करके भूल गया था। वह बड़ा ही क्रूर अध्यापक था। वह सबको ऐसे ही सजा दिया करता था। "

पंकज और अनुज ठान लेते हैं कि वह इस रहस्यमय पाठशाला को शाप से मुक्त करेंगे और उन बच्चों को भी आजाद करेंगे। वे दोनों चाबी ढूंढने में लग जाते हैं। 

उस पाठशाला में एक लाइब्रेरी होती है। जब अनुज उस लाइब्रेरी में चाबी ढूंढ रहा होता है तो एक किताब उसके सामने गिरती है।

अनुज," ये किताब न जाने बार-बार क्यों गिर जाती है ? मैं बार-बार इसे उठाकर रखता हूं फिर भी बार-बार गिर जाती है। "

पंकज," कहीं इस किताब के पन्ने में कोई राज तो नहीं छुपा है ? "

पंकज और अनुज दोनों जब उस किताब को खोलते हैं तो किताब के पन्नों के बीच उन्हें चाबी मिल जाती है। साथ ही उस पन्ने पर लिखा होता है कि जब तक उस क्रूर अध्यापक की कुर्सी नहीं जलाई जाएगी तब तक यह पाठशाला शाप से मुक्त नहीं हो पाएगी। 

जैसे ही अनुज उस चाबी को अपने हाथ में लेता है तो उस पाठशाला की सभी किताबें उड़ने लगती हैं और अलमारियां जमीन से टकराकर आवाज करने लगती है।

वह दोनों चाबी लेकर वहां से भागते हैं।

पंकज," चाबी तो हमें मिल गई लेकिन वह कमरा कहां ढूंढे जिसमें वह बच्चा कैद है ? "

पंकज और अनुज दोनों पाठशाला में घूमते हैं लेकिन चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा दिखाई देता है। तभी उन्हें एक कमरा नजर आता है जो सबसे अलग था। वह कमरा कोई खंडहर नहीं था बल्कि नया था। उसके दरवाजे पर एक ताला लगा हुआ था।

अनुज," पंकज, हो न हो मुझे यह चाबी इसी कमरे की लग रही है। वह दोनों भागकर उस कमरे पर लगे ताले को खोलते हैं। जैसे ही वे कमरे के दरवाजे को खोलते हैं तो उन्हें सामने एक कोने में एक कुर्सी दिखाई देती है जो उस क्रूर अध्यापक की होती है। "

अनुज," यह कुर्सी तो मुझे उसी टीचर की लग रही है। "

पंकज," वह देखो, वहां पर एक मशाल रखी हुई है और बगल में मिट्टी का तेल भी है। रुको मैं उसे लेकर आता हूं। "

पंकज जैसे ही उस क्रूर अध्यापक की कुर्सी जलाने के लिए जाता है तो क्रूर अध्यापक का भूत आ जाता है और उसकी गर्दन को पकड़ कर ऊपर उठा लेता है।

पंकज इशारे से अनुज को उस क्रूर अध्यापक की कुर्सी जलाने के लिए कहता है। तभी वह अध्यापक अपने दूसरे हाथ को लंबा करके अनुज की भी गर्दन पकड़कर उसे भी ऊपर उठा लेता है।

पंकज," अनुज, यह क्रूर अध्यापक हमें किसी भी हालत में जिंदा नहीं छोड़ेगा। हमें किसी भी तरीके से इसकी कुर्सी को जलाना होगा। "


पंकज जलती हुई मशाल का कुर्सी पर निशाना लगाता है और कुर्सी के ऊपर फेंक देता है। धीरे-धीरे कुर्सी जलने लगती है। जैसे-जैसे कुर्सी जलने लगती है, उस टीचर का भूत भी जलने लगता है। 

देखते ही देखते उस क्रूर अध्यापक का भूत भी जलकर राख हो जाता है और सब कुछ पहले जैसा हो जाता है। क्लास में सभी बच्चे और अध्यापक नजर आने लगते हैं और एक तेज रोशनी के साथ सब कुछ गायब हो जाता है।

अब यह रहस्यमय पाठशाला पहले की तरह कोई खंडर नहीं बल्कि एक नई नवेली पाठशाला नजर आने लगी थी।

पंकज," हमने कर दिखाया अनिल, हमने इस रहस्यमय पाठशाला को शाप से मुक्त कर दिखाया। "



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अनुज," बिल्कुल... दिल को बहुत सुकून मिल रहा है यार। "

ऐसा कहकर वे दोनों पाठशाला से बाहर जाने लगते हैं। तभी उन्हें वह बढ़िया दिखाई देती है जिसने उन्हें इस पाठशाला का रहस्य बताया था। उन दोनों की नजर पड़ते ही वह बढ़िया एक रोशनी में बदल जाती है। 

अब वे समझ जाते हैं कि ईश्वर ने उन्हें यहां फोटोग्राफी के बहाने इस शापित पाठशाला को शाप से मुक्त करने के लिए ही भेजा था।


इस कहानी से आपने क्या सीखा नीचे Comment में हमें जरूर बताएं।


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